दमन और उत्पीड़न के जरिये भलस्वा में जारी सीएए विरोधी महिलाओं के आंदोलन को दबाने की कोशिश कर रही है दिल्ली की पुलिस

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नई दिल्ली। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद कहा है कि चुनाव के दौरान गोली मारो और भारत-पाकिस्तान करने का पार्टी को खामियाजा भुगतना पड़ा है। और आज सुरक्षा बल के जवानों के एक कार्यक्रम में उन्होंने जनता के साथ पुलिसकर्मियों को नरमी से पेश आने की सलाह दी। लेकिन शाह की यह अपील या तो जमीन पर पहुंच नहीं पा रही है या फिर सब कुछ दिखावे के लिए किया जा रहा है। यानि ऊपर से उदारता दिखा कर अंदर से दमन की रणनीति पर काम किया जा रहा है। क्योंकि राजधानी दिल्ली की जो रिपोर्ट आ रही हैं उसमें पुलिस के रवैये को लेकर कोई बहुत ज्यादा बदलाव नहीं दिख रहा है।

राजधानी के भलस्वा इलाके में कुछ इसी तरह का एक मामला सामने आया है। बताया जा रहा है कि भलस्वा जेजे कॉलोनी, बादली (जहाँगीरपुरी के पास) की लगभग 400-500 महिला मज़दूर पिछले दो दिनों से एनआरसी-सीएए के खिलाफ रोजाना मशाल जुलूस निकाल रही हैं। वे इस संघर्ष को अपने जीवन और काम की स्थिति के सवालों से जोड़ने की कोशिश कर रही हैं। खास बात यह है कि इन प्रयासों को धार्मिक और जातिगत विभाजनों से  हट कर सभी का सहयोग मिल रहा है।

लेकिन कल से पुलिस के कुछ जवान स्थानीय लोगों को निशाना बनाकर उन्हें डराने की कोशिश शुरू कर दिए हैं। आज 5 पुलिसकर्मी संघर्ष में शामिल एक सदस्य के घर गए और उसके परिवार के लोगों को धमकाया। उन्हें पुलिस से लगातार फोन कॉल आ रहे हैं जिसमें उन पर देशद्रोह की धारा लगाने की धमकी दी जा रही है। दिलचस्प बात यह है कि आंदोलन कुछ संगठनों या फिर नेताओं की कोशिश का हिस्सा नहीं है बल्कि यह उनके सामूहिक प्रयासों का नतीजा है।

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(दिल्ली के भलस्वा से दामोदर की रिपोर्ट।)

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