इलाहाबाद: इलाहाबाद के बसवार घाट पर पुलिस द्वारा बोट तोड़ने व लाठीचार्ज कर घायल करने के विरोध में अखिल भारतीय किसान मजदूर के बैनर तले बालू मजदूरों ने रैली निकाल कर पुलिस की दमन पूर्ण कार्रवाई का विरोध किया।
बता दें कि 4 जनवरी गुरुवार को यूपी पुलिस ने लाठी चार्ज करके 30 मजदूरों को लहूलुहान कर दिया था तथा जेसीबी मशीन से 16 नावें तोड़ डाली थी। अत्याचार की हद देखिए कि मामला लोगों के संज्ञान में आने के बाद पुलिस प्रशासन मजदूरों पर आरोप लगा रहा है कि बालू मजदूरों ने स्वयं ही अपनी नावें तोड़ी है।
बता दें कि कल दोपहर एडीएम प्रशासन विजय शंकर दुबे व एसपी यमुनापार, क्षेत्राधिकारी करछना के नेतृत्व में कई थानों के भारी पुलिस बल स्टीमर व कुत्ते के साथ ठाकुरी का पूरा, बसवार घाट गए और वहां पुलिस कर्मियों ने बालू मजदूरों पर हमला कर 30 लोगों को घायल कर दिया और दर्जनों बोट तोड़ डाले।

इतना ही नहीं पुलिस ने स्टीमर व कुत्ते के साथ पैदल ठाकुरी का पूरा घाट पर पड़ी पुरानी बालू को जेसीबी से यमुना नदी में धकेल दिया और बसवार घाट पर बंधी बोटों को जेसीबी से तोड़ डाला। गांव वालों ने विरोध किया तो पुलिस ने लाठी चार्ज कर 30 लोगों को घायल कर दिया।
प्रयागराज में बालू मजदूरों का लंबे समय से आंदोलन चल रहा है। वो इस बात की लगातार मांग कर रहे हैं कि 24 जून, 2019 को को उत्तर प्रदेश सरकार ने बालू खनन में नावों को प्रतिबंधित कर दिया जिस कारण लाखों लाख लोग बेरोजगार हो गए।

इलाहाबाद हाईकोर्ट व उत्तर प्रदेश सरकार के कई शासनादेश हैं कि नदियों में बालू का खनन बीच धारा से होना चाहिए जिससे तटबंध व तटबंध के किनारे जीवजंतु सुरक्षित रहें।
लम्बे विरोध के बावजूद प्रयागराज प्रशासन समस्या को हल करने के बजाय आंदोलनकारियों का आरोप है कि आरएसएस-भाजपा के नेता प्रशासन से मिलकर बालू खनन का कार्य प्रारम्भ कर अवैध वसूली करते रहे हैं।
बता दें कि प्रयागराज प्रशासन एक तरफ बालू मजदूरों पर खोजी कुत्ते व भारी पुलिस बल के साथ क्रूरता पूर्वक दमन कर रहा है तो वहीं दिखावे के लिए दूसरी तरफ वार्ता की बात हो रही है। जब कि बालू मजदूर लगातार मांग करते चले आ रहे हैं कि 24 जून, 2019 का नाव से खनन को प्रतिबंधित करने वाला आदेश वापस लो।

पुलिस द्वारा बर्बरता पूर्वक हमले के खिलाफ़ नाराजगी जताते हुए बसवार गांव में गोलबंद होकर रैली निकल कर विरोध जताया। रैली के दौरान नारे लगाए। इस दौरान मजदूरों द्वारा निम्न मांगें रखी गईं।
1- बोट तोड़ने व मजदूरों पर लाठीचार्ज करने वाले अफसरों को सस्पेंड कर जेल भेजा जाए।
2- पुलिस द्वारा तोड़ी गयी नावों का मुवावजा दिया जाए।
3-मजदूरों पर दर्ज फर्जी केस वापस लिया जाए।
4- आखिरी मांग है 24 जून, 2019 का बोट से खनन पर लगी रोक वापस ली जाए।