नई दिल्ली। शुक्रवार को कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने विधान सभा के एनेक्सी में ‘अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस’ के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान लोगों से कहा कि “सभी को उन ताकतों से दूर रहने की जरूरत है जो संविधान के कानूनों को “नष्ट करके मनुस्मृति को वापस लागू करना चाहते हैं।”
मनुस्मृति को लेकर देश में पहले भी कई बवाल हुआ है, इसमें दलितों और महिलाओं के बारे में लिए लिखे गए कुछ श्लोक विवादों को पैदा करते हैं। इस आयोजन के दौरान मुख्यमंत्री ने संविधान की प्रस्तावना के सामूहिक पाठ का नेतृत्व किया। जिसमें छात्रों सहित लगभग 1.5 करोड़ लोगों ने उनके साथ पंक्तियों को दोहराया। इस आयोजन में करीब एक हजार लोगों ने भाग लिया था।
सिद्धारमैया ने अपने भाषण में कहा कि हमें संविधान विरोधियों से बेहद सतर्क रहने की जरूरत है क्योंकि ये ऐसी ताकतें हैं जो संविधान को नष्ट करके मनुस्मृति को देश में वापस से लागू करना चाहती हैं।
मनुस्मृति की सच्चाई को सामने रखते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर इस देश में मनुस्मृति लागू हो जाता है तो इस देश की 95% आबादी गुलामों के रूप में जीवन व्यतीत करेगी। इस तरह की व्यवस्था के खिलाफ लड़ने के लिए लोकतंत्र और संविधान एक बेहतर विकल्प है।
सिद्धारमैया ने जनता और खासकर छात्रों से आग्रह किया है कि कम से कम संविधान की प्रस्तावना को पढ़ें। और इसके सिद्धांतों खिलाफ काम कर रही ताकतों और उनके प्रयासों के खिलाफ आवाज उठायें। संविधान और उसके सिद्धांतों को लेकर बात करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि, अगर लोकतंत्र सुरक्षित रहेगा तो हम सुरक्षित रहेंगे। संविधान बचेगा तो देश में लोकतंत्र बचा रहेगा। इसको मद्देनजर रखते हुए, लोकतंत्र और संविधान की रक्षा करना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है।
कर्नाटक सरकार ने सभी स्कूलों के लिए प्रत्येक कार्य दिवस पर संविधान का प्रस्तावना पढ़ना अनिवार्य कर दिया है। इस नियम को पारित करते हुए सिद्धारमैया ने कहा कि “हम बच्चों को हमारे संविधान के सार के बारे में शिक्षित करने के लिए सभी स्कूलों में प्रस्तावना का पाठ लागू कर रहे हैं।”
मुख्यमंत्री ने लाइव स्ट्रीमिंग के दौरान बाबासाहब के उन भाषणों का भी जिक्र किया, जो उन्होंने संविधान सभा में संविधान के उद्देश्यों को बताया था। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि बाबा साहब ने बहुत स्पष्ट रूप से बताया था कि ‘संविधान का क्या मतलब है, इसकी प्रस्तावना का क्या मतलब है, इसके उद्देश्य क्या हैं’, और इनका अनुपालन करके किस तरह का समाज और राष्ट्र का निर्माण किया जा सकता है और इसके नागरिकों को कैसे रहना चाहिए?
सिद्धारमैया ने कहा कि संविधान के सबसे बड़े उद्देश्यों में से एक अभी हासिल नहीं हुआ है। उन्होंने देश में सामाजिक-आर्थिक असमानता का हवाला देते हुए कहा, “हमने जो आज़ादी हासिल की, उसमें एक व्यक्ति को एक वोट दिया गया, लेकिन वही सिद्धांत सामाजिक और आर्थिक रूप से लागू नहीं होता है।”
मुख्यमंत्री ने कहा कि “जब तक हम संविधान के सिद्धांतों को समझने और उसमें वर्णित जीवन शैली को जीने में विफलर हेंगे। तो इस देश में असमानता की वजह से, एक अलग समाज का विकास करना बेहद मुश्किल होगा। हमें इसकी गंभीरता को समझने की जरूरत है।”
2023 विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के द्वारा कर्नाटक जनता को किए गए 5 वादों को याद करते हुए मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इसे समाज में सामाजिक-आर्थिक समानता की दिशा में एक कदम बताया। उन्होंने कहा कि “हम उन सभी लोगों को सामाजिक न्याय प्रदान करने का प्रयास कर रहे हैं जिन्हें समाज पीछे छोड़ दिया है। हमने पांच में से चार गारंटियों को लागू किया है, जिसका मतलब है कि हम अपनी बात पर चले हैं और अपने संविधान के सिद्धांतों का पालन कर रहे हैं।”
कांग्रेस सरकार पहले ही शक्ति योजना जो महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा प्रदान करती है। गृह ज्योति योजना जिसके तहत प्रत्येक परिवार को हर महीने 200 यूनिट मुफ्त बिजली मिलती है। अन्न भाग्य जिससे गरीब परिवार के प्रत्येक सदस्य के लिए प्रति माह 10 किलो मुफ्त चावल का आवंटन किया जाता है। और गृह लक्ष्मी जिसमें परिवार की प्रत्येक महिला मुखिया के लिए 2,000 रुपये प्रति माह मिलने का प्रावधान है। पांच वादों में चार वादे समय के साथ राज्य में लागू कर दिया गया है।
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