जी हाँ, चुनाव आयोग ने बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों के सिलसिले में मतदाता सूची विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान 2025 के साथ इसकी विधिवत शुरुआत कर दी है। कई लोगों को लग सकता है कि वोटर लिस्ट की गड़बड़ी की बात तो विपक्ष ही जब-तब उठाता रहा है। फिर जब चुनाव आयोग इसमें पुनरीक्षण की पहल कर रहा है तो आपत्ति क्यों?
लेकिन यहीं पर वह पेंच है, जिसे समझना होगा। सभी जानते हैं कि कांग्रेस सहित अन्य क्षेत्रीय दल मानते हैं कि हरियाणा और विशेषकर महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में व्यापक धांधली की गई है। महाराष्ट्र में तो लोकसभा और विधानसभा चुनाव के बीच 6 माह के भीतर ही 40 लाख नए मतदाताओं को जोड़कर चुनाव आयोग ने हारी हुई बाजी को पूरी तरह से उलट दिया।
इस बारे में कांग्रेस नेता प्रेस कांफ्रेंस सहित अख़बारों में प्रमाणिक आंकड़े जारी कर लेख भी छाप चुके हैं। चुनाव आयोग की चुप्पी और महराष्ट्र बीजेपी मुख्यमंत्री सहित अन्य की ओर से जवाब भी प्रमाणित करता है कि चुनाव आयोग महाराष्ट्र चुनाव से जुड़े प्रश्नों को सार्वजनिक नहीं करना चाहता, लेकिन सत्ताधारी दल उसके बचाव में सारे घोड़े खोल देता है।
पर यदि चुनाव आयोग अपनी भूल को सुधारने के नाम पर बिहार और उसके बाद समूचे देश में पुनरीक्षण के नाम पर आम मतदाता के वोट के अधिकार को ही छीनने की जुगत भिड़ाने लगे, तो इसे उसकी पारदर्शिता कैसे कहा जा सकता है? यानि एक तरफ फर्जी वोटर पर यदि आपत्ति की गई तो चुनाव आयोग के माध्यम से मोदी सरकार जेनुइन लेकिन हाशिये पर पड़ी आबादी को वोट के अधिकार से वंचित कर भी पलड़े को अपने पक्ष में ही झुकाने पर आमादा है।
इस सिलसिले में कल पटना में महागठबंधन की ओर से प्रेस कांफ्रेंस आयोजित की गई। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष, राजेश कुमार राम के अनुसार, “चुनाव आयोग ने पहले तो महाराष्ट्र में गैर-वैधानिक तरीके से फर्जी वोट के सहारे चुनाव परिणाम को प्रभावित किया और अब बिहार में वैधानिक तरीके से जेनुइन मतदाताओं को मतदान की प्रकिया से बाहर करने की कोशिश शुरू कर दी है।”
वास्तव में राजेश कुमार राम की टिप्पणी बेहद सटीक है। लोकतंत्र में यदि कॉर्पोरेट की सरकार हो तो वह आसानी से सिस्टम को पंगु बनाने के लिए नियमों को अपने हिसाब से तय कर सकती है। यह कुछ-कुछ तरबूज और छूरे वाला किस्सा है। लोकतंत्र का क्या होगा यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि लाठी किसके हाथ में है?
राजद नेता और महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के दावेदार, तेजस्वी यादव ने विस्तार से बताया कि किस प्रकार बिहार में चुनावी हालात को देखते हुए मुख्यमंत्री नितीश कुमार दिल्ली जाकर चुनाव में नियमों में बदलाव की तिकड़म भिड़ा चुके थे। उन्होंने बताया, “पिछली बार चुनाव आयोग के द्वारा इस प्रकार की कवायद 22 वर्ष पूर्व की गई थी, जिसमें 2 वर्ष लगे थे। लेकिन अब चुनाव आयोग इसे बिहार में मात्र 25 दिन में पूरा करना चाहता है. क्या यह संभव है?”
इसके साथ ही उन्होंने बताया कि यह समय बिहार में बाढ़ का समय है, और बिहार का 73% हिस्सा इस समय नदियों में पानी बढ़ने, डूब क्षेत्र से खुद और अपने जानवरों को सुरक्षित रखने की जुगत में लगा होता है। इतना ही नहीं, तेजस्वी ने बताया कि चुनाव आयोग ने आधार कार्ड और मनरेगा कार्ड को वैध मतदाता की पहचान का आधार नहीं माना है, जबकि अभी हाल ही में आयोग ने मतदाता पहचान पत्र और आधार कार्ड को लिंक किये जाने की बात कही थी, ताकि डुप्लीकेसी को रोका जा सके।
तेजस्वी यादव ने सरकारी दस्तावेजों का हवाला देते हुए बताया कि बिहार में कुल 8 करोड़ वैध मतदाता है। जिसमें से 4.79 करोड़ लोगों को 1 जुलाई से 31 जुलाई के बीच अपनी नागरिकता को साबित करना होगा। इसमें नागरिकता का सबूत पेश करने के अलावा अपने माता या पिता की नागरिकता साबित करनी होगी। और जो लोग 18 से 20 वर्ष की उम्र के बीच हैं, उन्हें माता-पिता दोनों की नागरिकता का सबूत देना होगा। इसमें माता-पिता की जन्मतिथि और स्थान को प्रमाणित करना होगा।
तेजस्वी यादव ने भारत सरकार के एनऍफ़एच 3 के सर्वेक्षण का हवाला देते हुए बताया कि 2001 से 2025 में जन्में बच्चे में से सिर्फ 2.8% के पास अपने जन्म का सर्टिफिकेट है। इसी प्रकार मैट्रिक स्कूल की पढ़ाई का प्रमाण 40 से 60 वर्ष के लोगों में मात्र 10 से 13% लोगों ने ही हाई स्कूल की पढाई पूरी की है। इसका अर्थ हुआ कि बाकी 87% लोग अपने मताधिकार से वंचित हो जायेंगे।
सीपीआई (एमएल) के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने स्पष्ट किया कि बिहार चुनाव के संदर्भ में चुनाव आयोग ने इससे पहले भी दिल्ली में सभी दलों के साथ बैठक की, लेकिन उस समय ऐसी किसी भी मुहिम का कोई जिक्र नहीं किया गया था। उन्होंने इसे नोटबंदी की तर्ज पर वोटबंदी की मुहिम करार दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि भारत के नागरिकों के बर्थ सर्टिफिकेट और मृत्यु के पंजीयन का रिकॉर्ड सरकार की जिम्मेदारी है, इसके लिए चुनाव आयोग मतदाताओं पर जिम्मेदारी नहीं थोप सकता।
सभी दलों की राय में बिहार को गिनी पिग की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है। भाजपा को लगता है कि बिहार जैसे राज्य में इस प्रयोग को सफलतापूर्वक संपन्न किया जा सकता है। लेकिन शायद मोदी सरकार और चुनाव आयोग बिहार के मिज़ाज को अभी सही तरीके से समझ नहीं सका है। तेजस्वी यादव, दीपांकर भट्टाचार्य, राजेश कुमार सहित वीआईपी और सीपीआई के नेताओं ने बड़े ही स्पष्ट तौर पर कहा है कि वे चुनाव आयोग की मंशा को समझ रहे हैं, और बिहार को सचेत रहने की अपील की है।
तृणमूल कांग्रेस प्रमुख, ममता बनर्जी ने तो इसे एनआरसी से भी खतरनाक बता दिया है, जबकि असदुद्दीन ओवैसी ने भी इस मामले में सीधे तौर पर निर्वाचन आयोग को आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि चुनाव आयोग बिहार में गुप्त तरीके से एनआरसी को लागू कर रहा है!
यदि चुनाव आयोग इस कवायद पर अड़ा रहता है तो क़ायदे से तो 2024 के आम चुनाव सहित हरियाणा, महाराष्ट्र, दिल्ली, जम्मू कश्मीर और झारखंड के सभी चुनावों को भी उसे रद्द कर देना चाहिए, क्योंकि ये सभी चुनाव भी गहन पुनरीक्षण के आधार पर संपन्न नहीं किये गये थे।
दीपांकर भट्टाचार्य ने सटीक आकलन करते हुए कहा कि अभी तक देश में आम मतदाता सरकार चुनता था, लेकिन आज चुनाव आयोग की मदद से मौजूदा सरकार अपने लिए वोटर का चुनाव कर रही है। 1947 में देश आज़ाद हुआ। देश को अभी तक सिर्फ इस बात पर गर्व था कि भले ही हम देश में आर्थिक-सामजिक समानता नहीं ला सके, लेकिन विकसित देशों से भी पहले हम अपने देश में हर बालिग़ व्यक्ति को वोट देने का अधिकार देने वाले देशों की सूची में अग्रणी होने जा रहे हैं।
आखिर यही वह अधिकार है, जिसके बल पर देश की व्यवस्थापिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका की व्यवस्था चलती है। चुनाव आयोग का भी अस्तित्व इसी के आधार पर है, जिसका पहला काम यह है कि एक भी बालिग भारतीय अपने मताधिकार से वंचित न रहने पाए। लेकिन आज वही चुनाव आयोग मताधिकार का गला घोंट देशवासियों से अपने नागरिक होने का सुबूत मांग रहा है?
चुनाव आयोग के द्वारा कल से इस अधिसूचना को X पर साझा किया गया है, जिस पर आम लोग आयोग को लानतें पेश कर रहे हैं। कई लोगों ने तो बांग्लादेश के चुनाव आयोग प्रमुख के साथ भीड़ की हिंसा की खबर साझा करते हुए चुनाव आयोग को चेताया है। देखना होगा कि क्या चुनाव आयोग अपने कदम पीछे खींचता है, या विपक्ष एक बार फिर आत्मसमर्पण की मुद्रा में लौट आता है?
(रविंद्र पटवाल जनचौक संपादकीय टीम के सदस्य हैं)