देहरादून। उत्तराखंड में लगभग हर सरकारी नौकरी में धांधली हो रही हैं। कभी भर्ती परीक्षाओं के पेपर लीक हो जाते हैं तो कभी नकल करवाकर या फिर पैसे देकर परीक्षार्थी को पास करवा दिया जाता है। यूकेएसएसएससी (उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग) के एग्जाम में धांधली का मामला खुलने के बाद एक के बाद एक कई नौकरियों में धांधली किए जाने की बात सामने आई है।
खास बात यह है कि लगभग सभी मामलों में कोई न कोई भाजपा नेता जुड़ा हुआ है। उत्तराखंड का बेरोजगार युवा पहले भी उत्तराखंड बेरोजगार संघ के बैनर तले सड़कों पर उतरा था।
लेकिन इस बार युवाओं का आक्रोश सातवें आसमान पर है। वे लाठी-डंडे खाने और जेल जाने तक के लिए तैयार हैं। यही वजह है कि प्रशासन और पुलिस ने चुप्पी साधे रहने में ही भलाई समझी और पूरे दिन राजपुर रोड को न खोलने का प्रयास किया।
उत्तराखंड बेरोजगार संघ ने जेई, एई, पटवारी सहित विभिन्न पदों पर भर्ती में हुई धांधली की सीबीआई जांच करवाने की मांग को लेकर 8 फरवरी को सत्याग्रह शुरू किया था। दिनभर गांधी पार्क के बाहर बैठे रहने के बाद युवाओं ने रात को भी सत्याग्रह जारी रखा। देर रात करीब दो दर्जन युवा धरनास्थल पर बैठे थे। इनमें कुछ युवतियां भी थी।
इसी दौरान पुलिस की एक टीम वहां पहुंच गई और युवाओं को खींचकर वहां से हटाने का प्रयास करने लगी। स्थिति ऐसी थी कि बिना महिला पुलिस के ही धरने पर बैठी छात्राओं को पुलिस ने खींचने का प्रयास किया। युवाओं ने जब इसका विरोध किया तो पुलिस ने संघ के अध्यक्ष बॉबी पंवार की पिटाई करके घसीटना शुरू कर दिया। जिसके बाद युवाओं ने इस घटना का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाल दिया और साथ ही 9 फरवरी को सुबह गांधी पार्क पहुंचने की अपील भी कर दी।
10 हजार युवा प्रदर्शन में हुए शामिल
सुबह तक पुलिस की ओर से की गई छीना-छपटी और युवाओं को घसीटने और डंडों से उनके पैर तोड़ने का प्रयास करने वाला वीडियो सोशल मीडिया के जरिए लाखों लोगों तक पहुंच गया। नतीजा यह हुआ है कि सुबह 9 बजे ही गांधी पार्क पर युवा की भीड़ जुटनी शुरू हो गई। 11 बजने तक करीब 10 हजार युवाओं की भीड़ घंटाघर से गांधी पार्क और एस्लेहॉल तक पहुंच गई।
स्थिति यह हो गई कि युवा जगह-जगह सड़कों पर बैठ गए। करीब डेढ़ किलोमीटर तक राजपुर रोड़ सड़क के दोनों किनारों पर भी युवाओं की भारी भीड़ आ गई। संभवतः प्रशासन को यह अंदाजा नहीं था कि एक साथ इतनी बड़ी संख्या में युवा और अभिभावक पहुंच जाएंगे। शुरू में पुलिस ने एक-दो राउंड आंसू गैस के गोले भी छोड़े। जिसे कुछ युवकों ने उठाकर वापस पुलिस वालों की तरफ ही उछाल दिया।

पुलिस को अपनी कारवाई के हिसाब से लगा था कि आंसू गैस के गोले छोड़ने पर लोग डर जाएंगे और शांत हो जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। बल्कि इस तरह की कारवाई से युवा और उत्तेजित हो गए। युवाओं ने और तेजी से नारे लगाना शुरु कर दिए। जिसके बाद प्रशासन ने आंसू गैस के गोले छोड़ने और लाठीचार्ज करने का इरादा बदल दिया।
आज के प्रदर्शन की एक खासियत यह भी रही कि युवाओं ने कहीं भी ऐसा मौका नहीं दिया, जिससे प्रशासन को सख्त रवैया अपनाने और बल प्रयोग करने का मौका मिलता।
प्रदर्शन में शामिल डीएवी कॉलेज छात्रसंघ के उपाध्यक्ष और एसएफआई से जुड़ी सोनाली नेगी ने कहना था कि अब तक जितने भी नौकरी संबंधी घोटाले हुए हैं, उनमें कोई न कोई भाजपा का नेता शामिल हैं। यूकेएसएसएससी पेपरलीक मामले में हाकम सिंह की संलिप्तता इसका उदाहरण है।
वे कहती हैं कि सरकार ने भर्ती परीक्षाओं में नकल करने के लिए नीति बनाने की बात कही है। इस नीति के मसौदे को 15 फरवरी की बैठक में मंजूरी देने की बात कही जा रही है। जबकि 14 फरवरी को कई भर्ती परीक्षाएं हैं। वे पूछती हैं कि क्या 14 फरवरी की परीक्षाओं में नकल करने की छूट दी जा रही है?
बिना महिला पुलिस के आई पुलिस
उत्तराखंड बेरोजगार संघ के अध्यक्ष गणेश धामी बताते हैं कि रात को करीब दो दर्जन युवा गांधी पार्क में धरने पर बैठे थे। पहले पुलिस की एक गाड़ी आई और जायजा लेकर चली गई। थोड़ी देर में दर्जनभर पुलिस वाले वहां पहुंच गए। उन्होंने धरना देने वालों के साथ खींचतान शुरू कर दी। उनके साथ कोई महिला पुलिसकर्मी नहीं थी। पुरुष पुलिस कर्मियों ने महिलाओं के साथ ही छीना-झपटी शुरू कर दी।
इससे पहले पुलिस ने सभी के आईकार्ड मांगे। ज्यादातर ने अपने आधार कार्ड दिखाए जिसे पुलिस वालों ने ले लिया और युवाओं के लौटाया नहीं। जबरन उठाये जाने और युवतियों के साथ इस तरह की अभद्रता का विरोध करने पर पुलिस वालों ने धरने का नेतृत्व कर रहे बॉबी पंवार की पिटाई शुरू कर दी उन्हें डंडों से पीटा गया और गाली गलौच भी किया।
दिन भर शांतिपूर्ण चला आंदोलन शाम होते ही हिंसक हो गया। गांधी पार्क से नारेबाजी करते हुए युवाओं का हुजूम घंटाघर पहुंचा, जहां कुछ लोगों ने पथराव कर दिया। इसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज किया और सैकड़ों युवाओं को गिरफ्तार कर लिया। उत्तराखंड बेरोजगार संघ के अध्यक्ष बॉबी पवार सहित दर्जनों युवाओं को को चोटें आई हैं। और उन्हें पुलिस लाइन ले जाया गया है। आंदोलन में शामिल करीब दो दर्जन छात्राओं को सिद्धोवाला जेल ले जाया गया है।

खास बात यह है कि रात को जब पुलिस गांधी पार्क में जाकर धरना दे रहे बेरोजगार युवकों के साथ जोर-आजमाइश कर रही थी, करीब-करीब उसी समय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने लगा। जिसमें मुख्यमंत्री रात के वक्त एक मूंगफली के ठेले पर खड़े होकर मूंगफली कुतरते नजर आ रहे थे।
समझा जा रहा है कि यह युवाओं की पिटाई से लोगों का ध्यान भटकाने का प्रयास किया जा रहा था, लेकिन यह प्रयास असफल रहा। पुलिस का डंडा जो रात को युवाओं पर चला था, दिन निकलने के बाद वह मुख्यमंत्री के लिए कटघरा बन गया।
युवाओं के साथ नारेबाजी कर रहे एक अभिभावक और उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मोहन सिंह रावत का कहना था कि धामी सरकार चाहती थी कि युवाओं को डरा-धमकाकर घर बिठा देंगे। लेकिन वे ऐसा नहीं होने देंगे।
उनका कहना था कि पहाड़ के लोग मुलायम सिंह की क्रूर सत्ता से उत्तराखंड छीनकर लाए हैं। उत्तराखंड के भविष्य के साथ इस तरह का खिलवाड़ किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। चाहे इसके लिए कुछ भी करना पड़े।
उन्होंने मुख्यमंत्री धामी को चेतावनी दी है कि बच्चे भर्ती परीक्षाओं में धांधली की सीबीआई जांच करवाने की मांग कर रहे हैं। इस मांग को सरकार तुरंत माने और अब तक जो-जो लोग इस तरह के घोटालों में शामिल रहे हैं, उनकी सूची सार्वजनिक करें।
सड़कों पर उतरे इन युवाओं के साथ कांग्रेस और उत्तराखंड क्रांति दल के नेताओं के साथ ही सीपीआई-एमएल के गढ़वाल सचिव इद्रेश मैखुरी भी मौजूद थे। इंद्रेश ने कहा कि जिस तरह रात के अंधेरे में धरने पर बैठे युवाओं के साथ जोर-जबरदस्ती की गई, वह असहनीय है। वे इस घटना पर विरोध करने के लिए यहां आए हैं।
इंद्रेश मैखुरी ने कहा कि अभी युवाओं में बेहद गुस्सा है, उनके साथ किसी भी तरह की बात करना या आगे की रणनीति बनाना संभव नहीं है। लेकिन, वे चाहते हैं कि इस आंदोलन को एक दिन का आंदोलन न बना रहने दिया जाए, बल्कि तब तक आंदोलन चलता रहे, जब तक युवाओं के साथ धोखा करने वाले एक-एक नेता और एक-एक दलाल को सामने लाकर उसे सजा न मिल जाए।
(देहरादून से त्रिलोचन भट्ट की रिपोर्ट।)
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