रामदेव साबित हुए मिलावटी बाबा, पतंजलि शहद के नाम पर बेचती है शक्कर

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व्यापारियों के उत्पादों के सैम्पल परीक्षण होते रहते हैं और अक्सर महत्वपूर्ण ब्रांड में भी जब उनकी लैब टेस्टिंग होती है तो, गलतियां मिलती रहती हैं। पर सबसे आश्चर्यजनक है बाबा रामदेव की पतंजलि कम्पनी के उत्पाद में मिलावट का पाया जाना। रामदेव के उत्पाद पहले भी लैब टेस्ट में फेल हो चुके हैं, और अब भी वे फेल हो रहे हैं।

रामदेव एक व्यापारी के बजाय एक योगगुरु या आयुर्वेद के विश्वसनीय उत्पाद बनाने वाले के रूप में जाने जाते हैं। वे अक्सर शुद्धता, स्वदेशी, शुचिता, और विश्वसनीयता का ढिंढोरा भी पीटते रहते हैं। 2012 – 13 में देश मे चले अन्ना हजारे के इंडिया अगेंस्ट करप्शन आंदोलन के वे एक बड़े चेहरे थे। काले धन, आयकर, और अन्य आर्थिक मुद्दों पर उन्होंने एक कुशल अर्थविशेषज्ञ के रूप में अपनी राय भी कभी रखी थी। उनके पास देश के काले धन के बारे में सबसे विश्वसनीय आंकड़े भी हैं। वे यह सब कागज़ पत्तर लेकर कई बार टीवी और जन सभाओं में रूबरू भी हो चुके हैं।

पर आज वह एक अपराधी हैं। आज उनकी कंपनी के उत्पाद में अगर मिलावट मिलती है तो यह निंदनीय है। यह तो उनके चोले और संतई के लबादे का अपमान है। इसका यही अर्थ हुआ कि, योग, आयुर्वेद, राष्ट्रभक्ति की आड़ में वे एक धंधा करते रहे हैं जो न सिर्फ मिलावटी सामान बेचता रहता है, बल्कि वे चीन के उत्पाद का भी प्रयोग करते हैं। चीन को दुर्लभ रक्त चंदन तस्करी से भेजते हुए भी उनका नाम उस गैंग में आया था। यह अलग बात है कि सत्ता की कृपा उन्हें इन सब झंझटों से बचाये रखती है।

प्रख्यात व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई जी कह गए हैं कि जब अर्थशास्त्र, धर्मशास्त्र पर हावी हो जाता है तो पंडित जी जूते की दुकान खोल लेते हैं। बाबा ने भी एक मोहित शिष्य समाज बनाया। योग के कुछ टिप बताये। लोगों को स्वस्थ रहने के गुर समझाये। लोगों में इसका प्रभाव भी हुआ। कपाल भाति, अनुलोम विलोम, आदि आदिकाल से चले आ रहे विभिन्न प्राणायामों को उन्होंने, टीवी और अन्य प्रचार माध्यमों से घर-घर पहुंचाया। लोगों को इसका लाभ भी हुआ। रामदेव की शिष्य और अनुयायी परंपरा में तेजी से वृद्धि भी हुयी।

फिर इस धर्मशास्त्र पर अर्थशास्त्र हावी हुआ और एक कम्पनी खुल गयी पतंजलि नाम से। देश मे स्वदेशी या आयुर्वेदिक चिकित्सा की एक लॉबी है जो इसके पक्ष में काम करती रहती है। इसी लॉबी में राजीव दीक्षित जी भी थे। उन्होंने मल्टीनेशनल कंपनियों और बड़ी दवा कंपनियों के खिलाफ एक अभियान भी छेड़ा था। उनसे मेरी मुलाकात थी। वे प्रतिभावान व्यक्ति थे। उनकी मृत्यु हो गयी और इस पर भी विवाद उठा था। अब भी विवाद उठता रहता है।

पतंजलि स्वदेशी और आयुर्वेद के झंडाबरदार कंपनी के रूप में सामने आयी। धीरे धीरे दवा के कारोबार से बढ़ कर यह कम्पनी आटा, चावल, दाल से लेकर नूडल और कपड़ों तक के कारोबार में आ गयी। इनके वैद्य बालकिशन की आयुर्वेदिक डिग्री और ज्ञान पर भी सवाल उठ चुका है। हरिद्वार में जमीन के कब्जे और हेराफेरी के भी आरोप इन पर लग चुके हैं। कहने का आशय यह है कि जो भी आपराधिक आरोप किसी भी कारोबारी कंपनी पर लगते रहते हैं, और लग सकते हैं, वे रामदेव, बालकृष्ण और इनकी कंपनी पर लग चुके हैं । इसी क्रम मे यह ताज़ा आरोप है कि इनके द्वारा बनाया जा रहा शहद, मिलावटी है।

रामदेव और उनकी कम्पनी पर लगा आरोप उत्पाद की गुणवत्ता को लेकर है। उनका अपराध मिलावट का है। खाद्य उत्पाद में मिलावट का अपराध जघन्य अपराधों की कोटि में आता है। पतंजलि सहित सभी कम्पनियों के उत्पाद अगर परीक्षण में फेल हो गए हैं और उनमें मिलावट सिद्ध हो गयी है तो, सरकार को चाहिए कि उनके खिलाफ आपराधिक धारा का मुकदमा दर्ज कर उनके खिलाफ कार्रवाई हो। रामदेव अब एक व्यापारी हैं, वैसे ही जैसे अन्य अन्य कम्पनियां व्यापार करती हैं। यह भी कंपनी, कॉरपोरेट के वे सभी हथकंडे अपनाते हैं जो अन्य कंपनियां अपनाती हैं। जो भी हो, मिलावट का सीधा असर जन स्वास्थ्य पर पड़ता है। इस अपराध पर सरकार को कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।

( विजय शंकर सिंह रिटायर्ड आईपीएस अफसर हैं और आजकल कानपुर में रहते हैं।)

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