दिल्ली। पानी लोगों के लिए श्राप भी बन सकता है इस बात का प्रमाण यमुना के जलस्तर के बढ़ने से दिल्ली में दिख रहा है। यमुना से सटे सभी इलाके इस वक्त पानी के चपेट में हैं। इन स्थानों पर बसे लोगों को पानी के भर जाने से अपने घरों को छोड़कर भागना पड़ा है। ऐसे स्थानों पर बहुतायत में झुग्गी-झोपड़ियां बनी हुई हैं, और इनमें गरीब तबके के लोग रहते हैं, जिन्हें जलभराव से सबसे ज्यादा दिक्कतें हुईं हैं।
दिल्ली के यमुना खादर में बसे लोगों के लिए दिक्कतें तो बहुत थीं लेकिन इस इलाके में जलभराव ने इनके जीवन में मुश्किलों का पहाड़ खड़ा कर दिया है। यमुना का जल स्तर क्या बढ़ा लोग बेघर और लाचार हो गए। अब लोगों के जीवन में दोहरी चुनौती है “खाना-पीना और घर”।

यमुना खादर में रह रहे लोगों का कहना है कि, ‘आज से पहले हम लोग खेती-किसानी करके पेट भरते थे लेकिन पिछले 2 साल से हमारे पास खेती करने का भी विकल्प नहीं है क्योंकि दो साल पहले सरकार ने सारी जमीन हमसे ले ली है।
यमुना खादर निवासी इंदिरा बताती हैं कि, “खाना और पीने के पानी के लिए हम लोगों को सोचना पड़ रहा है, अगर कोई खाना देने आ जाता है तो हम लोग खाना खा लेते है वरना भूखे ही रहते हैं। कल तक मजदूरी करके हम अपना पेट भर लेते थे लेकिन इस जलभराव ने सब कुछ खतम कर के रख दिया है। ना कमा पा रहे हैं और ना ही ढंग से खा पा रहे हैं। सरकार की तरफ से कोई सहायता भी नहीं मिल रही है। एनजीओ और समाजसेवी संगठनों से लोग आकर हमारी मदद कर रहे हैं और उन्हीं की वजह से हम तक खाना पहुंच रहा है।”

यमुना खादर में गौशाला भी बने हुए हैं, जहां करीब 200 गायों की सेवा की जा रही थी लेकिन जलभराव के कारण वहां से जैसे-तैसे गायों को निकाला गया और उन्हें सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया गया। जलभराव ने इंसानों के साथ-साथ जानवरों का भी जीना मुहाल कर दिया है। एक इंसान फिर भी जीने के लिए हाथ-पैर मार सकता है लेकिन बेजुबान जानवर के लिए ऐसे पल बहुत ही नाजुक होते हैं।
विस्थापितों में से एक कल्लू बताते हैं कि, “पन्नी और 2 बांस के सहारे किसी तरह से टेंट लगाकर सिर छुपाने के लिए जगह बनाए हैं। इस बाढ़ में सब कुछ बह गया है। जल स्तर बढ़ने की खबर सुनते ही किसी तरह से वहां से जान लेकर भागे। हालांकि सामान कुछ नहीं बचा पाये, और अब आलम ये है कि भुखमरी के दिन देखने पड़ रहे हैं।”

यमुना खादर निवासी शिवरत्न जनचौक से बात करते हुए रोने लगते हैं और बताते हैं कि, “यहां पर अचानक से पानी आ गया और हम लोग काम करके आये तो देखे कि पानी छाती से ऊपर के लेवल तक भरा हुआ है। किसी तरह से परिवार और बच्चे को लेकर वहां से निकल कर आये और ऊंचे स्थान पर आकर रुके। इतना तेज और ज्यादा पानी आ गया था कि बर्तन और कपड़े कुछ नहीं बचा पाए। पहले भी पानी आता था लेकिन चला जाता था। इसी वजह से हमें लगा कि फिर से पानी नीचे चला जाएगा लेकिन इस बार पानी कुछ ज्यादा बढ़ गया। हमें समझने और सावधान होने का भी मौका नहीं मिला।”
नम आंखों के साथ यमुना खादर के लोग इस आस में बैठे हैं कि, जल्दी से पानी का स्तर कम हो तो वो अपनी सामान्य जिंदगी में वापस जा सकें और नहीं तो कम से कम सरकार इनकी मदद करे व इनके लिए मुआवजे का प्रावधान करे। हालांकि इन गरीबों की कोई सुनने के लिए तैयार नहीं है और जितने भी लोग और संस्थाएं उनकी मदद कर रहे हैं वो काफी नहीं हैं।
(दिल्ली के यमुना खादर से राहुल कुमार और आजाद शेखर की ग्राउंड रिपोर्ट)
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