सर्वोदय प्रकाशन की पुस्तकें दमनकारी सरकार के जुल्म की निशानी, शुक्रवार से पुस्तकों का नि:शुल्क वितरण

वाराणसी। सर्व सेवा संघ परिसर पर कब्जा के बाद विनोबा-जेपी की विरासत यानि सर्वोदय प्रकाशन से प्रकाशित 1500 टाइटल की 3 करोड़ से अधिक किताबों को सुरक्षित रखना चुनौती साबित हो रहा है। जेल से निकलने के बाद गांधीजनों ने निर्णय किया है कि किताबों को आम जनता, छात्रों-युवाओं, बुद्धिजीवियों और किसानों के बीच बांट दिया जाये। क्योंकि सर्व सेवा संघ के पास न तो इतना पैसा है कि करोड़ों किताबों को रखने के किराए पर भवन ले सके और न ही मौजूदा समय यह इजाजत देता है कि अदालती लड़ाई और परिसर को बचाने के संघर्ष को छोड़कर किताबों की हिफाजत को पूरा समय दिया जाए।

उत्तर प्रदेश सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष रामधीरज भाई ने बताया कि “सर्व सेवा संघ के मामले में कल 28 जुलाई को सिविल कोर्ट में सुनवाई है। अगर सबूत, तर्क और कानून के आधार पर फैसला होगा तो हमारे पक्ष में आएगा क्योंकि हमारे पास 1960, 1961 और 1970 का रजिस्ट्री पेपर है। हमें विश्वास है न्यायालय कानून और साक्ष्य की अनदेखी नहीं करेगा। कल अदालत का फैसला जो भी आएगा, हम उसे स्वीकार करेंगे।”

रामधीरज कहते हैं कि “शुक्रवार से ही हम जनता अदालत में भी जाएंगे। हम कूड़े की तरह फेंकी गई किताबों को सहेज और संवार रहे हैं। 5 और 10 पुस्तकों के छोटे-छोटे पैकेट बना रहे है। विद्यार्थियों के लिए गांधी आत्मकथा, विनोबा की अहिंसा की तलाश, जयप्रकाश नारायण (जेपी) का संपूर्ण क्रांति व लोकतंत्र आदि साहित्य, गांव के लोगों के लिए खेती और ग्राम स्वराज्य संबंधी किताबें, आध्यात्मिक लोगों के लिए गीता प्रवचन, महागुहा में प्रवेश, वेदा अमृत आदि किताबें, शिक्षकों के लिए विनोवा का शिक्षण विचार और गांधीजी का बुनियादी तालीम आदि अलग-अलग विषयों से संबंधित पुस्तकें विद्यालयों और घरों में पहुंचाएंगे और उन्हें बताएंगे कि यह पुस्तकें दमनकारी सरकार की जुल्म की निशानी है। इसे सहेज कर रखें और आने वाली पीढ़ियों को बताएं।”

रामधीरज ने कहा कि सर्व सेवा संघ से जुड़े लोग 1 अगस्त से गांव और स्कूलों में जाकर इसका वितरण करेंगे और उनसे संवाद भी करेंगे। 9 अगस्त को अगस्त क्रांति दिवस पर राष्ट्रीय सम्मेलन होगा और 10 अगस्त को रैली करेंगे। इस रैली मे मेघा पाटकर, राकेश टिकैत और जेपी आंदोलन के 100 से अधिक सांसद, विधायक और लोकतंत्र सेनानी आ रहे हैं।

(वाराणसी से प्रदीप सिंह की रिपोर्ट।)

प्रदीप सिंह

दो दशक से पत्रकारिता में सक्रिय और जनचौक के राजनीतिक संपादक हैं।

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3 thoughts on “सर्वोदय प्रकाशन की पुस्तकें दमनकारी सरकार के जुल्म की निशानी, शुक्रवार से पुस्तकों का नि:शुल्क वितरण

  1. सरकार को ऐसा नहीं करना चाहिए हमारे इतिहास और हमारे लोगों को कुचला जा रहा है। यह कहीं न्याय नहीं है आज सर्वोदय का यह हाल हुआ कल के दिन यह सारे इतिहास को खत्म कर देंगे हम मिलकर इस से लड़ेंगे।

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