चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एसके कौल और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ ने गुरुवार को फैसला सुनते हुए कहा कि वह केंद्र सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट को आवंटित 1.33 एकड़ जमीन को वकीलों के चैंबर के लिए जगह के रूप में बदलने के लिए सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की याचिका के न्यायिक पक्ष पर विचार नहीं कर सकता।
पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन वकीलों के चैंबर में बदलाव करने के लिए केंद्र द्वारा आवंटित 1.33 एकड़ भूमि पर अधिकार का दावा नहीं कर सकता है। हालांकि पीठ ने प्रशासनिक पक्ष पर विचार करने के लिए इस मुद्दे को खुला छोड़ दिया।
इसके पहले जब सुनवाई शुरू हुई तो एससीबीए के अध्यक्ष विकास सिंह ने कहा कि बार उनकी बात सुनने के लिए अदालत का आभारी है और वे इस संस्था के अधिकार को कम करने के लिए कभी भी ऐसा कुछ नहीं करेंगे, भले ही इस मामले में कुछ भी हो जाए। इसके साथ बेंच और बार की कड़वाहट समाप्त हो गयी।
पीठ ने कहा कि केंद्रीय मंत्रालय द्वारा अभिलेखागार के आवास सहित अलग-अलग उद्देश्यों के लिए सुप्रीम कोर्ट को स्थान आवंटित किया गया। न्यायालय को वर्तमान और भविष्य दोनों के लिए वकीलों और वादकारियों सहित हितधारकों की जरूरतों को संतुलित करना है।
सीजेआई चंद्रचूड़ ने फैसले के ऑपरेटिव भाग को पढ़ा,जिसमें कहा गया है कि ये ऐसे मामले हैं जिन्हें न्यायिक मानकों के आवेदन से हल नहीं किया जा सकता है और इन्हें सुप्रीम कोर्ट के प्रशासनिक पक्ष में लिया जाना है। पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ब्लॉक के रूप में भगवानदास रोड के पास पूरे क्षेत्र के रूपांतरण के लिए एससीबीए की प्रार्थना को भी स्वीकार नहीं कर सकता।
क्योंकि न्यायिक पक्ष की ओर से इस तरह के निर्देश जारी नहीं किए जा सकते। हालांकि, अदालत ने इस मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट द्वारा अपने प्रशासनिक पक्ष पर विचार करने के लिए खुला छोड़ दिया, क्योंकि इस प्रक्रिया में एससीबीए, एससीएओआरए और अन्य हितधारकों के साथ चर्चा की जरूरत होगी। इन टिप्पणियों के साथ पीठ ने एससीबीए द्वारा दायर याचिका का निस्तारण कर दिया। पिछली सुनवाई में ही पीठ ने इस मुद्दे पर न्यायिक पक्ष से विचार करने के प्रति अपनी अनिच्छा जताई थी।
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा था कि वकील हमारे ही हिस्सा हैं। यह हमारी संस्था का हिस्सा हैं। अगर हम अपने न्यायिक आदेशों का उपयोग करते हैं तो यह एक संदेश है कि देखिए सुप्रीम कोर्ट क्या कर रहा है। आप न्यायिक शक्तियां ले रहे हैं और अपने विस्तार के लिए इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। आज यह भूमि है तो कल कुछ और होगा।
इससे पहले सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन से कहा कि वह न्यायिक आदेश से अन्य संगठनों से संबंधित भवनों को अपने कब्जे में लेकर अपने परिसर का विस्तार नहीं कर सकता है और यह केवल इस मुद्दे को सरकार के साथ प्रशासनिक रूप से उठाकर ही किया जा सकता है।
पीठ ने एससीबीए के अध्यक्ष विकास सिंह के एक सुझाव पर यह बात कही, जिस पर एक बंगले की जमीन पर नजर है, जिस पर विदेशी संवाददाता क्लब (एफसीसी) खड़ा है। विकास सिंह को यह कहते हुए कि वे वकीलों के सामने आने वाली कठिनाइयों के प्रति जागरूक हैं, पीठ ने कहा कि वे वकीलों के कक्षों के लिए मौजूदा ढांचे को ध्वस्त नहीं कर सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने परिसर के विस्तार के लिए भवनों के अधिग्रहण पर सरकार के साथ मामला उठाने का सुझाव दिया। पीठ ने केंद्र द्वारा आवंटित सुप्रीम कोर्ट की 1.33 एकड़ भूमि को वकीलों के लिए चैंबर ब्लॉक में बदलने की मांग पर टिप्पणी की कि वह अपने परिसर का विस्तार करने के लिए इमारतों को न्यायिक रूप से कैसे अपने कब्जे में ले सकता है।
पीठ ने कहा कि वह विदेशी संवाददाताओं के क्लब सहित सुप्रीम कोर्ट के सभी भवनों को न्यायिक रूप से अपने कब्जे में लेने के लिए ऐसा कैसे कर सकती है।
पीठ ने कहा कि हम इसे प्रशासनिक रूप से सरकार के सामने उठा सकते हैं। यह हमारे देश में न्यायपालिका की पुरानी परंपरा रही है। विकास सिंह ने कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय का विस्तार करने के लिए कई इमारतों को लिया गया था। कोर्ट ने कहा कि ऐसा सरकार द्वारा लिए गए प्रशासनिक फैसले पर किया गया है।पीठ ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद मामले को आदेश के लिए सुरक्षित रख लिया था।
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से दायर याचिका पर कोर्ट सुनवाई कर रहा था।
एसोसिएशन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह पेश हुए। यह याचिका एक एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड युगंधरा पवार झा के माध्यम से दायर की गई थी। याचिका में, एससीबीए ने शीर्ष अदालत से शहरी विकास मंत्रालय को एक निर्देश जारी करने का आग्रह किया है कि आईटीओ के पास पेट्रोल पंप के पीछे सुप्रीम कोर्ट को आवंटित 1.33 एकड़ जमीन को वकीलों के लिए चैंबर ब्लॉक के रूप में आवंटित करने की अनुमति दी जाए।
याचिकाकर्ता ने मंत्रालय को सुप्रीम कोर्ट के आसपास के पूरे क्षेत्र को सुप्रीम कोर्ट कॉम्प्लेक्स के रूप में बदलने का निर्देश देने की भी मांग की ताकि भगवान दास रोड पर सुप्रीम कोर्ट के सभी भवनों में दक्षिण एशिया के विदेशी संवाददाता क्लब, इंडियन लॉ इंस्टीट्यूट, इंडियन सोसाइटी सहित सभी भवन शामिल हों।
दूसरों के बीच अंतर्राष्ट्रीय कानून का उपयोग या तो चेंबर में रूपांतरण के लिए या चेंबर ब्लॉक के रूप में दोबारा विकास के लिए/सुप्रीम कोर्ट की गतिविधियों के लिए या वकीलों की दूसरी सुविधाओं के लिए उपयोग किया जा सकता है। याचिका में याचिकाकर्ता को वर्तमान में विदेशी संवाददाता क्लब द्वारा कब्जा किए जा रहे सरकारी बंगले को आवंटित करने के लिए मंत्रालय को निर्देश जारी करने की भी मांग की गई है।
सुप्रीम कोर्ट की जमीन को लेकर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और एससीबीए का विवाद फिलहाल थम गया है। इसी बीच सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विकास सिंह ने सीजेआई चंद्रचूड़ को चिट्ठी लिख अपना दर्द बयां किया था। उनका कहना है कि समय के साथ जज बढ़े तो वकील भी। लेकिन जजों की सुविधा कई गुना बढ़ीं, तो वकीलों को कुछ नहीं मिला।
विकास सिंह ने अपनी चिट्ठी में लिखा था कि सुप्रीम कोर्ट की बुनियादी ढांचा विकसित करने वाली स्थाई समिति में बार को प्रतिनिधित्व दिया जाए। सीजेआई को लिखे पत्र में उन्होंने कहा कि समय के साथ जजों और रजिस्ट्री के लिए बुनियादी ढांचे में कई गुना वृद्धि हुई है, लेकिन एससीबीए सदस्यों के उपयोग के लिए बुनियादी ढांचे में उस अनुपात में बढ़ोतरी नहीं हुई है। चिट्ठी में कहा गया था कि बार के लिए बेहद छोटा और गंदा सा भोजन कक्ष है। अदालतों के आसपास वकीलों के लिए वेटिंग रूम भी नहीं है। इसी कारण वकील अदालतों में जमा हो जाते हैं। इससे वहां भीड़ बढ़ती है।
( जे. पी. सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं।)
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