‘एक रुपये’ मुहिम से बच्चों की पढ़ाई का सपना साकार कर रही हैं सीमा

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हम सब अकसर कहते हैं कि एक रुपये में क्या होता है! बिलासपुर की सीमा वर्मा ने इस सोच को ही बदल डाला है। वह कहती हैं एक रुपये में बहुत कुछ हो सकता है। उन्होंने एक-एक रुपये जोड़कर अब तक 33 बच्चों की फीस जमा की है। जब तक ये बच्चे 12वीं तक की शिक्षा पूरी नहीं कर लेते, सीमा उनकी साल दर साल फीस जमा करती रहेंगी।

बिलासपुर जिले की सीमा वर्मा ने एक रुपये मुहिम शुरू करके लोगों की सोच को बदल दिया है। उन्होंने अपना मजाक बनाने वाले और निगेटिव सोच के लोगों के सामने एक नजीर पेश की है। उन्होंने एक-एक रुपये जोड़कर जरूरतमंद बच्चों की फीस जमान करने की छोटी सी शुरुआत की है। आज उनका यह काम एक बड़ी मुहिम बन गई है। उन्होंने कई सारे बच्चों के पढ़ाई के सपने को साकार किया है।

सीमा ने यह मुहिम 10 अगस्त 2016 को शुरू की थी। इसके बाद एक-एक रुपये जोड़कर उन्होंने अब तक 33 बच्चों की फीस जमा की है। यही नहीं उन्होंने 11 हजार से ज्यादा बच्चों को पढ़ाई का सामान भी मुहैया कराया है। सीमा के इस जज्बे को देखते हुए यूपी के मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्या ने उन्हें सम्मानित किया है। इतना ही नहीं सीमा को अब तक 40 से ज्यादा सम्मान मिल चुके हैं। उन्हें बेस्ट वूमन ऑफ द छत्तीसगढ़ सम्मान भी दिया गया है। सीमा के पिता कोल फील्ड में काम करते हैं और उनकी माता हाउस वाइफ हैं। उनके भाई इंडियन आर्मी में हैं।

यह शुरुआत कैसे हुई? सीमा ने बताया, “जब मैं ग्रेजुएशन में थी तो मेरी एक सहेली दिव्यांग थी। मुझे उन्हें ट्राय साइकिल दिलवाना था। इसके लिए मैंने कॉलेज के प्रिंसिपल से बात की तो प्रिंसिपल ने कहा कि एक सप्ताह बाद बात करते हैं। मैंने उसी दिन ठान लिया कि सहेली की मदद जरूर करूंगी। उसी दिन मैं पैदल चल-चल कर मार्केट की कई शॉप पर गई। किसी ने कहा कि यहां नहीं मिलेगी। किसी ने कहा 35 हजार रुपये की मिलेगी लेकिन दिल्ली से मंगानी पड़ेगी। 15 दिन से एक महीना लग सकता है।”

सीमा ने बताया कि एक दुकान से निकलते वक्त सामने एक पंचर बनाने वाले की दुकान पर नजर पड़ी। उनसे पूछा कि इन सब दुकानों के अलावा कोई साइकिल स्टोर है। पंचर बनाने वाले ने पूछा कि आप को क्या चाहिए? सीमा ने उन्हें बताया कि उनकी दिव्यांग दोस्त को बैटरी से चलने वाली ट्राय साइकिल चाहिए। पंचर बनाने वाले ने मजाकिया लहजे से पूछा कि आप कौन सी क्लास में हैं? सीमा ने बताया ग्रेजुएशन लास्ट इयर में हैं। तब पंचर वाले ने कहा कि आपको नहीं बता क्या कि ऐसी साइकिल सरकार मुफ्त में उपलब्ध कराती है।

हैरान सीमा ने उनसे इसके बारे में जानकारी मांगी तो पंचर वाले ने उन्हें जिला पुनर्वास केंद्र का पता बता दिया। उसने बताया कि 8-10 महीने में साइकिल मिल जाएगी। सीमा को दोस्त के लिए जल्द साइकिल चाहिए थी। पंचर वाले ने इसके लिए उनसे कमिश्नर के पास जाने को कहा। सीमा तुरंत कमिश्नर के पास गईं और दूसरे दिन उनकी दोस्त को ट्राय साइकिल मिल गई।

सीमा ने बताया कि इस छोटे से संघर्ष से उन्हें तीन बातें सीखने को मिलीं।
1. कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
2. लोगों को गवर्नमेंट की स्कीम के बारे में पता ही नहीं तो लोग लाभ कैसे लेंगे, इसलिए जागरूकता जरूरी है।
3. आप लोगों की मदद उनको सही रास्ता दिखा कर भी कर सकते हैं।

इसी सोच के साथ सीमा ने एक रुपये मुहिम की शुरुआत की। सीमा सभी देशवासियों से अपील करती हैं कि आप सभी एक-दूसरे की मदद कीजिए। आप एक रुपये मुहिम को जरूरतमंद लोगों के लिए ही नहीं अपने लिए भी शुरू कर सकते हैं। अपने घर पर रोज एक-एक रुपये या उससे ज्यादा इक्कठा कर सकते हैं, ताकि विपरीत परिस्थिति में उसका उपयोग कर पाएं।

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