सरायकेला खरसावां: संयुक्त ग्राम सभा मंच की बैठक में लैंडपूल का विरोध

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झारखंड के सरायकेला खरसावां के चांडिल प्रखंड में 7 अप्रैल को पारम्परिक डोबो ग्राम प्रधान शंकर सिंह, रुगड़ी ग्राम प्रधान सीताराम महतो, गौरी ग्राम प्रधान रघुबीर सिंह सरदार, पुड़ीसिली ग्राम प्रधान लविन सिंह की संयुक्त अध्यक्षता में पुड़ीसिली ग्राम सभा के सामुदायिक भवन में संयुक्त ग्राम सभा मंच की एक बैठक संपन्न हुई। बैठक में जन संगठनों, सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित हुए एवं बैठक का संचालन अनूप महतो के द्वारा किया गया।

बैठक में झारखंड क्षेत्रीय विकास प्राधिकार संशोधन विधेयक 2021 बिल (लैंडपूल) पर विचार विमर्श किया गया। बैठक में बताया गया कि लैंडपूल लागू होने पर ग्राम सभा, आदिवासियों की भाषा, संस्कृति, रीति-रिवाज, सीएनटी-एसपीटी एक्ट, पेसा कानून, पेसा एक्ट, पांचवी अनुसूची में क्या असर पड़ेगा।

बैठक में जो प्रस्ताव पारित किए गए उनमें

● सभी ग्राम सभाओं में जन विरोधी बिल “झारखंड क्षेत्रीय विकास प्राधिकार (संशोधन) विधेयक, 2021” बिल को खारिज करते हुए रेगुलेशन पास करेगी एवं संबंधित पदाधिकारी, जिलाधिकारी, राज्यपाल, राष्ट्रपति, मुख्यमंत्री, स्थानीय विधायक को ज्ञापन सौंपेंगी।

● सभी ग्राम सभाओं में प्रधान के नेतृत्व में यह जन विरोधी बिल का विरोध करते हुए बिल को जलाया जाएगा।

● ज्ञापन सौंपने के 10 दिन के बाद भी अगर राज्य सरकार इस जन विरोधी बिल को वापस नहीं लेती है तो राज्य सरकार के साथ-साथ स्थानीय विधायक का पुतला ग्राम प्रधानों के नेतृत्व में दहन किया जाएगा।

सामाजिक कार्यकर्ता सह संयुक्त ग्राम सभा मंच के संयोजक अनूप महतो ने बताया कि झारखंड सरकार का लैंडपूल विधेयक पूंजीपतियों की मनसा को पूरा करने के लिए झारखंड के आदिवासी-मूलवासी समुदाय का हक छीनेगा। इस विधेयक के लागू होने से शहरों का विस्तार होगा, जिससे सीएनटी एसपीटी एक्ट, पेसा कानून, पांचवी अनुसूची, आदिवासियों की भाषा संस्कृति रीति-रिवाजों पर प्रहार होगा। पांचवीं अनुसूचित क्षेत्र में जमीन संबंधित मामलों पर राज्य सरकार को निर्णय लेने का कोई अधिकार नहीं है। अनूप महतो ने बताया कि झारखंड सरकार के इस विधेयक के खिलाफ सभी झारखंड वासी एकजुट होकर आंदोलन करेंगे।

गांव गणराज्य परिषद के कुमार चंद्र मार्डी ने कहा कि पेसा एक्ट बने हुए आज 25 साल हो गए हैं, किंतु पेसा का रेगुलेशन नहीं बना है। पहले रेगुलेशन बनना चाहिए।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार जनविरोधी काला बिल लैंडपूल विधेयक को वापस ले, नहीं तो झारखंडवासी एकजुट होकर आंदोलन करेंगे और जिस तरह रघुवर सरकार को सत्ता से बेदखल किया, उसी तरह वर्तमान राज्य सरकार को भी उखाड़ फेंकने का काम झारखंडवासी करेंगे।

बताते चलें कि बजट सत्र के आखिरी दिन झारखंड विधानसभा ने क्षेत्रीय विकास प्राधिकार संशोधन विधेयक-2021 को पास कर दिया। इसके तहत राज्य के क्षेत्रीय विकास प्राधिकार के इलाकों में लैंडपूल के जरिए कॉलोनियों को विकसित करना आसान हो जाएगा। क्षेत्रीय विकास प्राधिकारों का इलाका नगर निकायों की सीमा के बाहर 10 किलोमीटर की परिधि तक है। लैंडपूल के लिए जमीन का अधिग्रहण नहीं किया जाएगा। जमीन मालिकों के साथ करार कर सरकारी एजेंसियां या निजी कंपनियां कॉलोनियों का विकास करेगी। जमीन मालिकों को उनके मालिकाना हक के बदले परियोजना के मुनाफे में हिस्सेदार बनेगी। इसकी शर्ते करार के समय तय होंगी। लैंड पूल स्कीम के तहत राज्य सरकार जमीन को सरकारी या निजी कंपनियों को सौंपने से पहले वहां सड़क, बिजली, पानी, सीवरेज-ड्रेनेज, पार्क और दूसरे इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास करेगी। इस आधार पर जमीन मालिकों को इस बड़े मूल्य के आधार पर परियोजना में हिस्सेदारी मिलेगी। कई मामलों में सरकार सड़क या सीवरेज-ड्रेनेज का जमीन छांटने के बाद अनुपात हिस्सेदारी के आधार पर जमीन मालिकों को खुद भी जमीन बेचने का छूट दे सकती है।

लैंडपूल का मकसद में राज्य सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर विकास के लिए जमीन अधिग्रहण की जटिल प्रक्रिया से बचना चाहती है। इसके लिए लैंडपूल का आसान विकल्प अपनाना चाहती है। जबकि झारखंड सरकार के किसी भी कानून में लैंड पूल की व्यवस्था नहीं है। क्षेत्रीय विकास प्राधिकार अधिनियम में संशोधन कर इसका प्रावधान किया गया है। कहना ना होगा कि इस प्रावधान से झारखंड में शहरीकरण को विस्तार देने के लिए जमीन मालिकों से करार कर लैंडपूल बनाने का रास्ता साफ हो गया है।

बैठक में झारखंड आंदोलनकारी लम्बू किस्कु, गांव गणराज परिषद के कुमार चंद्र मार्डी, जयपाल सिंह सरदार, अनूप महतो, रविंद्रनाथ सिंह, दुलाल सिंह, कर्मु चंद्र मार्डी, मानिक सिंह, हेमंत महतो, सुखदेव माझी, भोला सिंह मुंडा, परशुराम माझी, कलीराम माझी, अजीत सिंह, बोडो माझी आदि उपस्थित थे।

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