सुनंदा पुष्कर की मौत के मामले में कांग्रेस सांसद शशि थरूर को बड़ी राहत मिली है। दिल्ली के राउज एवेन्यू स्पेशल कोर्ट ने बुधवार को सुनंदा पुष्कर मौत मामले में कांग्रेस सांसद शशि थरूर को बरी कर दिया है। 2014 में दिल्ली के होटल के भीतर से बंद कमरे में सुनंदा की लाश मिली थी। कहा गया था कि दुर्लभ आणविक (एटामिक) जहर पालीनियम से उनकी मौत हुई है। पुष्कर की मौत के बाद उनके पति शशि थरूर पर उनका मानसिक उत्पीड़न करने और आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगा था।
हालाँकि थरूर के पास ऐलिबाई भी थी, वे घटना के दिन सुबह से शाम तक दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में चल रहे कांग्रेस के सम्मेलन में सामने की पंक्ति में बैठे रहे और होटल जाने के बाद होटल स्टाफ ने आकर दरवाजा विशेष चाभियों से खोला था, अंदर बिस्तरे पर सुनंदा मृत पड़ी थीं।
स्पेशल जज गीतांजलि गोयल ने फैसला सुनाते हुए केस को रद्द कर दिया। थरूर की तरफ से वकील विकास पहवा कोर्ट में हाजिर हुए। राज्य सरकार की तरफ से एडिशनल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर अतुल श्रीवास्तव मौजूद थे। कार्यवाही वर्चुअली (ऑनलाइन) की गई। इसमें थरूर भी शामिल हुए। कोर्ट ने 12 अप्रैल को अपना फैसला रिजर्व कर लिया था।
सुनंदा पुष्कर की दोस्त वरिष्ठ पत्रकार नलिनी सिंह ने बयान में कहा था कि थरूर के मेहर तरार नाम की महिला से रिश्ते थे। सुनंदा ने उन्हें बताया था कि थरूर और मेहर जून 2013 में दुबई के एक होटल में तीन रात साथ रुके थे। एक दिन सुनंदा ने नलिनी को फोन किया, तब वह काफी दुखी थीं। थरूर और मेहर के बीच मैसेज में बातचीत होती है। एक मैसेज में लिखा था कि शशि थरूर चुनाव के बाद सुनंदा को तलाक देने की तैयारी में थे।
सुनंदा पुष्कर की मौत 17 जुलाई 2014 को दिल्ली के फाइव स्टार होटल में हुई थी। वह होटल रूम में बेड पर पड़ी मिली थीं। लंबी पड़ताल के बाद दिल्ली पुलिस ने उनके पति शशि थरूर के खिलाफ धारा 498ए आईपीसी (पति या उसके रिश्तेदार द्वारा महिला के साथ क्रूरता) और धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाने) के तहत केस दर्ज किया था।
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में कहा गया था कि सुनंदा के शरीर में अल्कोहल के अंश नहीं मिले। सुनंदा के चेहरे और हाथों पर 10 से ज्यादा खरोंच के निशान थे, हालांकि उन्हें जान लेवा नहीं कहा जा सकता। रिपोर्ट के मुताबिक सुनंदा की मौत प्राकृतिक नहीं थी। सुनंदा की मौत की प्रमुख वजह डिप्रेशन की दवा अल्प्राजोलम का ओवरडोज हो सकती है। पुलिस को सुनंदा के कमरे से अल्प्राजोलम (अल्प्रैक्स) की दो खाली स्ट्रिप्स मिली थीं। सुनंदा ने शायद 27 टेबलेट्स खाई थीं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि अल्प्राजोलम की ज्यादा मात्रा से दिमाग की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है। बेहोशी और मौत संभव है। सुनंदा की मौत जहर के कारण हुई, हालांकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट न तो आत्महत्या को खारिज करती है और न ही इसकी पुष्टि करती है। सूत्रों ने जहर की प्रकृति को जाहिर नहीं किया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला था कि सुनंदा की मौत शाम 4 बजे से 7 बजे के बीच हुई।
एम्स मेडिकल बोर्ड के मुताबिक तीन डॉक्टरों की टीम ने विसरा रिपोर्ट की दोबारा जांच के बाद सुनंदा के शरीर में जहर के अंश की पुष्टि की थी लेकिन जहर के प्रकार का खुलासा नहीं किया था। एम्स मेडिकल बोर्ड ने ये रिपोर्ट 27 सितंबर को तैयार की थी और 30 सितंबर को सरोजनी नगर थाने में सौंप दी थी। एम्स की रिपोर्ट में ये भी खुलासा हुआ था कि सुनंदा सेहतमंद थी और उनके दिल, किडनी, लीवर और फेफड़े में कोई बीमारी नहीं थी।
जनवरी 2015 में सुनंदा पुष्कर की संदिग्ध मौत के मामले में दिल्ली पुलिस ने एक नया खुलासा करके सनसनी मचा दिया था। 210 दिल्ली पुलिस के अनुसार सुनंदा पुष्कर की मौत पोलोनियम 210 नामक दुर्लभ जहर देकर की गई थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में जहर के प्रकार का स्पष्ट उल्लेख नहीं किया गया था।
दिल्ली पुलिस ने सुनंदा पुष्कर हत्या मामले में रहस्योद्घाटन करते हुए बताया है कि सुनंदा की हत्या पोलोनियम 210 नामक रेडियोएक्टिव जहर से हो सकती है। कथित जहर के बारे में पता लगाने के लिए आधुनिक तकनीक की जरूरत थी जो देश में मौजूद नहीं थी। ऐसे में दिल्ली पुलिस विसरा जांच के लिए नमूने यूके या यूएस भेजे गये थे। इसके साथ ही इस जहर को कई पदार्थों का मिश्रण बताया गया था,जिनमें पोलोनियम के अलावा थैलियम, सांप का जहर, फोटोलेबाइल जहर, हेरोइन और नीरियम ओलिएंडर शामिल थे।
इससे पहले फिलस्तीनी नेता यासर अराफात और रूसी खुफिया एजेंसी केजीबी के पूर्व एजेंट अलेक्जेंडर लिटविनेंको की मौत में भी पोलोनियम का नाम सामने आया था। फिलस्तीन के नेता यासर अराफात की वर्ष 2004 में फ्रांस के एक सैन्य अस्पताल में मृत्यु हुई थी। कयास लगाए जाते हैं कि उनकी मौत पोलोनियम जहर देने से हुई। उनके टूथब्रश, कपड़ों की जांच से इसके प्रमाण मिले थे लेकिन बालों के गिरने और कमजोर प्रतिरक्षा तंत्र के लक्षण नहीं मिले। इस कारण वैज्ञानिक उनकी मौत की गुत्थी के असल कारणों को अभी तक सुलझा नहीं पाए। इसके अलावा सोवियत संघ के दौर की खुफिया एजेंसी केजीबी के एजेंट अलेक्जेंडर लिटविनेंको की मौत भी इसी जहर से हुई थी।मैडम क्यूरी की बेटी आइरीन क्यूरी एक बार गलती से प्रयोगशाला में इस तत्व के संपर्क में आ गई थीं। इसके चलते उनको ल्यूकीमिया हो गया और बाद में मौत हो गई। इजरायल के एक लेखक माइकल कारपिन ने दावा किया था कि वर्ष 1957 में वहां के वीजमान इंस्टीट्यूट ऑफ सांइसेज की प्रयोगशाला में पोलोनियम लीक होने की वजह से कई वैज्ञानिक इसकी चपेट में आ गए थे। बाद में उनकी कैंसर से मृत्यु हो गई थी। हालांकि इजरायल ने कभी इस बात को स्वीकार नहीं किया।
पोलोनियम 210 एक दुर्लभ रेडियोएक्टिव तत्व है। इसे धीमे जहर के रूप में जाना जाता है।वर्ष 1898 में मैरी क्यूरी और उनके पति पियरे क्यूरी ने इसकी खोज की थी। अपने देश पोलैंड के नाम पर उन्होंने इस तत्व का नाम पोलोनियम रखा। गौरतलब है कि यह जहर यूरेनियम की रासायनिक प्रक्रिया के दौरान उत्पन्न होता है। हालांकि न्यूक्लियर रिएक्टर में इसको कृत्रिम रूप से भी बनाया जा सकता है।
कोर्ट का फैसला आने के बाद थरूर ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने मेरे खिलाफ जो केस दर्ज किया था, उससे बरी करने के लिए मैं जज गीतांजलि गोयल का शुक्रिया अदा करता हूं। मैं पहले से कहता आया हूं के आरोप बेबुनियाद हैं। सुनंदा की मौत के बाद मेरे खिलाफ केस दर्ज होना बुरे सपने की तरह था, जो आज बीत गया है।थरूर ने कहा कि मुझ पर कई आरोप लगे, मीडिया में बुरा-भला कहा गया, लेकिन मैंने न्यायपालिका पर भरोसा बनाए रखा। न्याय की जीत होने के बाद उम्मीद है कि मैं और मेरा परिवार सुनंदा की यादों के साथ शांति से जीवन गुजार सकेंगे। मैं अपने वकील विकास पाहवा और गौरव गुप्ता को भी धन्यवाद कहना चाहता हूं।
(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)
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