चुनाव आयोग का दोहरा रवैया, बीजेपी के कारनामों पर चुप्पी और विपक्ष के नेताओं को नोटिस

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नई दिल्ली। मध्य प्रदेश विधानसभा का चुनाव जहां एक चरण में 17 नवंबर को मतदान होगा, वहीं पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में दूसरे चरण का मतदान कराया जाएगा। वहां पहला चरण का मतदान 7 नवंबर को आयोजित किया गया था। मतदान से ठीक 36 घंटे पहले सत्ताधारी बीजेपी ने पीएम-किसान सम्मान निधि की 15वीं किस्त जारी की है जिस पर कांग्रेस ने सवाल उठाया है और आश्चर्य जताया कि क्या यह “जानबूझकर” किया गया।

कांग्रेस महासचिव एवं संचार प्रभारी जयराम रमेश ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि “पीएम-किसान सम्मान निधि की छठी किस्त 1 अगस्त, 2020 को जारी की गई, जबकि नौवीं किस्त 9 अगस्त, 2021 को जारी की गई, 12वीं किस्त पिछले साल 17 अक्टूबर को जारी की गई थी, जिनकी पार्टी का लक्ष्य छत्तीसगढ़ में सत्ता बरकरार रखना और मध्य प्रदेश में भाजपा को हराना था।

उन्होंने कहा कि पीएम-किसान के तहत 15वीं किस्त आज यानी 15 नवंबर, 2023 को आ रही है। अब जब छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में दो दिन में, राजस्थान में 10 दिन में और तेलंगाना में 15 दिन में चुनाव होने हैं तो 15वीं किस्त आ रही है। आज रिलीज़ किया जा रहा है।” जयराम रमेश ने पूछा कि “क्या यह देरी जानबूझकर नहीं की गई है?”

एक तरफ तो मतदान से ठीक पहले किसानों को सम्मान निधि का किस्त देकर बीजेपी ने साफ-साफ आचार संहिता का उल्लंघन किया है लेकिन चुनाव आयोग चुप्पी साधे बैठा है।

वहीं दूसरी तरफ पीएम मोदी पर तंज कसने पर चुनाव आयोग ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को मंगलवार 14 नवंबर को एक नोटिस भेजा है।

मामला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उद्योगपतियों से जोड़ने वाले कथित तंज के लिए है। चुनाव आयोग ने उनसे गुरुवार 16 नवंबर तक स्पष्टीकरण देने को कहा है। पोल पैनल ने प्रधानमंत्री को उद्योगपति गौतम अडानी से जोड़ने वाली केजरीवाल की टिप्पणी को अपमानजनक पाया है। केजरीवाल पर लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 123 (4) और भारतीय दंड संहिता की धारा 171जी, 499 और 501 के साथ-साथ आदर्श आचार संहिता की सभी धाराओं का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है।

आप के एक्स पेज पर दो हिंदी वीडियो चुनाव आयोग की नजर में हैं। पहला शीर्षक “मोदी की दिलचस्प दिनचर्या” 8 नवंबर को पोस्ट किया गया था, जिसमें एक व्यक्ति द्वारा लाखों के मशरूम खाने, कैमरे पर योगा पोज़ करने और “अडानी जी से ऑर्डर” लेने की बात कही गई है।

दूसरे वीडियो में, जिसे अगले दिन पोस्ट किया गया, उसमें “भारतीय जुमला पार्टी प्रस्तुत करता है” शीर्षक के साथ एक मनगढ़ंत पोस्टर की छवि शामिल है और इसमें आगे प्रधानमंत्री की एक छोटी तस्वीर के साथ अडानी की एक बड़ी तस्वीर शामिल है, जिस पर “सरकार जनता के” लिखा है।

वहीं प्रियंका को 10 नवंबर को मध्य प्रदेश के सांवेर में दिए उनके एक भाषण के लिए नोटिस भेजा गया है जिसमें उन्होंने कहा था कि “मोदी जी, यह भेल ही थी जिसने हमें रोजगार दिया और देश को प्रगति दे रही है। आपने इसे अपने बड़े उद्योगपति दोस्तों को क्यों दिया?”

मोदी सरकार ने भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (भेल) के निजीकरण की योजना से बार-बार इनकार किया है। हाल ही में, ट्रेड यूनियनों ने वंदे भारत कोच बनाने के लिए भेल और एक इतालवी कंपनी के बीच संयुक्त उद्यम का विरोध किया था।

साफ तौर पर चुनाव आयोग दोहरे रवैये का प्रदर्शन कर रहा है। एक तरफ तो सत्ताधारी बीजेपी द्वारा आचार संहिता का उल्लंघन किए जाने के बाद भी आयोग चुप है तो वहीं विपक्षी नेताओं के भाषण पर उन्हें नोटिस भेज रहा है। सवाल है कि आखिर चुनाव आयोग बीजेपी की ओर से किए आचार संहिता के उल्लंघन पर चुप क्यों हैं? चुनाव आयोग की चुप्पी इस बात की ओर इशारा करती है कि आयोग की चाबी सत्ता के हाथों में है।   

(जनचौक की रिपोर्ट।)

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