भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी (सीपीएम) यानि माकपा ने आज पार्टी महासचिव सीताराम येचुरी को तीन-तीन बरस के लगातार तीसरे कार्यकाल के लिए इस पद पर फिर चुन लिया।
माकपा के कन्नूर (केरल) में 5 से 10 अप्रैल तक आयोजित 23 वीं पार्टी कांग्रेस में 85 सदस्यों की नई सेंट्रल कमेटी सर्वसम्मति से चुनी गई। निवर्तमान सेंट्रल कमेटी 95 सदस्यों की थी। सेंट्रल कमेटी की तत्काल हुई बैठक में सीताराम येचुरी को पुनः महासचिव चुनने के साथ ही 17 सदस्यों का पोलित ब्यूरो भी चुना गया।
सेंट्रल कमेटी की एक सीट रिक्त रखी गई है। नई सेंट्रल कमेटी में 17 नए सदस्य हैं। इसमें रिकॉर्ड संख्या में 18 महिला सदस्य हैं। पिछली बार सेंट्रल कमेटी में 6 विशेष आमंत्रित और 2 स्थाई आमंत्रित सदस्य बनाए गए थे। पिछली बार भी पोलित ब्यूरो में 17 सदस्य थे। पोलित ब्यूरो में तीन नए सदस्य अशोक धवले, ए विजयराघवन और रामचन्द्र डोम हैं। अशोक धवले महाराष्ट्र के दिग्गज आदिवासी और किसान नेता हैं। उनकी पत्नी मरियम धवले भी पार्टी नेता है।

नए पोलित ब्यूरो में सीताराम येचुरी, प्रकाश कारात, वृंदा कारात, अशोक धवले, ए विजयराघवन और रामचन्द्र डोम के अलावा केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन, त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री माणिक सरकार, मोहम्मद सलीम, सूर्जकान्त मिश्रा, बी वी राघवेलु, कोडियेरी बालाकृष्णा, तपन सेन, नीलोत्पल बसु, एम ए बेबी, जी रामाकृष्णा और सुभाषिनी अली शामिल है।
लेफ्ट ड्राइवर सीताराम येचुरी
माकपा की अप्रैल माह में ही 2018 में तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में 22वीं पार्टी कांग्रेस में सीताराम येचुरी को फिर महासचिव चुना गया था, जो वैजाग में 21वीं पार्टी कांग्रेस में प्रकाश करात की जगह पहली बार महासचिव चुने गए थे। वह तेलंगाना के ही हैं और एक बार पश्चिम बंगाल से राज्यसभा सदस्य रह चुके हैं। पार्टी महासचिव पद पर उनका यह तीसरा और अंतिम कार्यकाल होगा।

अब यह लगभग तय हो चुका है कि माकपा और उसकी अगुवाई में भारत की कम्युनिस्ट पार्टी ( भाकपा ), भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी लेनिनवादी) लिबेरेशन (सीपीआईएमएल लिबरेशन) यानि भकपामाले, ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) आदि साम्यवादी दलों का वामपंथी मोर्चा सीताराम येचुरी के ही नेतृत्व में 2024 में निर्धारित लोकसभा चुनाव लड़ेगा।
12 अगस्त 1952 को चेन्नई में आंध्र प्रदेश के तेलुगु भाषी परिवार में पैदा हुए सीताराम येचुरी दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज ( 1973) और जेएनयू ( 1975) के छात्र रहे।

सीताराम येचुरी का शुरू से ही मीडिया से लगाव रहा है। उन्होंने छात्र जीवन में एसएफआई के मुखपत्र स्टूडेंट्स स्ट्रगल की स्थापना की थी। वह बाद में साप्ताहिक अखबार पीपुल्स डेमोक्रेसी के संपादक भी रहे। वह पहले अंग्रेजी दैनिक हिंदुस्तान टाइम्स में लेफ्ट हैन्ड ड्राइव शीर्षक से कॉलम लिखा करते थे। उन्होंने अंग्रेजी में व्हाट इज हिन्दू राष्ट्र, कम्यूनलिज़्म वर्सेस सेकुलरिज्म आदि कई किताबें और घृणा की राजनीतिक शीर्षक से हिन्दी में भी पुस्तक लिखी है।
पीपुल्स डेमोक्रेसी के मौजूदा संपादक प्रकाश करात 7 फरवरी 1948 को बर्मा में पैदा हुए थे। उनके पिता ब्रिटिश हुकूमत के दौराम बर्मा रेलवे में क्लर्क थे। उनका परिवार 1957 में बर्मा से पल्लकाड़ आ गया। वह स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) के संस्थापक और इंदिरा गांधी सरकार द्वारा लागू आपातकाल में जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष रहे है।

प्रकाश कारात 2005 से 2015 तक पार्टी महासचिव रहे थे। वह अभी तक किसी भी संसदीय चुनाव में प्रत्याशी नहीं रहे हैं। उन्होंने पार्टी कांग्रेस में संशोधन पारित करवा कर महासचिव पद पर कार्यकाल सीमित कर दिया था। वह और उनकी पत्नी, वृंदा करात दोनों ही फिर से पोलित ब्यूरो सदस्य चुने गए हैं। प्रकाश करात 2005 में हरकिशन सिंह सुरजीत ( अब दिवंगत ) की जगह पार्टी महासचिव चुने गए थे। वह और सीताराम येचुरी नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय ( जेएनयू ) के पूर्व छात्र हैं।
(सीपी झा वरिष्ठ पत्रकार हैं।)
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