नई दिल्ली। नवनिर्वाचित भारतीय कुश्ती महासंघ को सस्पेंड करने के तुरंत बाद खेल मंत्रालय ने रविवार को भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) से डब्ल्यूएफआई के कामकाज को सुचारू रुप से चलाने के लिए एक खास समिति का गठन करने को कहा है। खेल मंत्रालय ने रविवार 24 दिसंबर को नवनिर्वाचित भारतीय कुश्ती महासंघ को अगले आदेश तक सस्पेंड कर दिया था।
मंत्रालय ने आरोप लगाया था कि नवनिर्वाचित भारतीय कुश्ती महासंघ ने उचित प्रक्रिया का पालन किए बगैर और बिना तैयारियों के लिए पहलवानों को पर्याप्त नोटिस दिए बिना अंडर-15 और अंडर-20 राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के आयोजन की घोषणा जल्दबाजी में कर दी।
मंत्रालय ने आईओए को लिखे पत्र में कहा है कि वो जल्द से जल्द पैनल बनाए। अवर सचिव, भारत सरकार, तरूण पारीक ने हस्ताक्षरित पत्र में कहा है कि “डब्ल्यूएफआई के पूर्व पदाधिकारियों के प्रभाव और नियंत्रण जो हालात पैदा हुए हैं उससे डब्ल्यूएफआई के शासन और अखंडता को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा हो गई हैं।”
उन्होंने आईओए अध्यक्ष पीटी उषा को संबोधित पत्र में कहा है कि “इसके लिए खेल संगठनों में सुशासन के सिद्धांतों को बनाए रखने के लिए तत्काल और कड़े सुधारात्मक उपायों की आवश्यकता है, और अब यह आईओए का दायित्व बन गया है कि वह डब्ल्यूएफआई के मामलों के प्रबंधन के लिए अंतरिम रूप से उपयुक्त व्यवस्था करे ताकि खिलाड़ियों को, कुश्ती अनुशासन और खेल निकाय में सुशासन के सिद्धांत को नुकसान नहीं पहुंचे।“
डब्ल्यूएफआई के चुनाव 21 दिसंबर को हुए थे, जिसमें पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के करीबी संजय सिंह और उनके पैनल ने चुनाव जीता था। चुनाव से पहले, डब्ल्यूएफआई को पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण के हटने के बाद आईओए की ओर से गठित एक तदर्थ निकाय चला रहा था। भुओन्दर सिंह बाजवा, जो भारतीय वुशु महासंघ के अध्यक्ष बने, उस समय तदर्थ निकाय के प्रमुख थे।
संजय सिंह के डब्लूएफआई का अध्यक्ष चुने जाने के बाद पहलवानों ने इसका विरोध किया था। पहलवान साक्षी मलिक ने पहलवानी से संन्यास की घोषणा कर दी और बजरंग पुनिया ने अपना पद्म श्री पुरस्कार सरकार को वापस लौटा दिया था।
(‘द टेलिग्राफ’ में प्रकाशित खबर पर आधारित।)
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