Sunday, March 26, 2023

पुलिस की मनमानी से इलाहाबाद हाई कोर्ट नाराज, कहा- निर्दोषों का उत्पीड़न रोकने वाला सिस्टम बनाएं

जेपी सिंह
Follow us:

ज़रूर पढ़े

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिए हैं कि वह राज्य के वाराणसी जिले में अवैध रूप से हिरासत में रखे गए दो लोगों के मामले में उचित कार्रवाई करे और उन्हें मुआवजा दें। हाई कोर्ट ने प्रदेश सरकार को एक ऐसा तंत्र विकसित करने का निर्देश दिया है, जिससे निर्दोष लोगों का उत्पीड़न रोका जा सके। हाई कोर्ट ने कहा है कि इन दोनों लोगों को निजी बॉन्ड भरने के बाद भी वाराणसी जिले में सीआरपीसी के प्रावधानों 151, 107 और 116 के तहत अवैध रूप से हिरासत में रखा गया।

जस्टिस सूर्य प्रकाश केसरवानी और जस्टिस शमीम अहमद की खंडपीठ ने दो फरवरी के अपने आदेश में कहा कि वाराणसी के एसडीएम ने शांति भंग करने के लिए दो लोगों को अवैध रूप से हिरासत में रखने के लिए मनमाने तरीके से काम किया। अदालत ने एसडीएम से तीन मार्च के उनके आचरण को लेकर हलफनामा दायर करने को भी कहा है। खंडपीठ ने शांति भंग की आशंका में वाराणसी के शिवकुमार वर्मा का अवैध तरीके से चालान करने और उसे दस दिन तक अवैध निरुद्धि रखने पर एसडीएम वाराणसी से भी जवाब मांगा है। खंडपीठ ने प्रदेश सरकार को इस मामले में चार सप्ताह में उचित कार्रवाई कर अनुपालन रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।

खंडपीठ ने इस मामले में सख्ती दिखाते हुए सचिव गृह तरुण गाबा को तलब कर लिया था। दो फरवरी को खंडपीठ के समक्ष पेश हुए सचिव गृह ने कोर्ट को बताया कि हाई कोर्ट के निर्देशानुसार सरकार ने इस आशय का आदेश जारी कर दिया है कि भविष्य में कोई भी चालानी रिपोर्ट प्रिंटेड प्रोफार्मा में जारी नहीं की जाएगी। सीआरपीसी की धारा-107 और 116 के प्राविधानों के अनुसार लिखित कारण देते हुए ही जारी की जाएगी।

सचिव गृह ने बताया कि डीजीपी की ओर से भी सभी पुलिस थानों को इस आशय का सर्कुलर जारी किया गया है। सचिव गृह ने कोर्ट को आश्वासन दिया है कि सरकार ऐसा मैकेनिज्म विकसित करेगी भविष्य में इस प्रकार की गलती न हो और सरकार पीड़ित को मुआवजा भी देगी।

दरअसल खंडपीठ एक मामले पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें पुलिस ने शांति भंग करने के लिए आठ अक्तूबर 2020 को सीआरपीसी की धारा 151 के तहत दो लोगों (याचिकाकर्ताओं) को गिरफ्तार किया था। यह गिरफ्तारी पैतृक जमीन के बंटवारे को लेकर शिव कुमार वर्मा नाम के एक शख्स और एक अन्य युवक और उनके परिवार के सदस्यों के बीच हुई थी। गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने इन दोनों को एसडीएम के समक्ष पेश किया था।

याचिकाकर्ताओं ने 12 अक्तूबर 2020 को निजी बॉन्ड और अन्य दस्तावेज जमा कराए थे, लेकिन एसडीएम ने उन्हें रिहा नहीं किया और उनकी आय से जुड़े दस्तावेजों को सत्यापित करने के आदेश देते हुए दस्तावेजों को 21 अक्तूबर को दर्ज कराने को कहा था। इन दोनों लोगों को अवैध रूप से हिरासत में रखने के बाद 21 अक्तूबर को रिहा किया गया था।

याची का संपत्ति के बंटवारे को लेकर पारिवारिक विवाद था। झगड़ा होने पर रोहनिया थाने की पुलिस ने आठ अक्तूबर 20 को शांति भंग की आशंका में याची शिवकुमार का चालान कर दिया। चालानी रिपोर्ट प्रिंटेड प्रोफार्मा में भरकर जारी कर दिया गया, जिसमें न तो शांति भंग का कोई कारण बताया गया और न ही याची से नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया। एसडीएम ने इस रिपोर्ट पर जमानत न प्रस्तुत करने के आधार पर उसे जेल भेज दिया। याची का कहना था कि उसे अवैध तरीके से निरुद्ध रखा गया।

(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार और कानूनी मामलों के जानकार हैं। वह इलाहाबाद में रहते हैं।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of

guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest News

गांधी जी की मानहानि करने के जुर्म में जम्मू कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा को अदालत कब सजा देगी: डा.सुनीलम

जम्मू कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने 23 मार्च को ग्वालियर में शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव...

सम्बंधित ख़बरें