Sunday, April 28, 2024

खाप और किसान संगठनों का ऐलान, मुस्लिमों को कोई हाथ लगाकर दिखाए

नई दिल्ली। नूंह में हिंसा के बाद हरियाणा में जगह-जगह किसान संगठनों और खाप पंचायतें बैठक आयोजित कर रही हैं। इस बैठक में सामाजिक भाईचारा को बनाए रखने की अपील की जा रही है। इस कड़ी में बुधवार को हिसार में किसान संगठनों और खाप पंचायतों के नेताओं ने एक पंचायत में घोषणा किया कि ‘किसी को भी मुस्लिम समुदाय के सदस्यों को हानि पहुंचाने की अनुमति नहीं है’ ये बातें नूंह जिले में हिंसा के कुछ दिनों बाद निकल कर आयी है। क्योंकि नूंह हिंसा के बाद भी हरियाणा के कुछ जगहों पर हिंदू संगठन लगातार उत्पात मचाये हुए हैं और मुस्लिम समुदाय की संपत्ति को नुकसान पहुंचा रहे थे।

ये सभी नेता हरियाणा में फैले सांप्रदायिक हिंसा का मुकाबला करने और मुस्लिम समुदाय को सुरक्षित माहौल प्रदान करने के लिए अपने दृढ़ संकल्प की घोषणा करने के लिए हिसार के बास गांव में एकजुट हुए थे।

हिसार में हुए किसान पंचायत में हिंदू, मुस्लिम और सिख समुदायों के लगभग 2,000 किसानों ने भाग लिया, हाल की हिंसा के बाद हरियाणा में इस तरह की पंचायत पहली बार लगाई गई है। नूंह हिंसा के बाद से मुस्लिम समुदाय के सदस्यों को मिल रही धमकियों और कुछ ग्राम पंचायतों द्वारा अपने गांवों में अल्पसंख्यक समुदाय को स्थान ना देने के खिलाफ कथित प्रस्ताव की पृष्ठभूमि में यह आयोजन महत्वपूर्ण था। इससे पहले भी हरियाणा में जाट और गुर्जर जाति के नेताओं ने अपने समाज को नूंह हिंसा से दूर रहने का आग्रह किया था।

मुस्लिम समुदाय के सदस्यों को मिल रही धमकियों के बारे में बात करते हुए किसान नेता सुरेश कोथ ने कहा कि “ये खड़े हैं मुसलमान, टोक के दिखा दो। सारी खापें जिम्मेवार हैं (इनकी सुरक्षा के लिए)” सुरेश कोथ, जो हिसार जिले के एक खाप के नेता भी हैं, जिन्होंने 2021 में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध के दौरान एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। सुरेश कोथ ने कहा कि कुछ गांवों में मुसलमानों के प्रवेश पर प्रतिबंध की खबरें बिल्कुल गलत हैं।

बुधवार को हुई पंचायत में किसानों ने हरेक छोटी चीज को ध्यान में रखते हुए, शपथ लिया है कि वे नूंह में शांति बहाली के लिए हर संभव प्रयास करेंगे और इसके अलावा किसी भी प्रकार की जातीय या सांप्रदायिक हिंसा में उनकी कोई भागीदारी नहीं होगी। इन बातों के अलावा पंचायत में उन लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई करने की मांग उठी है जिन्होंने यात्रा से पहले सोशल मीडिया पर भड़काऊ बयान वाले वीडियो अपलोड करके लोगों को भड़काने का काम किया था।

कोथ के अनुसार, 9 अगस्त को ‘बास’ गांव में हुए सम्मेलन का उद्देश्य खेती से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करने की योजना बनाई थी। लेकिन, किसान नेता का कहना है, “नूंह हिंसा राष्ट्रीय स्तर का मुद्दा है और इससे पहले की ये हिंसा राज्य में अराजकता को पूरी तरह से न्योता दे इससे निपटने की जरूरत है।” बुधवार को होने वाले सम्मेलन का स्थान विशेष रूप से ‘बास गांव’ रखा गया था क्योंकि ये स्थान उन जिलों से घिरा हुआ है जहां किसानों ने 2020-21 में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ लड़ाई की थी और किसान आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया था। किसानों के द्वारा किए गए आंदोलन के सभी संशोधित कृषि कानूनों को निरस्त कर दिया गया था।

तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के दौरान किसान नेताओं को विभिन्न समुदायों का समर्थन मिला था और इस बात को ध्यान में रखते हुए ये समुदाय सांप्रदायिक हिंसा से हुए दिक्कतों को बेहतर करने का बीड़ा उठा रहे हैं। आपको बता दें कि, जींद जिले के खटकड़ कलां टोल प्लाजा पर किसानों ने आंदोलन के दौरान सभी धर्मों के त्योहार मनाए थे। 2021 में ईद के मौके पर किसानों ने खटकर कलां विरोध स्थल पर नमाज भी अदा की थी। शायद यही वजह है कि वहां किसान नेता मुस्लिमों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार से आहत हैं, और प्रदेश में ऐसा आगे ना हो इसके लिए फिर एक साथ खड़े हैं।

मेवात के किसानों ने साल 2021 में हुए किसान आंदोलन के दौरान राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर स्थापित किसानों के “पक्का मोर्चा” में भाग लिया था। किसान नेताओं का ऐसा मानना है कि किसान के द्वारा किए गए आंदोलन, जो कि लगभग 13 महीने तक चला था, ने विभिन्न समुदायों के लोगों के बीच संबंधों को बेहतर किया है।

उस भावना को जारी रखने के लिए, किसान नेताओं ने अब हरियाणा में सांप्रदायिक सद्भाव को बनाए रखने के लिए कई कार्यक्रमों को आयोजित करने की योजना बनाई है। ऐसे आयोजनों की श्रृंखला में सोमवार को कई संगठनों ने एकजुट होकर ”हिंदू-मुस्लिम-सिख, ईसाई” के नारे लगाते हुए जींद शहर में जुलूस निकाला था।

शनिवार को भी, स्थानीय किसान नेताओं ने जींद के उचाना शहर में सर्व धर्म सम्मेलन का आह्वान किया था और प्रदेश में “हिंदू-मुस्लिम-सिख-ईसाई” की एकता के लिए काम करने का प्रस्ताव रखा था।

सभा में हिंदू, मुस्लिम और सिख समुदाय के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। फरवरी 2021 में किसान आंदोलन के दौरान भी खटकर कलां टोल प्लाजा पर ऐसा ही सर्व धर्म सम्मेलन का आयोजन किया गया था।

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