पिछले साल कोरोना के दौरान जब बिहार विधानसभा चुनाव हो रहा था तो बीजेपी के सभी दिग्गज नेता अपनी सारी ताकत चुनावी रैलियों में झोंक रहे थे। लेकिन इस दौरान बीजेपी का एक प्रमुख चेहरा बिहार छोड़ बंगाल में नई आस तलाश रहि था। गृहमंत्री अमित शाह बिहार छोड़कर कोलकाता के एक बंगाली परिवार के यहां में खाना रहे थे। अपने आप को बंगाली संस्कृति में ढालने की कोशिश कर रहे थे। गृहमंत्री अपने ट्विटर पर बंगला में ट्वीट भी कर रहे थे। इसके कुछ समय बाद ही उन्होंने ऐलान कर दिया था कि पश्चिम बंगाल के आगामी विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी 200 सीट के बहुमत के साथ बंगाल में अपनी सरकार बनाने जा रही है। लेकिन जैसे-जैसे बंगाल चुनाव नजदीक आता गया यहां का दृश्य कुछ और ही हो गया।
बंगाल में नहीं मिल रहे उम्मीदवार
आगामी विधानसभा चुनाव के लिए सभी राजनीतिक पार्टियों ने अपने-अपने उम्मीदवारों की सूची एक से दो बार में जारी कर दी। लेकिन बीजेपी ने तीन बार में भी अपने उम्मीदवारों की पूरी सूची जारी नहीं की है। इसमें सबसे मजेदार बात यह है कि बीजेपी ने अपने सीटिंग सांसद और केंद्रीय मंत्री को विधानसभा चुनाव के लिए मैदान में उतारा है। जिसमें प्रमुख रुप से आसनसोल के सांसद बाबुल सुप्रियो और फायर बिग्रेड महिला सांसद लॉकेट चटर्जी शामिल है। देखने वाली बात यह है कि जिस पार्टी ने 200 सीट जितने का दावा किया, वह उम्मीदवारों से भी मरहूम है। पार्टी की स्थिति ऐसी है कि वह अपने सीटिंग सांसद को मैदान में उतार रही है। वहीं दूसरी ओर कल पांचवें, छठे, सातवें और आठवें चरण के प्रत्याशियों को नाम की घोषणा होते ही पार्टी में एक और समस्या उभरकर सामने आई। दरअसल बीजेपी प्रत्याशियों की आखिरी लिस्ट में 19 महिलाओं को टिकट दिया गया। लेकिन लेकिन 19 महिलाओं में एक नाम ऐसा है, जो बीजेपी की सदस्य तो नहीं है लेकिन उन्हें टिकट दी गई है। वह है पूर्व प्रदेश कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और स्वर्गीय सौमेन मित्रा की पत्नी शिखा मित्रा चौधरी। शिखा को बंगाल की चौरंगी विधानसभा सीट से बीजेपी की उम्मीदवार बनाया गया है। अपनी उम्मीदवारी को लेकर उन्होंने घोर निंदा की है और साथ ही कहा कि उन्हें बिना बताएं सूची में उनका नाम शामिल किया गया है। खबरों की मानें तो बंगाल की हॉट सीट नंदीग्राम से बीजेपी से प्रत्याशी शुभेंदु अधिकारी कुछ दिन पहले ही शिखा मित्रा के घर गए थे। वह शिखा और उनके बेटे रोहन मित्रा को बीजेपी में शामिल करवाना चाहते थे।
उम्मीदवारों को लेकर लड़ाई
बीजेपी ने भले ही 200 सीटों का नारा दिया है। लेकिन उनकी पार्टी की अंर्तकलह अब जगजाहिर हो गई है। कल जब बीजेपी ने 148 उम्मीदवारों की सूची जारी की तो पार्टी कार्यकर्ताओं का गुस्सा सातवें आसमान पर चढ़ गया। लिस्ट जारी होते हैं दुर्गापुर पूर्व से कर्नल दीप्तांशु चौधरी के नाम की घोषणा होते के साथ ही दुर्गापुर के बीजेपी कार्यकर्ताओं गुस्सा फूट पड़ा। दुर्गापुर में बीजेपी के कार्यालय के बाहर कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया। इतना ही नहीं उम्मीदवार के खिलाफ नारे भी लगाए गए। कार्यकर्ताओं का कहना है कि अमिताभ बनर्जी को इस सीट से उम्मीदवार बनाया जाना चाहिए था। जबकि पार्टी ने तृणमूल से बीजेपी शामिल हुए लोगों को टिकट दिया है। इस क्षेत्र में काम करने वाले कार्यकर्ताओं को वंचित रखकर किसी बाहरी को टिकट दिया है। रानीगंज से प्रत्याशी महिला रोग विशेषज्ञ डॉ बिजन मुखर्जी को टिकट दिया। रानीगंज में भी दुर्गापुर की ही तरह बीजेपी कार्यकर्ताओं ने भाजपा कार्यलय के बाहर विरोध प्रदर्शन करते हुए कार्यालय में ताला लगा दिया। वहीं दूसरी ओर आसनसोल के पहले गैर बंगला भाषी मेयर और तृणमूल से बीजेपी में शामिल हुए जितेंद्र तिवारी का नाम पांडेश्वर से घोषित होने के बाद ही वहां भी विरोध प्रदर्शन शुरु हो गया। पांडेश्वर के बीजेपी कार्यकर्ताओं ने पहले भी जितेंद्र तिवारी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था। बीजेपी में शामिल होने के बाद जब वह आसनसोल आएं तो उस वक़्त पांडेश्वर के बीजेपी कार्यकर्ताओं ने दीवार पेंटिंग कर उनका विरोध किया। साथ ही यह भी कहा कि अगर बीजेपी उन्हें उम्मीदवार घोषित करती है तो बीजेपी के कार्यकर्ता निर्दलय उम्मीदवार के तौर पर पांडेश्वर से चुनाव लड़ेंगे. यही हाल मालदा के हरिशचंद्रपुर में हुआ। यहां भी बीजेपी कार्यकर्ताओं ने कार्यलय में तोड़फोड़ की।
ये कुछ घटनाएं पश्चिम बंगाल बीजेपी के अन्दर मचे घमासान को प्रदर्शित कर रही हैं। यहां पार्टी कार्यकर्ता शीर्ष नेतृत्व के साथ खड़ा है पर जब स्थानीय प्रतिनिधित्व की बात आती है तो कार्यकर्त्ताओं में असंतोष साफ प्रदर्शित होता हैं।
(आसनसोल से स्वत्रंत पत्रकार पूनम मसीह की रिपोर्ट।)