Friday, April 26, 2024

छत्तीसगढ़ बजट: चुनाव की चिंता और उदारीकरण की दिशा

रायपुर। अखिल भारतीय किसान सभा से संबद्ध छत्तीसगढ़ किसान सभा ने आज विधानसभा में पेश बजट को “उदारीकरण की दिशा में चुनावी चिंता वाला लोकलुभावन बजट” करार दिया है।

छत्तीसगढ़ किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते और महासचिव ऋषि गुप्ता ने कहा है कि मनरेगा ग्रामीण रोजगार का सबसे बड़ा साधन है, लेकिन पंजीकृत परिवारों को औसतन 40 दिन ही काम मिल रहा है। इसके प्रभावी क्रियान्वयन के बारे में भी बजट में कोई दिशा नहीं है। जो योजनाएं पहले से लागू है, केवल उन्हें दुहराकर खेती-किसानी और गांवों का विकास नहीं किया जा सकता। इन चार सालों में भाजपा राज से जारी किसान आत्महत्याओं में कोई कमी नहीं आई है, जो प्रदेश में गहराते कृषि संकट का प्रतिबिंब है।

उन्होंने कहा कि प्रदेश में जल, जंगल, जमीन और खनिज जैसे प्राकृतिक संसाधनों की कॉर्पोरेट लूट से आदिवासी समुदाय और ग्रामीण जनता तबाह हो रही है, उस पर बजट में कोई चिंता नहीं है, क्योंकि यह लूट कांग्रेस और भाजपा दोनों के संरक्षण में हो रही है। यही कारण है कि पिछले चार सालों में केवल 40000 आदिवासियों को ही आधा-अधूरा वनाधिकार दिया गया है, जबकि लाखों आवेदनों को सबूत के बावजूद खारिज कर दिया गया है।

बरसों पुराने अधिग्रहण के प्रकरणों पर मुआवजा, रोजगार और पुनर्वास के मुद्दे पर भी सोची-समझी चुप्पी साध ली गई है। पेसा के क्रियान्वयन के लिए जो नियम बनाये गए हैं, उससे पेसा की मूल भावना का ही उल्लंघन होता है।

किसान सभा नेताओं ने कहा है कि बेरोजगारी भत्ता के लिए केवल 250 करोड़ रुपयों का प्रावधान किया गया है, जिससे केवल 83000 बेरोजगारों को ही भत्ता दिया जा सकता है, जबकि पंजीकृत बेरोजगारों की संख्या ही 19 लाख है और गैर-पंजीकृत बेरोजगार इससे कहीं ज्यादा है। गरीबी के पैमाने पर भी 72% परिवार गरीबी रेखा के नीचे जीवन-यापन कर रहे हैं।

अतः बेरोजगारी भत्ता की घोषणा केवल ‘चुनावी जुमला’ भर है। इसके साथ ही, प्रदेश में लगभग एक लाख सरकारी पद रिक्त हैं, न उन्हें भरने की घोषणा की गई है और न ही अनियमित कर्मचारियों को नियमित करने की। आंगनबाड़ी कर्मियों के मानदेय में वृद्धि आईसीडीएस के प्रस्ताव से बहुत नीचे हैं और रसोईयों और सफाईकर्मियों को कलेक्टोरेट दर से भी वंचित रखा गया है। इससे साफ है कि समाज के सबसे ज्यादा दमित-शोषित निचले तबके के प्रति सरकार का क्या रवैया है?

किसान सभा ने कांग्रेस सरकार की कॉर्पोरेटपरस्त नीतियों के खिलाफ आम जनता को लामबंद करने अभियान चलाने की घोषणा की है।

(छत्तीसगढ़ किसान सभा के प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित।)

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