Wednesday, June 7, 2023

छत्तीसगढ़ में गोबर खरीद पर संघ सरकार के साथ, विरोध में बीजेपी

रायपुर। छत्तीसगढ़ में सरकार ने किसानों से डेढ़ रुपये प्रति किलो के हिसाब से गोबर खरीदने का फैसला किया है। इस फैसले के विरोध में बीजेपी के पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर ने सरकार की नीति का विरोध करते हुए कहा था कि गोबर को राजकीय चिह्न बना देना चाहिए! और अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुलाकात करके सरकार के गोबर ख़रीदने के फैसले का स्वागत किया है।

बता दें कि इन दिनों छत्तीसगढ़ में गाय-गोबर की राजनीति चरम पर है। छत्तीसगढ़ में गोबर पर सियासत के बीच कांग्रेस सरकार का समर्थन राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ ने किया है। आरएसएस के संगठन गौ ग्राम स्वावलंबन अभियान के एक प्रतिनिधिमंडल ने बीते मंगलवार को रायपुर स्थित मुख्यमंत्री निवास में सीएम भूपेश बघेल से मुलाक़ात की। उन्होंने कहा कि इस फैसले से समाज स्वावलंबन की दिशा में आगे बढ़ेगा। संगठन ने गोबर खरीदने के सरकार के फैसले को सही ठहराया है। इसके अलावा कुछ और मांगें भी की हैं। हालांकि इस बीच बीजेपी नेता अजय चन्द्राकर कांग्रेस सरकार पर लगातार हमलावार हैं।

मंगलवार को मुख्यमंत्री निवास में आरएसएस के संगठन गौ ग्राम स्वावलंबन अभियान के एक प्रतिनिधि मंडल ने बघेल से मुलाक़ात की। उन्होंने कहा कि इस फैसले से समाज स्वावलंबन की दिशा में आगे बढ़ेगा। पिछले साल सरकार की ओर से ‘नरवा गरुवा घरुवा बारी’ योजना के बाद आरएसएस की ओर से कृष्ण जन्माष्टमी पर एक पर्चा भी जारी किया गया था। इस पर्चे की मांगों को दोहराते हुए समिति की ओर से एक ज्ञापन भी मुख्यमंत्री को सौंपा गया जिसमें गोबर के साथ गौ मूत्र और वर्मी कंपोस्ट भी सरकार की ओर ये ख़रीदे जाने की बात कही गई है।

मुख्यमंत्री बघेल ने आरएसएस के प्रतिनिधियों को बताया कि सरकार पहले ही वर्मी कंपोस्ट ख़रीदने का फ़ैसला कर चुकी है। उन्होंने कहा कि सहकारी समितियां यह कार्य करेंगी। ज्ञापन में आरएसएस के छत्तीसगढ़ प्रमुख बिसराराम यादव का नाम है। जबकि समिति की ओर से भुवनेश्वर यादव का नाम है। प्रतिनिधिमंडल में सुबोध राठी भी शामिल थे। हालांकि आरएसएस के कार्यकारिणी का मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के इस मुलाकात के बाद अभिनंदन का किसी तरह का आधिकारिक बयान नहीं आया है।

क्या है गोबर खरीदने की छत्तीसगढ़ सरकार की योजना

छत्तीसगढ़ राज्य सरकार ने किसानों से डेढ़ रुपये प्रति किलो के हिसाब से गोबर खरीदने का फैसला किया है। गोबर खरीदने के लिए हाल ही में राज्य सरकार ने मंत्रिमंडलीय उपसमिति का गठन किया था, जिसने गोबर खरीदी की दर पर अंतिम मुहर लगा दी है। राज्य के कृषि मंत्री और समिति के अध्यक्ष रवींद्र चौबे ने शनिवार को इसकी घोषणा करते हुए कहा, “हमने डेढ़ रुपये प्रति किलो के हिसाब से गोबर खरीदने की अनुशंसा की है। इसे मंत्रिमंडल में पेश किया जाएगा। हमने गोबर खरीदने की पूरी तैयारी कर ली है और गांवों में 21 जुलाई, हरेली त्योहार के दिन से गोबर खरीदी की शुरुआत की जाएगी।”

बताते चलें कि सरकार के गोबर की खरीदी का निर्णय के बाद पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर ने सरकार की नीति का विरोध करते हुए कहा था कि गोबर को राजकीय चिह्न बना देना चाहिए। चंद्राकर ने ट्वीट किया-छत्तीसगढ़ के वर्तमान राजकीय चिह्न नरवा, गस्र्वा की अपार सफलता और छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था में गोबर के महत्व को देखते हुए राजकीय प्रतीक चिह्न बना देना चाहिए। चंद्राकर के ट्वीट पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के राजनीतिक सलाहकार विनोद वर्मा ने टिप्पणी की।

वर्मा ने कहा कि आपकी संघशिक्षा और दीक्षा एकदम दुरुस्त है। वो विनायक सावरकर, जिन्हें आप वीर कहते हैं, वो भी गौमाता और गोबर के बारे में ऐसी ही अपमानजनक बात कहते थे। छत्तीसगढ़ की जनता सुन-देख रही है। कांग्रेस ने ट्वीट किया-आपकी सोच को देखकर लगता है कि सरकार की इस योजना से भाजपा के नेताओं को काफी लाभ मिल सकता है, उठाना भी चाहिए। दिमाग में भरे गोबर को बेचें, आर्थिक लाभ पाएं। कुछ अच्छी चीजें भी दिमाग में घुसेंगी।

वहीं, कांग्रेस प्रवक्ता आरपी सिंह ने कहा कि आखिरकार भाजपा को गौमाता, सनातन हिंदू धर्म, छत्तीसगढ़, छत्तीसगढ़ की अस्मिता और छत्तीसगढ़ के राजकीय प्रतीक चिन्ह से इतनी नफरत क्यों है? भाजपा का असली चेहरा चंद्राकर के दो ट्वीट के बाद बेनकाब हो गया है। इसमें उन्होंने गोवंश और छत्तीसगढ़ राज्य के प्रतीक चिल्ह का अपमान किया है।

भाजपा चुनाव में अवसरवादिता का लाभ उठाते हुए हिंदुत्व और गौ सेवा का मुद्दा भुनाती रही है। लेकिन वास्तव में ना तो भाजपा के मन में हिंदुओं के प्रति कभी प्रेम रहा है और ना ही गौ माता के प्रति। गोबर के बाद सरकार गोमूत्र की खरीदी पर भी विचार कर सकती है, तब इस योजना का भाजपा के द्वारा इतना विरोध क्यों? भाजपा तय कर ले या तो वह गौ माता, सनातन हिंदू धर्म और छत्तीसगढ़ वासियों के पक्ष में है या खिलाफ।

(जनचौक संवाददाता तामेश्वर सिन्हा की रिपोर्ट।)

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