भिण्ड। समाजवादी नेता व लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के संस्थापक रघु ठाकुर ने कहा है कि हिम्मत से निकलें तो देश की राजनीति बदलेगी। बिना पैसे के भी राजनीति की जा सकती है। जनता के दु:ख- दर्द और मुद्दों को लेकर सक्रिय रहें, संघर्ष करें तो जनता हर तरह से जरूरी सहयोग करेगी, यह विश्वास मन में रहना चाहिए।
लोहिया और गांधी सिविल नाफरमानी से ही जिन्दा रहते हैं। लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के साथियों को किसानों के हक में तो लड़ना ही चाहिए साथ ही कुरीतियों के खिलाफ वातावरण बनाना चाहिए।
खेती इस समय घाटे का सौदा है। योजना के तहत किसान को खेती से बाहर लाकर जमीनें पूंजिपतियों को दी जा रही हैं। डॉ. राममनोहर लोहिया की दाम बांधो नीति के तहत लागत में पचास फीसदी जोड़कर फसल का दाम तय करना चाहिए और यही नीति उद्योगों पर लागू होनी चाहिए।
आने वाले समय में लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी अपने पुराने मुद्दों के साथ-साथ इस बात के लिए भी लड़ेगी कि घाटे की खेती का लगान माफ़ किया जाये। साथ ही यह तय होना चाहिए कि किसान की अगली फसल आने तक कृषि उपज की कीमत में छह फीसदी से ज्यादा वृद्धि नहीं होनी चाहिए।
अभी स्थिति यह है कि फसल आते समय किसान को उपज का बहुत कम दाम मिलता है और अगली फसल आने से पहले व्यापारी मनमाने दामों पर बेचते हैं। हमारे आसपास और मित्रों में हर समुदाय के लोग रहेंगे तो समरसता बढ़ेगी और राजनीति सरल होगी।
रघु ठाकुर ने भिण्ड में आयोजित लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के दो दिवसीय कार्यकर्ता चिंतन शिविर में यह विचार रखे। शिविर में देश के विभिन्न प्रांतों के लोसपा कार्यकर्ता इकठ्ठे हुए। शिविर 2 अक्टूबर को सम्पन्न हुआ।
लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने शिविर में यह संकल्प लिया कि महीने में दस गांव में जायेंगे और दो गोष्ठियां करेंगे, साथ ही स्थानीय सवालों को लेकर संघर्ष करेंगे। गांव गांव में नियमित रूप से गोष्ठी कर लोसपा के मुद्दों को जनता के बीच ले जायेंगे व सदस्यता अभियान चलाएंगे।
लोसपा का यह दो दिवसीय शिविर राकेश कौरव की पहल व श्यामसुंदर यादव के सहयोग से आयोजित हुआ। लोसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एडवोकेट शम्भूदयाल बघेल ने शिविर के दूसरे दिन कृषि नीति पर बोलते हुए कहा कि लगातार किसानों को खेती से बाहर धकेला जा रहा है।
वे गांवों से पलायन कर रहे हैं। सरकारों को यह ध्यान रखना चाहिए कि किसान हाशिए पर जायेगा तो भारत भारत नहीं रहेगा।
किसानों के मुद्दे पर बोलते हुए रघु ठाकुर ने कहा महात्मा गांधी, लोहिया व चौधरी चरणसिंह के समय तक किसानों के आन्दोलन विचार पर आधारित थे। महेन्द्र सिंह टिकैत ने इसे लाठी का आन्दोलन बनाया।
और हाल में हुआ तथाकथित किसान आंदोलन बिचौलियों का आन्दोलन था। ऐसा कोई भी आन्दोलन जो खुद को अराजनीतिक बताए उसे चौधरी चरणसिंह की बात याद रखनी चाहिए कि किसान को अपनी एक आंख खेती पर और एक आंख राजनीति पर रखनी चाहिए।
भिण्ड के समाजवादी आंदोलन को याद करते हुए रघु ठाकुर ने कहा भिण्ड में समाजवादी विचार के लिए जमीन पांडरी के रघुवीर सिंह कुशवाह ने तैयार की थी। जहां भी जुल्म-ज्यादती होती थी सारे काम छोड़कर वे पहुंचते थे।
वे संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रहे। पैसे के खिलाफ राजनीति का वे सबसे बड़ा उदाहरण बने। उनकी राष्ट्रीय ख्याति और सम्मान था। लेकिन भिण्ड ने उस गौरव को खो दिया। समाजवादी विचार की वह जमीन अब सिकुड़ गई है, जिसे फिर से फैलाने की जरूरत है।
राजनीति के काम में उत्साह की जरूरत बताते हुए रघु ठाकुर ने कहा कि सागर विश्वविद्यालय के अधिकारी होकर भी लक्ष्मीनारायण भारद्वाज लोहियाजी की पत्रिका ‘जन’ का वितरण साइकिल पर रखकर करते थे। रघुजी ने कहा जो राजनीति में पैसा और गाड़ी चाहते हैं, वह महात्मा गांधी और लोहिया का नाम लेने लायक नहीं है।
दिल्ली से आये अर्थशास्त्र के विद्वान डॉ अशोक पंकज ने कहा कि देश नीति, नेतृत्व और नीयत के संकट से गुजर रहा है। एक तरफ़ किसान अपनी जमीन खो रहे हैं दूसरी ओर कोविड काल में देश में अरबपतियों की संख्या बढ़ गई।
शिविर में उद्घाटन सत्र सहित कुल सात सत्र हुए जिनमें लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी की विचारधारा, संगठन निर्माण, किसान एवं कृषि नीति, वर्तमान राजनीति में बदलाव की सम्भावना, इक्कीसवीं सदी में समाजवाद और उसके मुद्दे, विचार के प्रसार में सोशल मीडिया का उपयोग आदि मुद्दे सम्मिलित थे।
लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी की विचारधारा को स्पष्ट करते हुए दूसरे सत्र में दिल्ली से आए मुकेश चंद्रा ने कहा कि आतंरिक लोकतंत्र, राजनीति को भ्रष्टाचार-मुक्त करना, सन् १९५२ से अब तक सत्ता में रहे लोगों की सम्पत्ति की सार्वजनिक घोषणा, चुनाव सुधार, सांसद विधायकों के पेंशन की समाप्ति, फिजूलखर्ची पर रोक, महिला आरक्षण, आबादी पर नियंत्रण, आदि विषय लोसपा के घोषणा पत्र में तभी से शामिल हैं, जब से पार्टी की स्थापना हुई। लोसपा परिवारवाद के हमेशा खिलाफ है व जातिगत जनगणना के पक्ष में है।
आज केन्द्र की सरकार ‘एक देश एक चुनाव’, समान नागरिक संहिता, चिकित्सा के मौलिक अधिकार जैसे विषयों को यदि लागू कर रही है, तो उसके पीछे लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी का अभियान भी है।
लोसपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मदन जैन ने कहा ‘एक देश एक चुनाव’ के पक्ष में पार्टी ने अपने अध्ययन व दस्तावेज पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेजा था। महिला आरक्षण के पक्ष में रघु जी ने निरंतर लेख लिखे हैं।
लोसपा के प्रदेश अध्यक्ष विन्ध्येश्वरी पटेल ने कहा कि पार्टी कार्यकर्ताओं को अपने समय का साठ प्रतिशत लोसपा की नीति व कार्यक्रमों में लगाना चाहिए।
डॉ अनूप सिंह ने कहा तमाम राजनीतिक दलों ने जब प्रशिक्षण शिविर बंद कर दिए हैं, तब लोसपा प्रशिक्षण शिविर लगा रही है। राजनीतिक दलों में लोकतंत्र का अभाव है। नेताओं को सुप्रीमो, बास, हाइकमान कह कर सम्बोधित किया जा रहा है। जबकि यह शब्द लोकतंत्र के नहीं हैं।
लोसपा इस विकृत संस्कृति को समाप्त कर समता और परस्पर सम्मान की संस्कृति विकसित करना चाहती है। दुनिया के तमाम लोकतांत्रिक आन्दोलनों का समर्थन करती है और नैतिकता पर उसका जोर है।
लोसपा के राष्ट्रीय महासचिव अरुण प्रताप सिंह ने कहा लोसपा आरक्षण के मुद्दे पर लोहिया व कर्पुरी ठाकुर के फार्मूले को मानती है और अति पिछड़ी जातियों के लिए अलग से आरक्षण की पक्षधर है।
खुले में घूमती गायों के लिए लोसपा लम्बे समय से सुझाव दे रही है कि हर किसान को तीन हजार रुपए प्रति गाय के हिसाब से दिये जायें, जिससे गाय भी बच जायेगी और फसल भी बच जायेगी।
छत्तीसगढ़ से आये जावेद उस्मानी ने कहा लोसपा ने हमेशा देश के बुनियादी मुद्दे उठाए हैं। लोसपा में हम हैं यह गौरव का विषय है।
दुर्ग से आये श्याम मनोहर सिंह, धमतरी दुगली से शिव नेताम व ललितपुर से आये हरपाल सिंह ने कहा लोसपा का नेतृत्व भी श्रेष्ठ है और नीति भी। केवल नीति और कार्यक्रम को जनता के बीच प्रचार-प्रसार की जरूरत है।
वरिष्ठ पत्रकार अजय तिवारी ने कहा कि रघु ठाकुर उन विरल राजनेताओं में हैं जिनके विचार में विचलन नहीं आया। लोसपा को खाद्य पदार्थों में मिलावट के खिलाफ भी अभियान चलाना चाहिए।
शिवराज सिंह (सागर), दयाशंकर शर्मा (कानपुर) संजीव राणा (मुरैना) गुलाब ठाकुर (बिहार), धीरेन्द्र पासवान, भरत सराठे (विदिशा), चंद्रशेखर रेड्डी, अमन खान, निसार कुरैशी, मानवेन्द्र सिंह कौरव ने पार्टी को मजबूत करने के लिए अपने विचार रखे। शिविर के समापन के अवसर पर सभी को प्रमाण-पत्र वितरित किए गए।
(प्रेस विज्ञप्ति)
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