आज 8 अक्टूबर 2021 को झारखंड में रांची स्थित राजभवन झारखंड के समक्ष विभिन्न जनसंगठनों द्वारा फादर स्टेन स्वामी की प्रायोजित हत्या में शामिल दोषियों को सजा की मांग को लेकर धरना दिया गया। उक्त धरना कार्यक्रम “शहीद फादर स्टेन स्वामी न्याय मोर्चा” के बैनर तले आयोजित हुआ, जिसमें बड़ी संख्या में फादर स्टेन को चाहने वाले जमा हुए थे। धरना कार्यक्रम में राजनीतिक दलों में भाकपा माले, माकपा, भाकपा, मासस, एसयूसीआई के कार्यकर्ताओं ने भी बड़ी संख्या में हिस्सा लिया।
फादर स्टेन स्वामी के साथ लंबे समय रही प्रभा लकड़ा और सुगिया होरो ने कहा कि फादर स्टेन को हमसे ज्यादा कौन जान सकता है। वे पूरी तरह निर्दोष थे। उन्हें साजिश के तहत फंसाया गया। फादर हमारे झारखंड के जल, जंगल, जमीन के आंदोलन के मॉडल रहे हैं और रहेंगे। उन्होंने सवालिया भरे लहजे में कहा कि आख़िर जल, जंगल, जमीन, के लिए लड़ने वालों को ही जेलों में बंद क्यों किया जाता है?
धरना कार्यक्रम को संबोधित करते हुए न्याय मोर्चा की अध्यक्ष दयामनी बारला ने कहा कि फादर स्टेन के संघर्ष केंद्र की सता पर बैठी सरकार के एजेंडे से मेल नहीं खाता था। यही वजह रही कि एक बीमार आदमी को जेल में डाला गया। बारला ने कहा कि देश में कंपनी राज के खिलाफ आजादी की लड़ाई का केंद्र झारखण्ड रहा है। इस बार भी झारखंड किसान विरोधी मोदी की कम्पनीपरस्त नीतियों के खिलाफ लड़ाई का केंद्र बनेगा। संविधान प्रदत्त समता जजमेंट और पांचवीं अनुसूची जैसे स्पेशल कानून हमारे संघर्ष के हथियार हैं, इसके रहते हम झारखंड में कोई कंपनी राज को नहीं चलने देंगे।
भाकपा माले के मजदूर नेता शुभेंदु सेन ने कहा कि असहमति और विरोध की आवाज़ को दबाने के लिए हमेशा से साजिश रची जाती रही है, जिसका शिकार हमेशा आदिवासी, दलित और राजनीतिक कार्यकर्ता हुए हैं। इस बार साजिशकर्ता बेनकाब हुए हैं, फादर स्टेन के न्याय के लिए हर स्तर पर लड़ाई जारी रहेगी।
धरना कार्यक्रम को संबोधित करते हुए माकपा के प्रकाश विप्लव ने कहा कि झूठ को बार बार बोलने से सच नहीं हो जाता है, केंद्र सरकार फादर स्टेन और किसानों की हत्या के मामले में दोषी है। मोदी सरकार राजनीतिक और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को जेल में बंद कर विरोध और असहमति की आवाज को जो दबा नहीं पाएगी। हम फादर स्टेन के न्याय की लड़ाई जीतेंगे।
हॉपमेन एसोसिएशन के फादर महेंद्र पीटर ने कहा कि सच पर चाहे जितने पर्दे डाले जाएं, सच को झुठलाया नहीं जा सकता है, न्याय के लिए जरुरत पड़ी तो न्यायालय का भी दरवाजा खटखटाएंगे। धरना कार्यक्रम के पूर्व स्टेन स्वामी की तस्वीर पर माल्यार्पण कर एक मिनट का मौन श्रद्धांजलि अर्पित की गयी।
कार्यक्रम के पश्चात राज्यपाल को एक पांच सूत्री मांग पत्र सौंपा गया जिसमें जेलों में बंद राजनीतिक और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को रिहा करने, यूएपीए जैसा काला कानून रद्द करने, समता जजमेंट के तहत ग्रामसभा की सहमति और अधिकार सुरक्षित करने आदि मुख्य मांगें शामिल हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता बागीचा के निदेशक फादर टोनी ने किया, जबकि संचालन आदिवासी आधिकार मंच के प्रफुल्ल लिंडा ने किया। धरना कार्यक्रम को माले नेता भुवनेश्वर केवट, भाकपा नेता अजय सिंह, मासस नेता सुशांतो मुखर्जी, एसयूसीआई के नेता मिंटू पासवान, विस्थापित जन विकास आंदोलन के नेता दामोदर तुरी, फादर सेबेस्टिन लकड़ा, जनाधिकार महासभा के सिराज दत्ता, अनिर्वान बोस, भरत भूषण चौधरी, एपवा और एडवा की नेत्री नंदिता भट्टाचार्य, वीना लिंडा, सुभास मुंडा, शांति सेन, फादर मार्टिन, आदि नेताओं ने संबोधित किया।
(झारखंड से वरिष्ठ पत्रकार विशद कुमार की रिपोर्ट।)
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