आदिवासी दिवस पर विशेष: मूलनिवासी बनाम आदिवासी
विश्व मूल निवासी दिवस, विश्व में रहने वाली पूरी आबादी के मूलभूत अधिकारों (जल, जंगल, जमीन) को बढ़ावा देने और उनकी सामाजिक, आर्थिक और न्यायिक [more…]
विश्व मूल निवासी दिवस, विश्व में रहने वाली पूरी आबादी के मूलभूत अधिकारों (जल, जंगल, जमीन) को बढ़ावा देने और उनकी सामाजिक, आर्थिक और न्यायिक [more…]
“गांव छोड़ब नाहीं, हम जंगल छोड़ब नाहीं, माई-माटी छोड़ब नहीं, लड़ाई छोड़ब नहीं।” इस लोकगीत को संभवतः देश के सभी नागरिकों ने कभी न कभी [more…]
एक सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार बिहार के पश्चिमी चम्पारण जिले में आठ अक्टूबर को मारे गए बाघ के बारे में किए गए फैसले के मुताबिक उसे [more…]
यदि आप भारतीय मीडिया की इस बात पर भरोसा करते हैं कि ‘प्रोजेक्ट चीता’ चीतों के संरक्षण हेतु प्रारंभ किया गया विश्व में अपने ढंग [more…]
छत्तीसगढ़। दशकों से चल रहे विरोध के बावजूद छत्तीसगढ़ में हसदेव के जंगलों की प्रशासन और कंपनी ने मंगलवार की सुबह से पेड़ों की कटाई [more…]
बस्तर। छत्तीसगढ़ के कांकेर में विगत माह आदिवासी इलाकों में स्वशासन के लिए ज़रूरी पेसा (अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायत उपबंध का विस्तार) कानून के नियम [more…]
कभी बंधुआ मजदूरों तो कभी जंगलवासी गुज्जरों और कभी घायल मसूरी की बेजुबान पहाड़ियों की लड़ाई सड़क से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक लड़ने वाले पद्मश्री [more…]
’’जब रोम जल रहा था, तो नीरो सुख और चैन की बाँसुरी बजा रहा था।’’ यह कहावत रोमन सम्राट नीरो के बारे में मशहूर है। [more…]
देहरादून। विकास के नाम पर एक बार फिर से उत्तराखंड में विनाश का खेल शुरू कर दिया गया है। चार धाम सड़क परियोजना के नाम [more…]
कैमूर। ‘‘जल-जंगल-जमीन हम आपका, नहीं किसी के बाप का’’, ‘‘जल-जंगल-जमीन हमारा है, वन विभाग की जागीर नहीं’’, ’‘ ये धरती सारी हमारी है, जंगल-पहाड़ हमारे [more…]