लोकरंग महोत्सव से गुलजार होगा कुशीनगर, देश-विदेश से जुट रहे कलाकार

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कुशीनगर। जिले के जोगिया जनूबी पट्टी गांव के हर घर से लेकर गलियां तक लोकरंग से सराबोर हैं। 15-16 अप्रैल को होनेवाले दो दिवसीय लोकरंग महोत्सव को लेकर लोक कलाओं से जुड़ी प्रतिभाओं का यहां आना शुरू हो गया है। देश के कई हिस्सों के अलावा विदेशों से भी लोकसंस्कृति से जुड़ी प्रतिभाओं का यहां जमघट लगा रहेगा। लोकरंग सांस्कृतिक समिति की ओर से पिछले 16 वर्षों से आयोजित होने वाला यह सांस्कृतिक महोत्सव पूर्वांचल की लोक संस्कृतियों को फूहड़पन से मुक्त कर उनके लोकपक्ष को विश्वपटल पर प्रस्तुत करने का काम करता रहा है।

इसकी अब तक की यात्रा पर गौर करें तो दुनिया भर में बिखरीं भोजपुरी लोक संस्कृतियों को भी लोकरंग के मंच पर उतारा है। देश के दूसरे हिस्सों की लोक संस्कृतियों से दर्शकों को रूबरू करवाया है। अब तक विदेशों से मॉरीशस की गीत गवाई टीम, नीदरलैंड से राजमोहन, दक्षिण अफ्रीका से केम चानलाल, गुयाना से रामदहल और उनकी टीम लोकरंग में पधार चुकी है। सांस्कृतिक भड़ैंती और फूहड़पन के विरुद्ध जनसंस्कृति के संवर्द्धन के लिए आयोजित होने वाले इस सांस्कृतिक आयोजन में इस वर्ष कार्यक्रम की शुरुआत गांव की महिलाओं द्वारा संझा पराती लोकगीत से होगा।

दक्षिण अफ्रीका से एक बार फिर केम चानलाल डरबन में रची-बसी भोजपुरी गायकी की झलक प्रस्तुत करेंगे। मालवा का कबीर गायन विश्व प्रसिद्ध है। इस बार प्रीतम मालवीय अपनी टीम के साथ कबीर गायन प्रस्तुत करेंगे। मांडव लोक कला सांस्कृतिक संस्था, धार मध्यप्रदेश द्वारा भगोरिया लोक नृत्य प्रस्तुत किया जायेगा। इस टीम का नेतृत्व कृष्णा मालीवाड करेंगे। तारकेश्वर काजी थारू कल्चरल ग्रुप, पश्चिमी चम्पारन बिहार द्वारा थारू नृत्य, जंतसारी झमटा यस्त्रीद्ध और झकरा यपुरुषद्ध गीत प्रस्तुत किया जायेगा।

थारू लोक संस्कृति को जिन्दा रखने वाली इस टीम में कुल पच्चीस लोक कलाकार भाग ले रहे हैं। कुशीनगर की फरुवाही लोक नृत्य की टीम माधोपुरा से पधार रही है। लखराज लोककला मंच-ए-सुल्तानपुर की ओर से अवधी बिरहा गायन प्रस्तुत किया जायेगा, जिसके मुख्य कलाकार बृजेश यादव हैं। झारखण्ड की पच्चीस सदस्यीय खड़िया आदिवासी लोक नृत्य टीम-ए-आदिवासी लेखिका वंदना टेटे के नेतृत्व में पधार रही है।

नूपुर लोक कला संस्थान सागर मध्य प्रदेश की तरफ से बधाई और नौरता लोक नृत्य की प्रस्तुति नदीम राईन की टीम करेगी। देशभर के वरिष्ठ साहित्यकारों, लोक संस्कृति के विद्वानों के बीच एक विचार गोष्ठी का भी आयोजन किया गया है, जो 16 अप्रैल को सुबह 11 बजे प्रारम्भ होगा। इस विचार गोष्ठी का विषय है लोकसंस्कृति का भविष्य बनाम भविष्य की लोकसंस्कृति।

इस आयोजन में दो नाटक भी प्रस्तुत किये जायेंगे। 15 अप्रैल की रात्रि में नाटक, जामुन का पेड़ परिकल्पना और निर्देशन, पुंज प्रकाश, कहानीकार कृष्ण चंदर, प्रस्तुति दस्तक, पटना की तरफ से और 16 अप्रैल की रात्रि में नाटक, टैच बेचईयाए नाचा थियेटर, रायपुर, छत्तीसगढ़ की तरफ से प्रस्तुत किया जायेगा। यह नाटक हरिशंकर परिसाई की कहानी पर आधारित है।

संभावना कला मंच गाजीपुर की बीस सदस्यीय टीम इस बार सुधीर सिंह और राजीव कुमार गुप्ता के नेतृत्व में आ रही है। यही टीम हर वर्ष पूरे गांव को कविता, पोस्टर और भित्ति चित्र के सजाती है। मंच और लोकरंग परिसर की सज्जा का जिम्मा भी सम्भावना कला मंच गाजीपुर निभा रहा है। इस टीम में देश के ख्याति प्राप्त फाइन आर्ट के कलाकार शामिल हैं। मंच से परे बहुरूपिया कलाकारों का प्रदर्शन भी होगा। इस बार देश के मशहूर बहुरूपिया कलाकार शमशाद बांदीकुईं राजस्थान अपनी टीम के साथ पूरे गांव और आसपास अपनी कला का प्रदर्शन करेगी।

बीते एक साल के अंदर लोकरंग के दो महत्वपूर्ण स्तम्भ जुदा हो चुके हैं। इसलिए यह आयोजन हिन्दी साहित्य के शीर्ष आलोचक स्मृतिशेष प्रो. मैनेजर पाण्डेय और संभावना कला मंच के पूर्व निर्देशक स्मृतिशेष डॉ. राजकुमार सिंह की याद में आयोजित किया जा रहा है। कार्यक्रम के संयोजक और साहित्यकार सुभाष कुशवाहा के मुताबिक इस आयोजन का संचालन देश के जाने-माने कवि प्रो. दिनेश कुशवाहा, हिन्दी विभागाध्यक्ष, रीवा विश्वविद्यालय द्वारा किया जायेगा। लोकरंग सांस्कृतिक समिति के हदीश अंसारी, विष्णुदेव राय, भुवनेश्वर राय, इसरायल अंसारी, संजय कुशवाहा, सिकंदर, योगेन्द्र प्रसाद, मंजूर हबीब आदि आयोजन को सफल बनाने में जुटे हैं।

(कुशीनगर से जितेंद्र उपाध्याय की रिपोर्ट।)

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