झारखंड: बालू के अवैध खनन से नदियों के अस्तित्व पर संकट, HC ने सरकार से मांगा जवाब

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झारखंड। विगत 29 मार्च को झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने राज्य में बिना टेंडर के बालू के अवैध खनन को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को तीन सप्ताह में जवाब देने का निर्देश दिया है।

प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता पीयूष पोद्दार व विकास पांडेय ने खंडपीठ को बताया था कि वर्ष 2019 में बालू घाटों का टेंडर किया गया था। वह आज भी फाइनल नहीं किया गया है। इसके बावजूद बालू का अवैध खनन राज्य में जारी है।

मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि राज्य में कहीं भी बालू का अवैध उत्खनन व उठाव नहीं हो सके। जब बालू टेंडर का आवंटन हो जाये, लाइसेंस मिल जाये, तो उसका उठाव किया जा सकता है। खंडपीठ ने कहा कि आदेश का उल्लंघन करने पर गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। आपराधिक अवमानना का भी मामला बन सकता है। कोर्ट द्वारा आदेश की नि:शुल्क प्रति सरकार के अधिवक्ता को उपलब्ध कराने को कहा गया।

कोर्ट के आदेश के बाद भी राज्य में बिना टेंडर के ही अवैध रूप से हर दिन हो रहा बालू घाटों से अवैध उत्खनन और अवैध उठाव जारी है।

बालू के इन अवैध उठाव से जहां एक तरफ राज्य सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा है, वहीं राज्य की नदियों के अस्तित्व पर भी संकट छाता जा रहा है। पुल के नीचे से बालू गायब होने से पुल के पिलर की नींव दिखने लगी है और बड़े हादसे की संभावना प्रबल हो गई है।

बालू तस्करों का मनोबल इतना बढ़ा हुआ है कि उन्हें रोकने की कोशिश करने वाले अफसरों व पुलिस जवानों पर हमला करने तक में भी पीछे नहीं हैं। राहे अंचल के सीओ महेंद्र छोटन उरांव को एक फरवरी 2023 की रात 11.20 बजे हाईवे पर कुचल कर मारने की कोशिश बालू माफियाओं द्वारा की गई।

पिछले साल चार जून 2022 को बराकर नदी के पांड्रा बेजरा घाट पर अवैध बालू उठाव रोकने के लिए छापेमारी करने गये एसडीएम प्रेम कुमार तिवारी और खनन विभाग की टीम को गांव में बंधक बना लिया गया था। 4 नवंबर, 2022 की रात में बरवाअड्डा में बालू पकड़ने गये गोविंदपुर सीओ के साथ तस्करों ने मारपीट की थी।

देवघर के सारवां थाना क्षेत्र में विगत 29 मार्च की रात को अवैध बालू उठाव पर रोक लगाने गयी पुलिस बल पर बालू तस्करों ने हमला कर दिया। इसमें दारोगा समेत तीन चौकीदार घायल हो गये। पुलिस पर पथराव करके बालू तस्कर तीन ट्रैक्टर छुड़ा ले गये।

बता दें कि पूरे राज्य में वैध रूप से 21 बालू घाट ही संचालित है, जिनसे बालू की निकासी हो सकती है। लेकिन राज्यभर में प्रतिदिन छह हजार से लेकर 10 हजार ट्रकों व ट्रॉलियों से बालू का अवैध कारोबार हो रहा है। लगभग 300 करोड़ रुपये के बालू का अवैध कारोबार प्रतिमाह हो रहा है। दूसरी ओर खानन विभाग को वित्तीय वर्ष 2022-23 में बालू से फरवरी 2023 तक केवल 199.70 लाख रुपये ही राजस्व के रूप में मिला है।

राज्य सरकार द्वारा 2017-18 में ही फैसला लिया गया था, जिसके अनुसार कैटेगरी दो के सभी बालू घाटों का संचालन जेएसएमडीसी को करना है। इसके बाद से ही टेंडर की प्रक्रिया चल रही है। राज्य में 608 बालू घाट चिह्नित हैं। जबकि अब तक 12 जिलों की ही डिस्ट्रिक्ट सर्वे रिपोर्ट बनी है।

जिलों की बात करें तो पलामू,  रामगढ़,  कोडरमा,  हजारीबाग,  चतरा,  धनबाद,  गिरिडीह, पूर्वी सिंहभूम, देवघर, खूंटी, रांची, दुमका जिलों में बालू का अवैध खनन और उठाव धड़ल्ले से हो रहा है।

धनबाद

यहां एक भी बालू घाट की बंदोबस्ती नहीं है। जबकि जिले के पूर्वी टुंडी के बराकर नदी का बेजड़ा घाट से पूरे साल भर बालू का अवैध उत्खनन और उठाव होता है।

गिरिडीह

मुफ्फसिल थाना क्षेत्र के झरियागादी बालू घाट, उदनाबाद उसरी नदी बालू घाट, बराकर नदी, अरगाघाट, शास्त्रीनगर घाट, भंडारीडीह, सिहोडीह घाट, रानीखावा बालू घाट, बनखंजो बालू घाट, मोतीलेदा बालू घाट, गांडेज़ बिरनी, सरिया, गावां, तिसरी समेत विभिन्न प्रखंडों के बालू घाटों से प्रतिदिन सैकड़ों ट्रैक्टर व ट्रक से अवैध रूप से बालू का उठाव जारी है।

रामगढ़

जिले में भी बालू घाटों की नीलामी नहीं हुई है। इसके बावजूद पूरे जिले से लगभग 100 ट्रैक्टर, 20-25 हाईवा, 30-40 ट्रकों से करीब प्रतिदिन अवैध तरीके से बालू का उठाव हो रहा है।

कोडरमा

इस जिले में केवल दो बालू घाट ही वैध है। इसके बावजूद जयनगर से लेकर सुदूरवर्ती सतगावां, मरकच्चो, डोमचांच, चंदवारा व तिलैया के आसपास स्थित घाटों से बालू का उठाव कर ट्रैक्टरों के जरिये ढुलाई करते हुए आए दिन देखा जाता है। जयनगर में सर्वाधिक बालू का अवैध उठाव बराकर नदी के दुमदुमा, तिलोकरी, जयनगर, गोपालडीह, करियावां व सुगाशाख घाटों से हो रहा है।

हजारीबाग

यहां जिले में केवल नावाटानर बालू घाट की ही बंदोबस्ती है। परंतु जिले में 46 से अधिक छोटे-बड़े नदियों के बालू घाट से 650 से अधिक ट्रैक्टर और सैकड़ों हाइवा से बालू का उठाव हो रहा है। इसमें चलकुशा, चौपारण, कटकमसांडी, बड़कागांव प्रखंड की नदियों से बालू का उठाव सबसे अधिक होता है।

चतरा

गढ़केदाली, लोहरसिगना खुर्द व घोरीघाट की ही बंदोबस्ती हुई है। पर जिले के हंटरगंज प्रखंड के नीलाजन नदी के अलावा चतरा सदर, इटखोरी, कान्हाचट्टी, टंडवा, पत्थलगड्डा, मयूरहंड समेत अन्य प्रखंडो में स्थित नदियों से बालू का उठाव किया जा रहा हैं।


पलामू

पलामू में एक भी बालू घाट की बंदोबस्ती नहीं है। इसके बावजूद यहं के कोयल, सोन, अमानत, औरंगा, तहले, कनहर, बटाने नदियों से करीब 40 बालू घाटों से बालू का उठाव हो रहा है। चैनपुर, छतरपुर, नौडीहा, पांकी, हैदरनगर सहित अन्य इलाके में तो रात होते ही बालू तस्कर सक्रिय हो जाते हैं। लातेहार जिला मुख्यालय से होकर बहनेवाली औरंगा नदी से लगातार बालू का उठाव किया जा रहा है।

पूर्वी सिंहभूम

यहां के शहरी क्षेत्र बारीडीह निराला पथ के समीप और सुवर्णरेखा नदी पर बागुनहातु, उलीडीह मानगो, ग्रामीण क्षेत्रों में बड़शोल, गुड़ाबांधा, श्यामसुंदरपुर, ज्योतिपहाड़ी बहरागोड़ा, एनएच 33 तुड़ियाबेड़ा और बंगाल सीमा से सटे पटमदा, सरायकेला-खरसावां जिले के आदित्यपुर के सापड़ा में प्रशासन के नाक के नीचे अवैध निकासी हो रही है।

संथाल परगना

यहां की नदियों से हर दिन अवैध तरीके से बालू का उठाव हो रहा है। यहां तक की देवघर से बालू की तस्करी बिहार तक होती है। बिहार सीमा से सटे देवघर जिले से गुजरने वाली नदियों में अजय, पतरो, डढ़वा व चांदन से बालू का उठाव कर बिहार के जमुई व बांका जिले में ट्रैक्टर से अवैध तरीके से बेचा जा रहा है।

दुमका

सरैयाहाट प्रखंड में अवैध तरीके से नदियों से बालू का उठाव हो रहा है। सरैयाहाट के जिस बालूघाट से बालू का उठाव होता है उसकी बंदोबस्ती नहीं हुई है।

खूंटी

कारो और कांची नदी से अवैध बालू निकासी लगातार हो रहा है। जिले के कुदरी, ओकरा, सिमला और डोरमा बालू घाट चालू है। परंतु जिले के सभी प्रखंडों से बालू का प्रतिदिन अवैध उत्खनन हो रहा है।

कर्रा के मास्को, बकसपुर, बमरजा, तिलमी, गोविंदपुर सहित अन्य स्थानों में कारो नदी से बालू का उत्खनन और उठाव होते रोज देखा जाता है। तोरपा में गिरूम, टाटी, उड़िकेल, नीचितपूर, तपकरा, कोचा में कारो नदी से ही बालू निकाला जा रहा है।

रांची

दरअसल खूंटी के चालान पर ही रांची में भी अवैध बालू उठाव हो रहा है। रनिया में कोयल नदी से कोटांगेर, मेरोमबीर में जेसीबी से बालू का खनन किया जाता है। अड़की में कई जगहों से कांची नदी से भारी मात्रा में बालू का उठाव होता है।

जिले में 29 बालू घाट हैं। इनमें से एक का भी टेंडर नहीं हो सका है। बताया जाता है कि रात में बुंडू, खलारी, डकरा, सोनाहातू व सिल्ली के बालू घाटों से बालू की निकासी की जाती है। रांची में 500 टर्बो ट्रक और करीब 60 हाईवा से बालू की ढुलाई प्रतिदिन हो रही है। रांची के खलारी प्रखंड में एक दर्जन जगहों से बालू का अवैध उत्खनन खुलेआम होता है।


बालू नदी से निकालकर आसपास के जंगल में जमा किया जाता है। इसके बाद ट्रैक्टर से कहीं भी भेज दिया जाता है। वहीं जिले के सिल्ली में प्रतिदिन रात के अंधेरे में राढ़ू व कांची नदी से उत्खनन का काम व उठाव धड़ल्ले से होता है। बालू उत्खनन का आलम यह है कि राढू नदी के निचले हिस्से में खनन होने के कारण ऊपरी हिस्से में सिल्ली टाटा पुल के नीचे से बालू गायब हो गया है। इससे पुल के सभी पिलर की नींव दिखने लगी है। कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।

बालू के इन अवैध उठाव से जहां तरफ राज्य सरकार को वित्तीय नुकसान हो रहा है वहीं राज्य की नदियों के अस्तित्व पर भी संकट छाता जा रहा है। रांची जिले के बुंडू अनुमंडल सहित पूरे पंच परगना क्षेत्र में पिछले दो दशक से धड़ल्ले से हो रहे बालू के अवैध उठाव से कांची नदी, रायसा नदी, करकारी नदी और राढ़उ नदी का अस्तित्व संकट में आ गया है।

प्रतिदिन छोटे-बड़े ट्रैक्टर, टर्बो और हाईवा से रात के अंधेरे में हो रही बालू की ढुलाई से पेयजल संकट के साथ साथ नदी का स्वरूप भी बदल गया है। दर्जनों घाटों से पिछले 22 वर्षों से हो रही बालू की निकासी से नदी का स्वरूप बदलकर सुतिया नाला के रूप में तब्दील होता जा रहा है।

नदी की गहराई 10 से 12 फीट नीचे चली गई है। इस कारण नदी किनारे के दर्जनों गांवों में पेयजल संकट बढ़ गया है। क्षेत्र के कुएं-पोखरे और छोटे-छोटे तालाब गर्मी की शुरुआत में ही सूख जाते हैं। पुराने चापानल भी बेकार साबित हो रहे हैं।

ग्रामीण बताते हैं कि विरोध करने के बावजूद प्रशासन की मदद नहीं मिलती है। रात के अंधेरे में बालू चोरी कर अवैध कारोबारियों से लड़ना एक चुनौती है। इस मुद्दे पर कोई राजनीतिक पार्टी भी आगे नहीं आती है।

(विशद कुमार वरिष्ठ पत्रकार हैं और झारखंंड में रहते हैं।)

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