Saturday, April 27, 2024

मोदी सरकार पारदर्शिता के नाम पर मनरेगा में तकनीकी जटिलता ला रही है: जयराम रमेश 

झारखंड के गढ़वा जिला अंतर्गत रंका हाईस्कूल के मैदान में राष्ट्रीय जनसुनवाई एवं भारत जोड़ो न्याय यात्रा के साथ आयोजित जनसंवाद को संबोधित करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने नरेगा कानून के पीछे के संघर्ष को याद करते हुए इसके उद्देश्यों को रेखांकित किया और साथ ही उन्होंने कहा कि मौजूदा केंद्र सरकार पारदर्शिता के नाम पर नरेगा में अनावश्यक तकनीकी जटिलता ला रही है, जिससे लोगों के काम के अधिकार का हनन हो रहा है। असल में सरकार का मुख्य उद्देश्य नरेगा को ख़त्म करना है। 

जयराम रमेश ने यह भी कहा कि राजस्थान के बाद झारखण्ड दूसरा राज्य हो सकता है, जहां शहरी रोज़गार गारंटी लागू होना चाहिए। उन्होंने इस बात पर ज़ोर डाला कि जन प्रतिनिधियों का कर्त्तव्य है कि ऐसे जन सुनवाई में भाग लें और ज़मीनी सच्चाई पर नज़र रखते हुए नीतियों को लोकतांत्रिक तरीके से पारित करें।

जन सुनवाई के दौरान युवा नेता कन्हैया कुमार ने कहा कि इस देश को मज़दूरों ने बनाया है और मज़दूर के बिना देश एक कदम भी नहीं चल सकता। उन्होंने यह भी कहा कि गारंटी शब्द देश के श्रमिक आंदोलन से निकला हुआ है, अगर मौजूदा केंद्र सरकार पूंजीपतियों के 14 लाख करोड़ का कर्ज़ माफ़ कर सकती है तो उसे नरेगा मज़दूरों का काम और मज़दूरी की गारंटी सुनिश्चित करनी ही होगी।

जन सुनवाई के दौरान मशहूर अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज ने नरेगा मज़दूरों द्वारा बनाये गए तालाब से एक मछली दिखाते हुए जयराम रमेश से कहा कि नरेगा ऐसा निवेश है जो ग्रामीण गरीबों के बीच समृद्धि लेकर आया।

इस अवसर पर नरेगा संघर्ष मोर्चा और झारखण्ड नरेगा वॉच की तरफ से बलराम और जेम्स हेरेंज द्वारा एक मांग पत्र रखा गया। जिसमें कहा गया है कि परिवार के हर सदस्य को 100 दिन के काम की गारंटी के साथ नरेगा का मज़दूरी दर 800 रुपया होना चाहिए। 

केंद्र सरकार पर दबाव डाला जाये नरेगा कानून के अनुसार 15 दिन के भीतर मज़दूरी का भुगतान हो। केंद्र सरकार को स्वराज अभियान केस में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए लंबित भुगतान का मुआवज़ा भरना चाहिए। 

भुगतान के लिए आधार आधारित भुगतान प्रणाली (ABPS) को अनिवार्य न करें।  नरेगा में डिजिटल हाज़िरी (NMMS) को तत्काल बंद किया जाये।  सामाजिक अंकेक्षण के लिए पर्याप्त बजट का आवंटन हो और सामाजिक अंकेक्षण विभाग के स्वायत्तता को कायम रखा जाए। 

हर काम के सामाजिक अंकेक्षण में ग्राम सभा के समक्ष, समस्त जानकारी को रखते हुए CAG के नियामवली के अनुसार किया जाए। नरेगा कानून के धारा 27 के नाम पर पश्चिम बंगाल के नरेगा मज़दूरों के साथ हो रहे अन्याय को रोका जाए। धारा 27 का संशोधन हो ताकि दूसरे राज्यों के साथ इस तरह का अन्याय न हो।  

15 दिनों के अंदर काम न मिलने पर नरेगा क़ानून में बेरोज़गारी भत्ता का प्रावधान है लेकिन इसका पालन नहीं होता। अतः केंद्र सरकार को जवाबदेही लेना चाहिए कि मज़दूरों को बेरोज़गारी भत्ता मिले।  हर परिवार के हर व्यक्ति को एक साल में 100 दिन का काम मिले।

ग्राम सभा के सशक्ततिकण के लिए ज़रूरी है कि योजनाओं के निर्धारण और क्रियान्वयन में ग्राम सभा के निर्णय को प्राथमिकता दी जाए।  पूरे देश में शहरी रोज़गार गारंटी क़ानून लाया जाए ताकि वाकई में हर हाथ को काम मिले और काम का पूरा दाम मिले।

बताते चलें कि नरेगा संघर्ष मोर्चा एवं झारखंड नरेगा वॉच द्वारा आयोजित इस राष्ट्रीय जनसुनवाई  में झारखंड, बिहार, उत्तरप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान राज्यों से नरेगा मजदूरों, गैर-पार्टी ट्रेड यूनियन, जन संगठन और ज़मीनी स्तर के जन आन्दोलनों से जुड़े कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया।  

भारत के अलग अलग राज्यों से आये हुए 20 से अधिक मज़दूरों ने अपने इलाकों में नरेगा से संबंधित समस्याओं और चुनौतियों को जनता के समक्ष रखा। झारखण्ड के लातेहार से मज़दूर महावीर परहिया ने बताया की पिछले दो साल से उनके गांव में नियमित रूप से नरेगा में काम नहीं मिल रहा है और जो काम हुआ है उसका भुगतान भी समय पर नहीं हुआ। 

बिहार के कटिहार की फूल कुमारी का कहना था कि उनके यहां अगर 76 लोग काम की मांग करते हैं तो मुश्किल से 7 लोगों को काम मिलता है। 

छत्तीसगढ़ से भोलू पंडो और सेवक लकड़ा का कहना था कि नरेगा आने से उनके जीवन में क्रांतिकारी बदलाव आया लेकिन पिछले 10 सालों से लगातार बजट की कटौती और मोबाईल हाज़िरी (NMMS) के वजह से नरेगा में काम करना बहुत मुश्किल होता जा रहा है। 

बता दें कि नरेगा के उक्त जन संवाद कार्यक्रम में भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान सांसद और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी को भी शिरकत करना था, लेकिन अपरिहार्य कारणों से भारत जोड़ो न्याय यात्रा छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में स्थगित कर उन्हें दिल्ली लौटना पड़ा। इसकी जानकारी झारखंड कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने एक वीडियो जारी कर 13 फरवरी की रात को दी थी। 

(झारखंड से विशद कुमार की रिपोर्ट।)

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