दंतेवाड़ा ज़िले के हिरौली, गुमियापाल गांव में एक बार फिर आदिवासी खनन कंपनी के विरोध में लामबंद हो रहे है। खनन के जद में आने से पहले ही आरन हिल के नीचे बसे गांव हिरौली-गुमियापाल के ग्रामीण सचेत हैं, और डरे सहमे से है। बावजूद इसके कंपनी खनन के लिए आलनार पहाड़ी का दोहन करने के लिए हर हथकंडा अपना रही है। कंपनी का दावा है कि सभी दस्तावेजी कार्रवाई ग्रामीणों की मौजूदगी में हुई है, जो खनन करने के लिए होनी चाहिए।
पिछले चार-पांच वर्षो से माइनिंग कंपनी गुमियापाल के आश्रित ग्राम के आलनार में खनन करना चाहती है। इसके लिए वह साम-दाम दंड-भेद की नीति अपना रही है। इधर ग्रामीण भी मुखरता से विरोध कर रहे हैं। हाल ही के दिनों में प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीणों का एक समूह ज़िले के कलेक्टर और एसपी से मिला था। इन ग्रामीणों का साफ कहना है कि वह किसी भी कीमत पर आरती स्पंज को यहां खनन नही करने नहीं देंगे। आखिर गांव के लोग नहीं चाहते हैं तो कंपनी जबरदस्ती क्यों कर रही है। सरकार कंपनी के पक्ष में खड़ी है और कंपनी हमारे पेसा कानून और पांचवी अनसूची में मिले अधिकारों का हनन कर रही है।
क्या है आलनार पहाड़ी में ?
दंतेवाड़ा ज़िले के किरंदुल NMDC आयरन हिल के नीचे हरौली गुमियापाल पंचायत का आश्रित आलनार गांव बसा हुआ है। आलनार गांव के पहाड़ी पूरी आयरन अयस्क से भरी हुई पहाड़ी है। इसी पहाड़ी में खनन करने के लिए 2011 से आरती स्पंज कंपनी लगी हुई है। और यहां से आयरन का खनन करना चाहती है। जिसका विरोध गुमियापाल के आदिवासी ग्रामीण कर रहे हैं।
सरपंच पति भीमा का क्या कहना है ?
गुमियापाल के ग्रामीण भीमाराम का कहना है कि “खनन कंपनियों ने कभी भी आदिवासियों का भला नहीं किया है। आदिवासियों का भला किया होता तो बचेली और किरंदुल एनएमडीसी आयरन हिल के आस-पास बसे एक दर्जन से अधिक गांव की दशा-दिशा बदल चुकी होती। 65 वर्ष से अधिक हो चुका एनएमडीसी को दंतेवाड़ा ज़िले में स्थापित हुए पर यहां हालात जस के तस हालात हैं। कंपनी खनन करके आदिवासियों के जीवन से खिलवाड़ करेगी जिसके लिए एक बार फिर सरकार ने आरती स्पंज को तैयार कर दिया है। सरपंच पति भीमा एक वायरल पत्र को दिखाते हुए कहते है कि कंपनी खनन करने के लिए फोर्स मांग रही है। वायरल पत्र में साफ लिखा है कि आरती स्पंज कंपनी काम शुरू कर रही है, इसलिए सुरक्षा चाहिए। ग्रामीणों ने भी तय कर लिया कि खनन तो नहीं होने देंगे चाहे जो हो जाए।”
बीच सड़क पर खाट डाल बैठे प्रभावित क्षेत्र के आदिवासी
जब जनचौक की टीम गुमियापाल के आश्रित ग्राम आलनार की तरफ बड़ी तो गांव के ग्रामीण बीच सड़क पर खाट लगाकर बैठे हुए थे। अपने जल, जंगल, जमीन को बचाने के लिए आदिवासी कुछ भी कर गुजरने को तैयार है। इन आदिवासियों को शहर की ओर से आने वाला हर चार पहिया वाहन में आरती स्पंज कंपनी के कर्मचारी ही दिखते हैं। अब तो आदिवासी ग्रामीणों का कहना है अगर कोई भी वाहन आएगा तो उसे गांव में रोकेगें और वापस भेज देंगे। ग्रामीणों ने प्रत्येक वाहन को रोकने के लिए बीच सडक़ पर खाट डाल रखी है।
ग्रामीण आरती स्पंज का विरोध कर रहे हैं। इतना ही नहीं कंपनी के खिलाफ नारेबाजी भी कर रहे हैं। और ज़िला मुख्यालय दंतेवाड़ा में रैली भी निकाल चुके है। इन सभी ग्रामीणों का एक स्वर में कहना है कि अगर माइनिंग शुरू होती है तो पर्यावरण को क्षति पहुंचेगी। आदिवासियों के कंदमूल तमाम जड़ी बूटियों को नष्ट कर दिया जाएगा, पहाड़ों का स्वच्छन्द विचरण पर रोक लग जाएगी। हम अपने ही पहाड़ पर नहीं घूम पाएगें। हमें अपनी ही जगह से बेदखल कर दिया जाएगा।
10 हस्ताक्षर से ही ग्रामसभा का कोरम पूरा कर दिया
सरपंच कहता है कि वर्ष 2011 का कंपनी के पास ग्राम सभा का एक पत्र है। इस पत्र में महज 10 ग्रामीणों के हस्ताक्षर है। उसी को ग्राम सभा का अनापत्ति प्रमाण पत्र कंपनी कहती है। इस ग्राम सभा के बाद खुद गांव के लोगों ने कई बार ग्राम सभा की और उसकी कॉपी जिला प्रशासन को सौंपी है। इसके बाद भी उनकी किसी बात पर कोई सुनवाई नही हो रही है। 2017 से ग्रामीण लगातार विरोध कर रहे हैं। इतना ही नही आरती स्पंज के विरोध में रैली भी निकाली गई। तमाम विरोध के बाद भी कंपनी खनन की तैयारी करने में जुट गई हे। ग्रामीण पुरजोर विरोध करने पर उतरे हैं।
लोक सुनवाई में हिरोली-गुमियापाल का कोई व्यक्ति नहीं
जिस गुमियापाल के आश्रित गांव आलनार में आरती स्पंज पॉवर लिमिटेड का प्लांट स्थापित होना है उस पंचायत का कोई व्यक्ति लोक सुनवाई में मौजूद नहीं था। यह लोक सुनवाई 30 सितंबर 2016 को सुनवाई हुई थी। आलनार आयरन ओर माईनिंग प्रोजेक्ट क्षमता 150000 टीपीए, क्षेत्रपल लगभग 31 हेक्ट्यर में खान करने को लेकर सुनवाई थी। यह सुनवाई काष्ठागार दंतेवाड़ा में हई थी। लोक सुनवाई के प्रथम चरण प्रबंधन में अशोक जॉन एवं डॉ विवेक तिवारी (पर्यावरण विशेषज्ञ, पर्यावरण सलाहकार) ने परियोजना के बारे में जानाकरी उपस्थित जन को दी। जिले के भाजपा नेता, व्यापारी, अन्य गांव के ग्रामीणों की मौजूदगी थी। उनके बयान दर्ज हुए। जिन्होंने कहा कंपनी आएगी तो बेहतर होगा, रोजगार के अवसर प्रदान होंगे। बयान यदि नहीं थे तो सिर्फ उन पंचायतों के ग्रामीणों के जो सीधे तौर प्रभावित हो रहे हैं।
(बस्तर से रिकेश्वर राना की रिपोर्ट)
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