लोकतंत्र बचाओ अभियान ने की चुनाव आयोग से निष्पक्ष लोकसभा चुनाव कराने की मांग

रांची। “लोकतंत्र बचाओ अभियान-2024” का एक प्रतिनिधिमंडल 9 अप्रैल को झारखंड के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी रवि कुमार से मिलकर राज्य में निष्पक्ष व शांतिपूर्ण लोकसभा चुनाव करवाने की मांग करते हुए कहा है कि जब से भाजपा सत्ता में आई है तब से राजनैतिक दलों, खासकर भाजपा, द्वारा चुनाव में वोटरों को धर्म के नाम पर प्रभावित करने का रिवाज लगातार बढ़ रहा है। अपना राजनैतिक माहौल बनाने के लिए धार्मिक त्योहारों, नारों, झंडों और प्रतीकों का विशेष इस्तेमाल किया जा रहा है।

उदहारण के लिए पिछले 22 जनवरी 2024 को हुए राम मंदिर उद्घाटन कार्यक्रम को लेकर पूरे राज्य में सार्वजानिक स्थलों पर जो धार्मिक झंडे लगाये गए थे उनमें से अधिकांश आज तक नहीं उतारे गए हैं। कई जगह ‘हिंदू राष्ट्र’ लिखे बैनर भी लगाये हुए हैं। भाजपा व आरएसएस से जुड़े संगठनों द्वारा इनका इस्तेमाल आज चुनाव को प्रभावित करने के लिए की जा रही है।

लोकतंत्र बचाओ अभियान को आशंका है कि आगामी 17 अप्रैल को रामनवमी है, ऐसे में इनका इस्तेमाल चुनाव में धार्मिक ध्रुवीकरण में की जा सकती है। सनद रहे कि पिछले कुछ सालों में रामनवमी के दौरान अल्पसंख्यकों को केन्द्रित कर भड़काऊ व अश्लील गानों का इस्तेमाल, अल्पसंख्यकों के धार्मिक स्थलों के सामने प्रदर्शन आदि भी बढ़ा है। यह संभव है कि इन सब का इस्तेमाल कर चुनाव के दौरान धार्मिक ध्रुवीकरण कर वोटरों को प्रभावित करने के लिए किया जाए।

लोकतंत्र बचाओ अभियान की मांग है कि आयोग सुनिश्चित करे कि चुनाव में धार्मिक हस्तक्षेप पर पूर्ण रोक हो। नफरती व सांप्रदायिक भाषण पर suo motu कार्यवाई हो। साथ ही चुनाव के दौरान कोई भी धार्मिक अनुष्ठान/त्योहार/कार्यक्रम में सार्वजानिक स्थलों, रोड, बिजली पोल, सरकारी दफ्तरों, थाना, पुलिस व अर्धसैनिक बल कैंप आदि में लगाये गए धार्मिक झंडों व प्रतीकों को अनुष्ठान/त्योहार/कार्यक्रम ख़त्म होने के 48 घंटो के अन्दर हटाया जाए, क्योंकि इससे भी वोटरों को प्रभावित करने के प्रयास किये जा सकते हैं।

हालांकि मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने प्रभावित करने की संभावना को स्पष्ट रूप से नकारा नहीं लेकिन उन्होंने इस पर कुछ भी कार्यवाई करने से साफ़ मना कर दिया।

लोकतंत्र बचाओ अभियान ने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को यह भी कहा कि 2019 के चुनाव में कुछ स्थानों पर केंद्रीय सुरक्षा बलों के जवानों द्वारा वोटरों को भाजपा के पक्ष में वोट डालने के लिए प्रभावित करने के मामले उजागर हुए थे। इस बार आयोग केंद्रीय सुरक्षा बलों की निष्पक्षता पर विशेष निगरानी रखे। अभियान ने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के समक्ष आदर्श आचार संहिता के हर उल्लंघन पर निष्पक्ष कार्यवाई की मांग की। पदाधिकारी ने आश्वासन दिया और CVIGIL एप में शिकायत दर्ज करने की बात कही।

लोकतंत्र बचाओ अभियान ने अपने एक साल के ज़मीनी अनुभव के आधार पर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी से यह भी कहा कि गांव-गांव में लोगों का EVM पर विश्वास कम होता जा रहा है व बैलट पेपर से चुनाव की मांग बढ़ती जा रही है। किसी भी जीवंत लोकतंत्र के लिए यह अनिवार्य है कि जनता को चुनाव की प्रक्रिया पर पूर्ण विश्वास हो। अभियान ने मांग किया कि ऐसी परिस्थिति में EVM सम्बंधित प्रक्रियाओं की पारदर्शिता व उनपर विशेष निगरानी सुनिश्चित की जाए ताकि सभी लोगों के सामने हर एक प्रक्रिया न्यायसंगत तरीके से हो।

अभियान ने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी का ध्यान राज्य के लाखो प्रवासी मजदूरों पर केन्द्रित करते हुए बताया कि राज्य के अधिकांश प्रवासी मज़दूर हर चुनाव में अपने मतदान के अधिकार से वंचित हो जाते हैं। अभियान ने मांग की कि इस बार चुनाव आयोग प्रवासी मजदूरों को विशेष सहयोग करने पर विचार करे जैसे वे जहां काम करते हैं, उन कंपनियों से बात करके आयोग पर्याप्त छुट्टी सुनिश्चित करे, आने-जाने के लिए पर्याप्त सार्वजानिक परिवहन सुनिश्चित करे।

अफ़जल अनीस, अलोका कुजूर, अंबिका यादव, भरत भूषण चौधरी, दिनेश मुर्मू, एलिना होरो, ज्योति कुजूर, कुमार चन्द्र मार्डी, किरण, लालमोहन सिंह खेरवार, मेरी निशा हंसदा, मंथन, प्रवीर पीटर, पकू टुडु, रमेश जेराई, रेशमी देवी, रोज़ खाखा, सिराज दत्ता व टॉम कावला के हस्ताक्षर युक्त मांग पत्र को प्रतिनिधिमंडल के भरत भूषण चौधरी, एलिना होरो व सिराज ने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को सौंपा।

इसके पहले “लोकतंत्र बचाओ 2024 अभियान” ने राज्य के कई लोक सभा क्षेत्रों में भ्रमण कर जन संपर्क अभियान चलाया है।

जन संपर्क अभियान के दौरान लोगों ने कहा कि मोदी सरकार के 10 साल ने आम जीवन को तहस नहस कर दिया है। जल, जंगल, जमीन पर लगातार हमला हुआ है। नोटबंदी और लॉकडाउन जैसे मनमाने और तबाही मचाने वाले फैसले लोगों को याद है। रोज़मर्रा की महंगाई से लोग परेशान हैं। मज़दूरों का 10 सालों में मजदूरी नही बढ़ी है एवं 8 घंटे के बजाय 12 घंटे काम करवाया जा रहा है। साथ ही, हर खाते में 15 लाख रु, सालाना 2 करोड़ रोज़गार, किसानों की दुगनी आमदनी का धोखा सबकी जुबान पर है।

लोगों ने यह भी कहा कि मोदी सरकार के कार्यकाल में हर जगह धर्म के नाम पर झगड़ा और हिंसा बढ़ी है। राज्य में आरएसएस व भाजपा द्वारा आदिवासियों को सरना – ईसाई के नाम पर बांटा जा रहा है।

लोग बेरोजगारी से त्रस्त हैं। राज्य के युवा सेना में हमेशा जाते थे। लेकिन मोदी सरकार ने अग्निवीर योजना लागू कर भारतीय सेना की लम्बी नौकरी को ख़त्म कर 4 साल की संविदा आधारित व्यवस्था लागू कर दिया, जिससे युवाओं में सेना में जाने के प्रति उदासीनता बढ़ती जा रही

गांव के कई लोगों ने कहा कि भाजपा के लोग गांव आकर कह रहे हैं मोदी सरकार 5 किलो राशन दे रही है और पेंशन दे रही है। इसपर अभियान ने इस झूठ का पर्दाफाश किया और लोगों को बताया कि राशन 2013 में UPA सरकार द्वारा बनाए गए खाद्य सुरक्षा कानून के तहत मिल रहा है और पेंशन का अधिकांश हिस्सा तो झारखंड सरकार दे रही है और यह सब जनता के टैक्स के पैसे से ही दिया जाता है न कि केंद्र सरकार के मंत्रियों के निजी खाते से।

(झारखंड से विशद कुमार की रिपोर्ट)

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