Sunday, April 28, 2024

अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न का हथियार बन गया है असम में बाल विवाह खात्मे का कानून

नई दिल्ली। असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा बाल विवाह की कुरीति को खत्म करने के नाम पर अल्पसंख्यकों और राजनीतिक विरोधियों का उत्पीड़न करने में लगे हैं। राज्य में इस विवादास्पद कार्रवाई का दूसरा चरण शुरू होने जा रहा है। इसका ऐलान मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने स्वयं किया है।

गौरतलब है कि बाल विवाह की कुरीति खत्म करने के नाम पर असम सरकार बाल विवाह के रोकथाम के लिए कोई सामाजिक जागरुकता अभियान नहीं चला रही है, और न ही लड़कियों की शिक्षा के लिए कोई पहल कर रही है, बल्कि 5,10 और 15 साल पहले हुई शादियों को बाल-विवाह बताकर पुरुष या महिला को जेल में डाल दे रही है।

किसी भी कुरीति के रोकथाम के लिए सरकार सबसे पहले उससे पीड़ित लोगों का सर्वे कराकर वास्तविक संख्या का पता लगाती है। उसके बाद उससे निपटने की कार्य योजना बनती है। लेकिन असम सरकार डंडे के जोर पर बाल विवाह रोकने का अभियान चला रही है। असली बात यह है कि असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा बाल विवाह नहीं रोकना चाहते हैं, उनकी असली मंशा अपने राजनीतिक विरोधियों औऱ अल्पसंख्यकों को डराना है।

रविवार को असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिश्व शर्मा ने ऐलान किया है कि आने वाले कुछ दिनों के अंदर राज्य में बाल विवाह के खिलाफ कार्रवाई का दूसरा दौर शुरु होगा। जिसमें लगभग 3000 लोगों की गिरफ्तारी का अंदेशा है। इस योजना की शुरुआत इसी साल के फरवरी महीने में की गई थी, जिसमें 1 महीने के अंदर लगभग 3141 लोगों की गिरफ्तारी हुई थी। गिरफ्तार होने वाले लोगों में पुरुष भी शामिल थे जिन्होंने कम उम्र की लड़कियों से शादी की थी, साथ ही परिवार के सदस्य और धार्मिक नेता भी शामिल थे जिन्होंने इन शादियों को संभव बनाने में मदद की थी। तब कुछ लोगों के मौत की भी खबरें आई थी। क्योंकि कई महिलाओं ने डर के मारे आत्महत्या कर लिया था। मामला तब कोर्ट में भी पहुंचा था।

जी-20 शिखर सम्मेलन के समापन का था इंतजार

मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने रविवार को गुवाहाटी में एक सम्मेलन में भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी को संबोधित करते हुए कहा कि 6 महीने पहले इस योजना कि शुरुआत हो गई थी जिसमें करीब 5000 लोग गिरफ्तार हुए थे। मैं जी-20 शिखर सम्मेलन के समापन का इंतजार कर रहा था, और अब, 10 दिनों के भीतर, एक बार फिर से अभियान के तहत अन्य 3,000 पुरुषों को बाल विवाह के मामले में गिरफ्तार किया जाएगा।

गिरफ्तार लोगों में अल्पसंख्यकों की संख्या अधिक

असम में फरवरी में चले बाल विवाह के खिलाफ अभियान में गिरफ्तार हुए लोगों के रिकॉर्ड के विश्लेषण से पता चलता है कि गिरफ्तार लोगों में 62.24 प्रतिशत मुस्लिम थे, जबकि बाकी हिंदू और अन्य समुदाय के लोग थे।

गिरफ्तार लोगों के जिलेवार विश्लेषण से पता चला है कि बाल विवाह के मामले में शीर्ष पांच जिले नागांव से 224 लोग, होजाई से 219 लोग, धुबरी से 217 लोग, बक्सा से 179 लोग और बारपेटा से 174 लोग थे। मिली-जुली आबादी वाले निचले असम के बक्सा जिले में, गिरफ्तार किए गए लोगों में ज्यादातर हिंदू और अन्य जाति के लोग हैं। अन्य चार जिले मुस्लिम बहुल हैं।

अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न के आरोप पर प्रदेश के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा कहते हैं कि सरकार 2026 तक असम में बाल विवाह को पूरी तरह से खत्म करने की दिशा में काम कर रही है। मेरे इस तरह के फैसले के बाद आज कुछ लोग मुझे मुस्लिम विरोधी कहते हैं। लेकिन मुझे लगता है कि तीन तलाक, बहुविवाह और बाल विवाह को समाप्त करके हम मुसलमानों के लिए जितना काम कर रहे हैं, उतना कांग्रेस की किसी सरकार ने कभी नहीं किया। हम उन्हें वोट बैंक के रूप में नहीं देखते हैं। हम चाहते हैं कि महिलाओं को उत्पीड़न से आज़ादी मिले।

असली सवाल कानून के राज का है

असम में जिस तरह से बाल विवाह के नाम पर आम नागरिकों का उत्पीड़न किया जा रहा है, क्या वह किसी कानून के शासन में संभव है? असम सरकार समाज सुधारने और बाल विवाह को खत्म करने के नाम पर गैर-कानूनी काम कर रही है। असली सवाल है कि आजादी के 75 साल बाद भी देश में आम नागरिक अपनी बच्चियों का बाल विवाह करने के लिए क्यों विवश हैं। बाल विवाह अशिक्षा और गरीबी के कारण होता है। सराकरें अगर अशिक्षा और गरीबी को नहीं समाप्त करेंगी तो बाल विवाह का रूकना असंभव है।

(जनचौक की रिपोर्ट।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

AICCTU ने ऐप कर्मियों की मांगों को लेकर चलाया हस्ताक्षर अभियान, श्रमायुक्त को दिया ज्ञापन।

दिल्ली के लाखों ऐप कर्मचारी विषम परिस्थितियों और मनमानी छटनी से जूझ रहे हैं। उन्होंने कम प्रति ऑर्डर रेट, अपर्याप्त इंसेंटिव्स, और लंबे कार्य समय के खिलाफ दिल्ली भर में हस्ताक्षर अभियान चलाया। ऐप कर्मचारी एकता यूनियन ने बेहतर शर्तों और सुरक्षा की मांग करते हुए श्रमायुक्त कार्यालय में ज्ञापन दिया।

Related Articles

AICCTU ने ऐप कर्मियों की मांगों को लेकर चलाया हस्ताक्षर अभियान, श्रमायुक्त को दिया ज्ञापन।

दिल्ली के लाखों ऐप कर्मचारी विषम परिस्थितियों और मनमानी छटनी से जूझ रहे हैं। उन्होंने कम प्रति ऑर्डर रेट, अपर्याप्त इंसेंटिव्स, और लंबे कार्य समय के खिलाफ दिल्ली भर में हस्ताक्षर अभियान चलाया। ऐप कर्मचारी एकता यूनियन ने बेहतर शर्तों और सुरक्षा की मांग करते हुए श्रमायुक्त कार्यालय में ज्ञापन दिया।