आगरा कॉलेज स्टाफ़ क्लब की जीत, ‘फर्जी शिक्षक संघ’ का रजिस्ट्रेशन निरस्त

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आगरा कॉलेज के शिक्षकों का संघर्ष धीरे-धीरे कामयाबी की तरफ बढ़ रहा है। सत्ताईस दिनों तक शांतिपूर्ण धरना-प्रदर्शन करने के बाद अब ‘फर्जी स्टाफ क्लब’ का रजिस्ट्रेशन निरस्त हो गया है। इस तरह कॉलेज के प्राचार्य और चंद स्वार्थी और चाटुकार शिक्षकों की मंशा पर पानी फिर गया है। आगरा कॉलेज का सौ वर्ष पुराना शिक्षक संघ- ‘स्टाफ क्लब’ फिर से अपनी पुरानी गरिमा को प्राप्त कर लिया है।

आगरा कॉलेज, आगरा के शिक्षक विगत दो महीने से प्राचार्य डॉ. अनुराग शुक्ल के मनमानीपूर्ण रवैए और कथित अनियमितताओं के विरोध में आंदोलनरत थे। शिक्षकों ने गर्मी की छुट्टी धरना-प्रदर्शन में गुजार दिया। क्योंकि चंद स्वार्थी तत्वों ने कॉलेज के वैभव और गरिमा से खिलवाड़ करना शुरू कर दिया था। शिक्षकों की एकता ने ऐसे तत्वों के मंसूबों को कामयाब नहीं होने दिया।

आगरा कॉलेज स्टाफ़ क्लब के सचिव डॉ. विजय कुमार सिंह ने कहा कि “प्राचार्य ने गुटबाज़ी की मंशा से आगरा कॉलेज के चंद स्वार्थी एवं भ्रष्ट शिक्षकों की सहायता से शिक्षक एकता को कमजोर करने का जो ख़्वाब देखा था वह सोसायटी रजिस्ट्रार द्वारा संगठन का निबंधन निरस्त होने के बाद चकनाचूर हो गया है। साथ ही स्टाफ़ क्लब भवन को अनाधिकृत रूप से हथियाने की मंशा को भी अवैध घोषित करते हुए स्टाफ़ क्लब को विधिसम्मत संचालन स्थल के रूप में अभिहित किया गया है।”

उन्होंने कहा कि आगरा कॉलेज और इस विश्वविद्यालय से जुड़े महाविद्यालयों के शिक्षक समुदाय ने ग्रीष्मावकाश की भीषण गर्मी के दौरान प्राचार्य की निरंकुशता के विरुद्ध जो ऐतिहासिक संघर्ष किया उसमें विजयी होना ही था।

दरअसल, स्टाफ क्लब, आगरा कॉलेज के शिक्षकों का संगठन है। कॉलेज के प्राचार्य ने शिक्षक संघ चुनाव में अपने गुट के हार के बाद अपने कुछ चाटुकार शिक्षकों के साथ “स्टाफ़ क्लब” के नाम से एक फर्जी शिक्षक संघ का गठन कर दिया था। प्राचार्य ने इस संगठन का रजिस्ट्रेशन शिक्षकों के सौ साल पुरानी संस्था ‘स्टाफ क्लब’ को अस्तित्वहीन करने के उद्देश्य से किया था।

स्टाफ क्लब के सचिव डॉ. विजय कुमार सिंह ने कहा कि “इस धोखाधड़ी कांड में प्राचार्य की भी संलिप्तता थी-यह भी सिद्ध हुआ है। प्राचार्य की गुटबाज़ी की भूमिका सिद्ध होने, षड्यंत्र पूर्ण अनुचित कार्य में सहयोग करने, समानांतर स्टाफ़ क्लब गठित करने, महाविद्यालय द्वारा अधिकृत मूल स्टाफ़ क्लब की जगह फ़र्ज़ी स्टाफ़ क्लब को कॉलेज की संपत्ति ‘स्टाफ़ क्लब भवन’ बिना प्रबंध समिति की अनुमति के हस्तांतरित करने, महाविद्यालय के शिक्षक समुदाय को गुमराह कर उन्हें धरना पर बैठने के लिए विवश करने, उनका शारीरिक एवं मानसिक प्रताड़ना करने, महाविद्यालय में भय का वातावरण निर्मित करने, अपनी प्रशासनिक अक्षमता एवं सभी शिक्षकों को साथ लेकर चलने की अक्षमता, प्रबंध समिति एवं विश्वविद्यालय कुलपति को लगातार गुमराह करने के लिए सार्वजनिक माफ़ी मांगनी चाहिए।”

आगरा कॉलेज के शिक्षकों का कहना है कि अब यह सिद्ध हो चुका है कि प्राचार्य द्वारा जान-बूझकर एवं अनुचित उद्देश्यों की पूर्ति हेतु महाविद्यालय की छवि धूमिल करने की कोशिश की गई- इसलिए पूरे प्रकरण के लिए उन्हें ज़िम्मेदार मानते हुए उनके विरुद्ध सम्यक् कार्रवाई की जानी चाहिए। साथ ही जिन शिक्षक साथियों ने महाविद्यालय में फ़र्ज़ी संगठन निर्माण एवं स्टाफ़ क्लब भवन पर अवैध क़ब्ज़ा किया था, उसके विरुद्ध आपराधिक कार्रवाई एवं उत्तरदायित्व निर्धारण होना चाहिए।

आगरा कॉलेज के दो सौ वर्षों के इतिहास में यह शिक्षक समुदाय द्वारा और एक सौ वर्षों से संगठन के रूप में स्टाफ़ क्लब को महाविद्यालय में पहली बार नवआगंतुक एवं अनर्ह प्राचार्य की अक्षमता, गुटबाज़ी एवं स्वार्थपरकता के कारण ऐसी अप्रिय स्थितियों का सामना करना पड़ा जिसमें संगठन की एकता एवं महाविद्यालय और शिक्षकों के सम्मान की रक्षा के लिए सत्ताईस दिनों तक शांतिपूर्ण धरना करना पड़ा।

स्टाफ क्लब के सचिव कहते हैं कि “वरिष्ठ शिक्षक साथी डॉ. सीके गौतम को इस आधार पर निलंबित किया गया है कि उन्होंने शिक्षकों को धरना हेतु प्रेरित किया। अब जबकि निबंधक कार्यालय के निर्णय से प्राचार्य की गुटबाजी में संलिप्तता जगज़ाहिर एवं सिद्ध हो चुकी है, फ़र्ज़ी स्टाफ़ क्लब के ज़रिए शिक्षक एकता को निहित स्वार्थ हेतु तोड़ने का आरोप सिद्ध हो चुका है तो स्वतः ही प्रबंध समिति को शिक्षकों के धरने को न्यायसंगत मानते हुए सम्मानित शिक्षक के विरुद्ध कार्रवाई समाप्त की जानी चाहिए। यही नहीं अब इसकी जांच हो कि कैसे प्राचार्य द्वारा तमाम आरोप लगाये गये जो फ़र्ज़ी स्टाफ़ क्लब गठन के दस्तावेज़ों की भांति फ़र्ज़ी हैं और जिसके आधार पर निलंबन की कार्रवाई की गई है।”

(जनचौक डेस्क पर बनी रिपोर्ट।)

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Shashikant
Shashikant
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1 year ago

Thanks for raising the voice of teaching community.

प्रदीप सिंह https://www.janchowk.com

दो दशक से पत्रकारिता में सक्रिय और जनचौक के राजनीतिक संपादक हैं।

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