क्या सुप्रीम कोर्ट का आदेश तय करेगा बंगाल की सियासत!

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क्या सुप्रीम कोर्ट का 17 दिसंबर को आने वाला आदेश बंगाल की चुनावी सियासत को तय करेगा! क्या बंगाल का राजनीतिक मैदान के सभी खिलाड़ी फाइनल मैच से पहले सेमिफाइनल मैच खेलने को तैयार हैं! कोलकाता नगर निगम यानी केएमसी में बोर्ड ऑफ एडमिनिस्ट्रेटर बिठाए जाने के खिलाफ भाजपा नेता शरद कुमार सिंह ने एसएलपी दायर रखी है।

सुप्रीम कोर्ट ने 7 दिसंबर को हुई सुनवाई में राज्य सरकार से सवाल किया था कि वह केएमसी का चुनाव कब कराना चाहती है। राज्य सरकार की तरफ से कहा गया था कि अभी राज्य चुनाव आयोग से आउटपुट नहीं मिल पाया है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 17 दिसंबर की तारीख तय करते हुए कहा कि या तो आप अपना जवाब दें या फिर हम फैसला सुना देंगे। इसमें निष्पक्ष एडमिनिस्ट्रेटर की नियुक्ति भी हो सकती है।

बस यहीं आ कर पेंच उलझ जाता है, क्योंकि केएमसी एक्ट में एडमिनिस्ट्रेटर नियुक्त किए जाने का कोई प्रावधान नहीं है। हाई कोर्ट ने भी यथाशीघ्र चुनाव कराने का सुझाव देते हुए डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत इस नियुक्ति को वैध ठहराया था। लिहाजा यह कयास लगाया जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट चुनाव कराए जाने का आदेश दे सकता है। बस यहीं आकर चुनावी राजनीति मुश्किल के डोर में उलझ जा रही है। केएमसी में 141 वार्ड है और कमोबेश सभी राजनीतिक दल विधानसभा चुनाव के फाइनल से पहले इस सेमिफाइनल से बचना चाहते हैं, क्योंकि जिस राजनीतिक दल को केएमसी चुनाव में पराजय का सामना करना पड़ेगा उसका विधानसभा के लिए बनाया गया चुनावी टेंपो आसमान से उतर कर जमीन पर आ जाएगा।

इसके बाद वे शहरी और ग्रामीण का फलसफा बताना शुरू करेंगे, लेकिन हकीकत तो हकीकत है, इसीलिए भाजपा भी चुनाव से बचना चाहती है। अब रही सत्तारूढ़ दल की बात तो 10 साल से लगातार बोर्ड में रहने के बाद अगर इस बार चुनाव में अपना वोट नहीं बना पाते हैं तो उनके लिए विधानसभा चुनाव का सामना करना मुश्किल हो जाएगा। भाजपा की ख्वाहिश है कि पूर्व मेयर और बोर्ड एडमिनिस्ट्रेटर चेयर पर्सन फरहाद हकीम को हटा दिया जाए। सत्तारूढ़ दल की ख्वाहिश है कि वे बने रहें और चुनाव का सामना नहीं करना पड़े। पर यहां मुश्किल यह है कि सिर्फ केएमसी ही नहीं राज्य के कई और नगर निगम और नगर पालिकाओं में चुनाव कराने पड़ेंगे। इसीलिए इतना बड़ा सेमिफाइनल खेलने का जोखिम कोई उठाना नहीं चाहता है।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

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