लखनऊ। रिहाई मंच ने बहराइच में आपराधिक रिकार्ड वाले सजातीय व्यक्ति द्वारा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सम्मानित करने की घटना पर सवाल किया कि क्या यही है योगी आदित्यनाथ की जीरो टालरेंस नीति।
रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि योगी आदित्यनाथ अपराधियों के सफाए को लेकर यूपी से बंगाल तक घूम-घूमकर कहते नहीं थकते पर वहीं दूसरी तरफ आपराधिक रिकॉर्ड वाले देवेन्द्र सिंह गब्बर जैसे लोगों से सम्मानित होते हैं। महाराणा प्रताप की प्रतिमा के अनावरण के नाम पर क्षत्रियों का जमावड़ा लगाया गया। इसमें आपराधिक रिकॉर्ड वालों ने न केवल मुख्यमंत्री के साथ मंच साझा किया बल्कि योगी आदित्यनाथ को सम्मानित भी किया। इस घटना से साफ होता है कि राजनीतिक हितों के अनुरूप सरकार कार्य कर रही है। मुख्यमंत्री पर अपराधियों की जाति को देखकर उनके खिलाफ कार्रवाई करने के जो आरोप लगते रहे हैं वो इस घटना से पुष्टि होते प्रतीत होती है।
राजीव यादव ने सवाल किया कि क्या मुख्यमंत्री का अपराधियों को जेल या ऊपर भेजने का आक्रामक अभियान केवल मुसलमानों, पिछड़ों और दलितों के लिए है। उन्होंने मुख्तार अंसारी का उदाहरण देते हुए कहा कि सरकार उन्हें पंजाब से लाने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक जाती है जिसे उनके परिजन मुख्तार को जान से मारने की साजिश मानते हैं। इसमें उनकी पत्नी अपनी आशंकाओं से भारत के राष्ट्रपति तक को अवगत कराते हुए हस्तक्षेप की मांग कर चुकी हैं। दूसरी तरफ देवेंद्र सिंह गब्बर जैसे आपराधिक रिकॉर्ड रखने वाले न केवल आज़ाद घूम रहे हैं बल्कि मुख्यमंत्री के साथ मंच साझा करने के साथ ही उन्हें सम्मानित भी कर रहे हैं।
राजीव यादव ने कहा कि हर गुनहगार को कानून के मुताबिक सज़ा सुनिश्चित कराना सरकार की ज़िम्मेदारी है। अपराधियों के अंदर कानून का भय होना चाहिए न कि फर्जी तरीके से ठोंक दिए जाने का। उन्होंने यह भी कहा कि न्यायिक प्रक्रिया के अलावा लोकतंत्र में राज्य को किसी की भी जान लेने का अधिकार नहीं है। लेकिन जहां कानून के भय के बजाए बंदूक का आतंक होगा, वहां बंदूकें कुछ अपराधियों की रक्षक और कुछ के लिए कानून व न्याय के खिलाफ हत्यारी बन जाएंगी।
रिहाई मंच, लखनऊ द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के आधार पर