झारखंड: मामला न्यायालय में विचाराधीन होने के बाद भी प्रशासन ने विधायक को दिलाया जबरन कब्जा

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ब्यूरोक्रेसी सत्ता के असर में कितनी निरंकुश हो जाती है उसका जीता-जागता उदाहरण सरायकेला की एक घटना है। यहां के चांडिल प्रखंड के डोबो में 19 जुलाई को सत्ता पक्ष की विधायक सविता महतो को एक ऐसी विवादित जमीन पर कब्जा दिलाने के लिए स्थानीय सीओ पहुंच गए जिसका मामला अभी कोर्ट में चल रहा है। इतना ही नहीं मौके पर उन्होंने मामले का विरोध कर रहे रैयत खतियान धारी बलराम महतो का गला तक पकड़ लिया। हालांकि इस मौके पर ग्रामीण भी पीछे नहीं हटे और उन्होंने प्रशासन के इस रवैये का जमकर विरोध किया।

बताते चलें कि इस घटना के बाद रैयत का गर्दन पकड़े व धक्का मुक्की करने की तस्वीर वायरल होने लगी,  मामला तूल पकड़ने लगा। एक युवक ने ट्वीट कर सूबे के आदिवासी कल्याण मंत्री चंपई सोरेन को जानकारी देते हुए कार्रवाई की मांग की, वहीं रैयत सर्वेश्वर सिंह सरदार ने भी मारपीट का आरोप लगाते हुए 20 जुलाई को सरायकेला के डीसी अरवा राजकमल को ज्ञापन सौंपकर न्याय की गुहार लगाई है।

सर्वेश्वर सिंह सरदार ने डीसी को ज्ञापन सौंपकर चांडिल प्रखंड के डोबो मौजा के खाता संख्या 42, प्लॉट संख्या 1240, 1236, 1237, 1239, 1241 एवं 1257, रकबा 1.95 एकड़ रैयत जमीन पर चांडिल एसडीओ एवं सीओ द्वारा जबरन चहारदीवारी निर्माण करवाने का आरोप लगाया है। सरदार ने ज्ञापन में बताया है कि उक्त 1.95 एकड़ जमीन उनकी पैतृक जमीन है। जिसका जिला व्यवहार न्यायालय में ओएस नंबर 21/2022 वाद में बीते 18 जुलाई को न्यायालय द्वारा यथास्थिति बनाए रखने का आदेश है, जिसकी प्रतिलिपि पदाधिकारी चांडिल, अंचलाधिकारी चांडिल और थाना प्रभारी चांडिल को दी गयी है।

इसके बावजूद न्यायालय के उक्त आदेश की अवमानना करते हुए प्रशासन द्वारा खड़े होकर चहारदीवारी का निर्माण करवाया गया। इस दौरान विरोध करने पर पदाधिकारियों द्वारा मारपीट भी की गयी। सर्वेश्वर सिंह सरदार ने उपायुक्त से न्यायालय के आदेश की अवमानना करने वालों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है।

इधर, चांडिल सीओ प्रणव अम्बष्ट ने कहा कि उनके ऊपर लगाया गया आरोप गलत और बेबुनियाद है। उन्होंने कहा कि डोबो में भूखंड सीमांकन के एक व्यक्ति सीमांकन का विरोध कर रहा था तथा कर्मचारियों से उलझ रहा था। उसे हटाने के दौरान मेरा हाथ उसके गर्दन पर लग गया। ऐसी मेरी कोई मंशा नहीं थी। बेवजह इसे तूल दिया जा रहा है।

बता दें कि सविता महतो पूर्व उप-मुख्यमंत्री और झामुमो के एक कद्दावर नेता महरूम सुधीर महतो की पत्नी हैं। स्व. महतो झारखंड अलग राज्य के आन्दोलनकारी और जेएमएम के प्रमुख नेता और ऑल झारखण्ड स्टूडेंट्स यूनियन के संस्थापक निर्मल महतो के भाई थे। वो बिहार विधान सभा और झारखण्ड विधानसभा में ईचागढ़ विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से विधायक रहे। सुधीर महतो 14 सितम्बर 2006 से 23 अगस्त 2008 तक मधु कोड़ा सरकार में उप-मुख्यमंत्री रहे। 23 जनवरी 2014 को पूर्वी सिंहभूम जिले में हृदयाघात से 53 वर्ष की आयु में उनकी मौत हो गयी। उनका जन्म 1961 में हुआ था।

इनकी मौत के बाद पत्नी सविता महतो इचागढ़ क्षेत्र से चुनी गईं। विधायक सविता महतो ने दावा किया कि झारखंड के सरायकेला-खरसावा गांव डोबो में जमीन का एक प्लॉट उनकी संपत्ति है।

जबकि इस बाबत ग्रामीण दीपक महतो बताते हैं कि यह जमीन एक आदिवासी गुरुचरण भूमिज की है और चांडिल बांध से विस्थापित करीब एक दर्जन परिवार भूमिज की अनुमति से छह दशक से अधिक समय से वह वहां रह रहे हैं।

सविता महतो ने इसी साल फरवरी में जमीन के चारों ओर चारदीवारी का निर्माण शुरू किया था। इसके बाद विरोध हुआ जिसके परिणामस्वरूप निर्माण कार्य रोक दिया गया और 7 प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया।

ग्रामीणों ने एक मामला दायर किया 18 जुलाई को। सरायकेला जिला न्यायालय ने दोनों पक्षों को यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश देते हुए एक आदेश पारित किया, जिसका अर्थ है कि आगे कोई निर्माण नहीं किया जा सकता है।  इसके बावजूद सीओ, एसडीओ व करीब 150 पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में 19 जुलाई को जबरन चारदीवारी का निर्माण कार्य पूरा हुआ।

उल्लेखनीय है कि डोबो गांव में झामुमो विधायक सविता महतो को जमीन पर कब्जा दिलाने गए अंचल अधिकारी (सीओ) प्रणव कुमार अम्बष्ट आपा खो बैठे। उन्होंने एक ग्रामीण का गर्दन दबोच लिया। धक्का देकर वहां से हटाया और जमीन पर घेराबंदी कर दी।

वहीं प्रशासनिक अमले का दावा था कि यह जमीन विधायक सविता महतो के पति स्वर्गीय सुधीर महतो ने 2009 में खरीदी थी। वहीं गुरुचरण भूमिज ने दावा किया कि यह उसकी जमीन है। गुरुचरण के समर्थन में कई ग्रामीण भी कार्रवाई का विरोध करने वहां मौजूद थे। अधिकारियों ने जबरन निर्माण शुरू करवाया तो उनमें विवाद हो गया।

19 जुलाई को वहां बड़ी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई थी। इनमें महिला पुलिसकर्मी भी थीं। प्रशासनिक टीम जेसीबी के साथ पहुंची थी। लोगों ने विरोध किया तो उन्हें डरा-धमकाकर वहां से हटा दिया गया। सीओ ने एक ग्रामीण की गर्दन पकड़ ली। जब कुछ लोग वहां घटना का वीडियो बना रहे थे, तो उन्हें भी धमकाकर वीडियो बनाने से रोक दिया गया।

इस बाबत एक सवाल उभरता है कि पुलिस प्रशासन द्वारा विधायक सविता महतो की कथित जमीन की घेराबंदी जिस तत्परता से कराई गई, काश इतनी ही तत्परता से गरीबों का काम भी होता!

जमीन घेराबंदी की शुरुआत में ही स्थानीय लोग विरोध में उतर आए। ग्रामीणों ने जमकर बवाल काटा। बढ़ते हंगामे को देख पुलिस ने दर्जनों महिलाओं को पुलिस बस में डालकर बंद कर दिया। महिलाओं को बस के अंदर बंदी बनाकर रखा गया। कुछ देर बाद छोड़ दिया गया। वहीं, पुरुषों द्वारा विरोध किए जाने के क्रम में अंचलाधिकारी प्रणव अम्बष्ट ने एक आदिवासी का गर्दन पकड़ कर धकेल दिया। दिनभर ग्रामीणों और पुलिस के बीच गतिरोध की स्थिति बनी रही।

गतिरोध की सूचना पाकर मौके पर पहुंचे अनुमंडल पदाधिकारी रंजीत लोहरा ने मीडिया के बीच प्रशासन की ओर से सफाई दी। उन्होंने कहा कि उक्त जमीन सविता महतो ने खरीदा है जो पूर्व में मि स्टिब्स और मि सूजा के नाम पर थी।

दूसरी तरफ ग्रामीणों ने बताया कि बीते सौ साल से उक्त जमीन उनके कब्जे में है और जमीन का कागजात भी है। चौंकाने वाली बात यह भी सामने आई है, कि उक्त भूखंड के विवाद का मामला न्यायालय में विचाराधीन है, बावजूद इसके आज प्रशासन की मौजूदगी में कैसे घेराबंदी हुई, यह बड़ा सवाल है।

मामले को लेकर 20 जुलाई को डोबो गांव के काफी संख्या में आये ग्रामीण महिलाओं ने सरायकेला उपायुक्त कार्यालय के समक्ष विरोध प्रदर्शन किया।

उपायुक्त कार्यालय के समक्ष महिलाओं ने कार्ड बोर्ड एवं बैनर पोस्टर लिए हुए थीं। जिन पर विधायक सविता महतो, चांडिल एसडीओ एवं सीओ के खिलाफ गम्भीर आरोप लगाते हुए स्लोगन लिखे हुए थे। विरोध प्रदर्शन के पश्चात ग्रामीणों ने उपायुक्त कार्यालय में एक ज्ञापन सौंपा और उचित न्याय दिलाने की मांग की है।

उक्त जमीन को लेकर ईचागढ़ विधायक सविता महतो और स्थानीय लोगों के बीच बीते कुछ महीनों से विवाद चल रहा है। गांव के ही सर्वेश्वर सिंह सरदार द्वारा उपायुक्त के नाम लिखे ज्ञापन में सम्बन्धित भूखण्ड को अपना पैतृक संपत्ति बताया है। कहा है कि उक्त मामला न्यायालय में चल रहा है। न्यायालय द्वारा यथास्थिति बनाये रखने का आदेश दिया गया है। उक्त आदेश का अवहेलना करते हुए पुलिस एवं प्रशासन द्वारा वहां जबरन चारदीवारी निर्माण कराया जा रहा है। न्यायालय आदेश की अवहेलना करने वालों के खिलाफ उचित कार्रवाई की मांग की गई है।

(झारखंड से वरिष्ठ पत्रकार विशद कुमार की रिपोर्ट।)

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