ग्राउंड रिपोर्टः बनारस में दलित सब्जी विक्रेता की आत्महत्या से लंका थाना पुलिस पर सवाल !

Estimated read time 1 min read

उत्तर प्रदेश के बनारस में 20 वर्षीय दलित युवक विशाल सोनकर की आत्महत्या के बनारस के लोगों को झकझोकर कर रख दिया है। विशाल की बहन सीलम का रो-रोकर बुरा हाल है। आंखें पथरा गई हैं और आंसू सूख गए हैं। कोई ढांढस बंधाने पहुंचता है तो वह फूट-फूटकर बिलखने लगती है। विशाल अपनी बहन सीलम के पास रहता था और फल व सब्जियां बेचकर अपनी बहन का परिवार चलाया करता था।

10 जुलाई 2024 को एक स्कूली छात्रा की साइकिल से टक्कर और मामूली नोकझोंक होने पर लंका थानाध्यक्ष की मौजूदगी में पुलिस ने युवक की पिटाई की, तो उसी समय लड़की ने भी उसे कई थप्पड़ जड़ दिए। नतीजा, विशाल अवसाद में चला गया और अत्मग्लानि के चलते गंगा नदी में कूदकर जान दे दी। लंका थाना क्षेत्र के नगवां इलाके में यह वारदात उस समय हुई जब कमिश्नरेट पुलिस के अफसर गश्त पर निकले थे। इस समूचे मामले में लीपापोती करने के लिए आला अफसरों ने एक दरोगा और एक सिपाही को सिर्फ लाइन हाज़िर किया। दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की।

विशाल

सीलम ने बिलखते हुए कहा, “मेरा भाई विशाल चला गया और अब तो वह लौट भी नहीं पाएगा। हम चाहते हैं कि उसे आत्महत्या करने के लिए विवश करने वाली छात्रा और दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त एक्शन हो। दोषियों के खिलाफ मुकदमा लिखा जाए और उन्हें जेल भेजा जाए। विशाल मेरे पास ही रहता था। पूरा घर मन्नापुर रहता था, लेकिन विशाल मेरे पास ही रहता था। रोज सुबह उठकर मंडी जाता था और वहां से फल लाकर बेचता था। बुधवार को भी वह फल बेच रहा था, जब गंगोत्री विहार की एक लड़की से उसका विवाद हुआ। पुलिसकर्मियों ने उसे मारा और फिर लड़की से भी पिटवाया, जिससे आहत विशाल ने गंगा में कूदकर आत्महत्या कर ली।”

“मेरे भाई विशाल से किसी को कोई शिकायत नहीं थी। वो नेचर से बहुत अच्छा था। सबका आदर करता था। सब कुछ अचानक हो गया। लड़की से कहासुनी, मारपीट और सुसाइड भी। हमारा मायका चंदौली जिले के मन्नापुर के पास परोरवां है। कुछ महीने पहले ही बीमारी के चलते हमारी मां का इंतकाल हो गया था। तभी से हमारे पिता की हालत ठीक नहीं है। विशाल की मौत ने उन्हें बुरी तरह से तोड़ दिया है। हमारे पिता होमगार्ड हैं और घटना के समय लंका थाने में ही उनकी ड्यूटी लगी थी। विशाल ऐसा लड़का नहीं था, जैसा पुलिस बता रही है। मेरे भाई ने अगर कुछ गलती की थी, तो उसे गिरफ्तार कर लेते। खुद मारते, लेकिन लड़की से क्यों पिटवाया? पुलिस आखिर किसके दबाव में है, जिसके चलते अभी तक लड़की को गिरफ्तार कर जेल नहीं भेजा गया। उसे पीटने का हक किसने दिया? “

सीलम यह भी कहती है, “मेरे भाई की गलती थी तो उसे बंद कर देते। कुछ देर उसे लंका थाने में बैठा लेते। मेरे भाई ने बिना किसी गलती के माफी भी मांग ली थी। पुलिस अफसरों को सोचना चाहिए था कि वह क्या कर रहे हैं? पुलिस का काम हिंसा रोकना होता है, लेकिन वो तो रोड पर ही मारपीट करवाने लगे। विशाल मेरे बेटे की तरह था। हर सुबह वह रविदास पार्क के पास पीपल के पेड़ के नीचे फल-सब्जियां बेचता था। विशाल की मौत के बाद मेरे पिता की दिमागी हालत खराब हो गई है। सरकार की ओर से हमें कोई मदद भी नहीं मिली, जबकि घटना के बाद स्थानीय नागरिकों ने विशाल का शव सड़क पर रखकर आंदोलन-प्रदर्शन किया तो मौके पर पहुंचे अफसरों ने हम लोगों से ढेरों वादे किए थे।”

होमगार्ड शारदा प्रसाद के पांच बच्चे थे, जिनमें विशाल सबसे छोटा था। इन्हें तीन बेटे और दो बेटियां थीं। बड़ी बेटी नीलम (30 साल) की गैवी में शादी हुई थी और सीलम नगवां में नाले के किनारे कच्चे मकान में रह रही थी। वो मकान भी बारिश के चलते ढह गया है। बड़े भाई नत्थू (34 साल) की मन्नापुर में सब्जी की दुकान है और दूसरा भाई सोनू (25 साल) टोटो चलाता था। सबसे छोटा बेटा विशाल सोनकर बचपन से अस्सी और लंका पर सब्जी-फल बेचा करता था। वो कभी स्कूल गया ही नहीं। सिर्फ दस्तखत करना जानता था।

घटना के दिन विशाल नगवां स्थित रविदास पार्क के पास ठेले पर आम बेच रहा था। पास में गंगोत्री नगर कालोनी भी है। थप्पड़ से पीटने वाली लड़की भी इसी मुहल्ले में रहती है। 20 वर्षीय विशाल पूरे मुहल्ले के लोगों दुलारा था। सबका काम कर दिया करता था। बीड़ी, सिगरेट और शराब भी नहीं पीता था। विशाल के पड़ोस में रहने वाले उमेश सोनकर कहते हैं, “वो हर रोज तड़के सुंदरपुर सब्जी मंडी में जाता था। सुबह 06 से 10 बजे तक फल-सब्जियां बेचा करता था। बहन सीलम उसे दोपहर और रात में खाने का टिफिन पहुंचा दिया करती थी। वो अखाड़े में पहलवानी भी करता था। सीलम उसकी सेहत का ख्याल रखती थी। तीन अप्रैल 2024 को ब्लड कैंसर से मां के निधन के बाद सीलम ही विशाल की मां का रोल अदा करती थी।”

विशाल की पड़ोसी

उमेश यह बताते हैं, “विशाल की आज तक किसी ने कोई शिकायत नहीं की, लेकिन एक लड़की की झूठी शिकायत पर पहले पुलिस ने पीटा और लड़की से भी उसे कई थप्पड़ मरवाए। इसका वीडियो वायरल हो रहा है। समूची घटना लंका थानाध्यक्ष शिवाकांत मिश्रा के सामने हुई। इंस्पेक्टर शिवकांत, दरोगा लक्ष्मीकांत और सिपाही रंगपाल मार्निंग वॉक करते हुए वहां पहुंचे गए। छात्रा की शिकायत पर विशाल का पक्ष सुने बगैर ही सिपाही ने विशाल को थप्पड़ जड़ दिया। पुलिसकर्मियों ने छात्रा से भी तीन-चार थप्पड़ मरवाए। लंका थानाध्यक्ष के साथ आए दरोगा और पुलिस कर्मियों की पिटाई के बाद मामला खत्म सा हो गया था, लेकिन आत्मग्लानि से परेशान विशाल उस वारदात को सहन नहीं कर सका। किसी को पता ही नहीं चला कि वो कब घर से निकला और गंगा में कूद गया। पूर्वाह्न 11.12 बजे एनडीआरएफ की टीम ने भागीरथी क्रूज के कैमरे के जरिये गंगा में कूदने का वीडियो निकाला और बाद में काफी मशक्कत के बाद गोताखोरों की मदद से उसका शव ढूंढा जा सका।”

हर कोई मान रहा पुलिस को दोषी

विशाल के सुसाइड करने की घटना की चर्चा हर किसी की जुबान पर है। इस घटना को हर कोई दुखद बता रहा है। पड़ोसी रिंकू सोनकर कहते हैं, “बच्चे के साथ बहुत ग़लत हुआ है। दलित और गरीब परिवार के साथ न्याय नहीं हुआ तो सरकार पर हर कोई उंगली उठाएगा। विशाल को हम लोग बचपन से जानते हैं। उसका और मेरा घर अगल-बगल में है। पहले उसकी मां भी यहां रहा करती थी। विशाल व्यवहार कुशल और थोड़ा शरारती लड़का जरूर था, लेकिन वह दिल का बहुत अच्छा था। लंका इंस्पेक्टर शिवाकांत मिश्रा और उनके हमराही पार्क में टहलने आए थे, उसली समय विशाल का लड़की से विवाद हो गया। सबसे पहले सिपाही ने विशाल को पीटा। बाद में उसने लड़की से थप्पड़ मरवाए। विशाल कभी गंगा नहाने नहीं जाता था। आत्मग्लानि होने पर न जाने उसके मन में क्या आया और वह गंगा में जाकर कूद गया। उसे गंगा में कूदते हुए कई लोगों ने देखा, लेकिन अब पुलिस के खिलाफ कोई बोलने के लिए तैयार नहीं है।”

इन पेटियों में अब फल नहीं रखे जाएंगे

रिंकू कहते हैं, “घटना के दिन विशाल सिर्फ आम बेच रहा था। मारपीट के बाद वो कुछ देर तक अपने ठेले के पास रहा। बाद में उसने दुकानदार को चाबी दी और दूसरे आदमी को अपना मोबाइल फोन। एक अन्य व्यक्ति को उसने उस दिन की कमाई का सारा पैसा अपनी बहन को देने के लिए दे दिया। बाद में वो चला गया। करीब 20 मिनट बाद हम सभी को पता चला कि उसने गंगा में कूदकर आत्महत्या कर ली। मुहल्ले का एक लड़का सूरज भी उसके पीछे-पीछे भागा, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका। सूरज ने ही गंगा में उसके जान देने की सूचना मुहल्ले के लोगों को दी थी।”

विशाल की मौत के बाद उसके परिजनों ने शव रखकर हंगामा किया। मौके पर जमा भीड़ की डिमांड थी कि पहले दोषी पुलिसकर्मियों पर एफआईआर दर्ज की जाए और उस लड़की को गिरफ्तार कर जेल भेजा जाए, जिसने पुलिस के कहने पर कानून को हाथ में लिया। 10 जुलाई 2024 को पूरे दिन हंगामा चलता रहा। बाद में एसीपी धनंजय मिश्रा मौके पर पहुंचे तो उनकी परिजनों से बहस हुई। मामला बिगड़ता देख डीसीपी सूर्यकांत त्रिपाठी देर रात मौके पर पहुंचे और परिजनों से बात की। बाद में एक कॉन्स्टेबल और एक होमगार्ड को लाइनहाजिर कर दिया।

क्या कहती है पुलिस?

लंका थाने के इंस्पेक्टर शिवाकांत मिश्र दावा करते हैं कि गलती विशाल की थी और उसने 12वीं क्लास में पढ़ने वाली छात्रा पर कमेंट किया था। यह घटना सुबह 8.10 बजे की घटना है। मॉर्निंग वॉक पर निकले दो हमराहियों के सामने लड़की ने गुस्से में उसे दो-तीन थप्पड़ जड़ दिए। विशाल सुबह 10.15 से 10.40 बजे तक अपनी दुकान पर रहा। इस दौरान उसका एक और लड़के से विवाद हुआ। विशाल शराबी था और पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी इस बात की पुष्टि हुई है। घटना के बाद वो शराब पीने चला गया। लौटा तो गंगा में नहाने चला गया और वो गहरे पानी में चला गया। मौके पर एक क्रूज को पकड़कर उसने बचने का प्रयास भी किया, लेकिन डूबने से उसकी मौत हो गई। यह आरोप पूरी तरह गलत और बेबुनियाद है कि मारपीट से आहत होकर उसने आत्महत्या की।

बनारस कमिश्नरेट के लंका थाने के इंस्पेक्टर शिवाकांत के मुताबिक, “सीसीटीवी से मिले सबूतों से पता चलता है कि घटना सुबह 8.10 बजे की है और वह पूर्वाह्न 10.17 बजे तक वह अपने पड़ोसियों से 18 मिनट तक झगड़ता रहा। घटना के दिन पड़ोसियों के साथ उसने मारपीट भी की थी। एक अन्य वीडियो 12.12 बजे का है, जिसमे वह गंगा में तैरते हुए डूब रहा था। इसके पहले गंगा के बीचों-बीच से तैर कर वह घाट की ओर आ रहा था। भागीरथी क्रूज के पास पहुंचते ही उसकी रस्सी को पकड़ने का प्रयास किया, लेकिन वो छूट गई और डूबने से उसकी मौत हो गई। अगर पिटाई के चलते आत्मग्लानि की वजह से उसने सुसाइड किया तो दो घंटे तक अपने पड़ोसियों से क्यों झगड़ा करता रहा। दोपहर के 12 बजे तक घंटों गंगा में फुर्ती के साथ कैसे तैरता रहा? “

तूल पकड़ रहा मामला

विशाल सोनकर के सुसाइड करने की घटना के बाद यह मामला तूल पकड़ता जा रहा है। सबसे पहले कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय घटना के अगले दिन ही विशाल सोनकर के घर पहुंचे। उन्होंने इस वारदात के लिए पुलिस को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि, “इस मामले में जानबूझकर लीपापोती की जा रही है। पुलिस के आला अफसर गुनहगारों को बचा रहे हैं। पुलिस को कानून अपने हाथ में लेने और किसी को सार्वजनिक रूप से पीटने का कोई अधिकार नहीं है। विशाल अगर कुसूरवार था तो पुलिस उसे जेल भेज देती, लेकिन चौराहे पर न खुद पीटती और न ही छात्रा से उसकी पिटाई कराती। किसिम-किसिम का तर्क गढ़ने से पुलिस के गुनाह खत्म नहीं हो जाएंगे।”

मृतक के घर लगा राजनीतिक दलों का मजमा

फल-सब्जी विक्रेता के गंगा में कूदकर आत्महत्या करने के मामले की जांच के लिए 13 जुलाई 2024 को समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के निर्देश पर चंदौली सांसद वीरेंद्र सिंह और रॉबर्ट्सगंज सांसद छोटेलाल खरवार समेत 13 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने मृतक के परिजनों से मुलाकात की। सासंदों ने परिजनों को ढांढस बंधाया और विशाल के पिता शारदा सोनकर से बातचीत की। सांसद वीरेंद्र सिंह ने वादा किया कि वह इस मामले को संसद में रखेंगे। दोषी पुलिस अफसरों के खिलाफ कार्रवाई के लिए वाराणसी के कमिश्नर को मिलकर ज्ञापन दिया जाएगा। आर्थिक सहयोग के लिए प्रशासन को पत्र लिखेंगे। आवश्यक होने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी मुलाकात करेंगे।

विशाल के पिता शारदा सोनकर ने सपा प्रतिनिधियों से शिकायत की कि हम लंका खाने में होमगार्ड की ड्यूटी करते हैं। हमारे ऊपर दबाव बनाया जा रहा है। हमारी नौकरी छीनने की धमकी दी जा रही है। इस पर सांसद द्वय ने कहा कि आपके साथ समाजवादी पार्टी खड़ी है। ऐसा कुछ नहीं होने दिया जाएगा।

न्याय के लिए लड़ेगी सपा

बाद में पत्रकारों से बातचीत करते हुए सांसद वीरेंद्र सिंह ने कहा, “पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रतिनिधिमंडल भेजा है। भाजपा शासन में गरीबों पर जुल्म और ज्यादती बढ़ गई है। शारदा प्रसाद के बेटे को न्याय दिलाने के लिए सपा सड़क से लेकर संसद तक लड़ेगी। हमारी डिमांड है कि घटना की जांच राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग से कराई जाए, जिससे दूध का दूध पानी का पानी हो सके। विशाल की मौत पर जिस तरह से लीपापोती की जा रही है, वह योगी सरकार पर बड़ा सवाल खड़ा करती है। अभी तक दोषी अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इस वजह से पीड़ित परिवार आहत है और उन्हें न्याय का भरोसा नहीं है। हैरानी की बात यह है कि विशाल के होमगार्ड पिता को नौकरी से निकालने के लिए धमकाया जा रहा है। सपा की डिमांड है कि पीड़ित परिवार को तत्काल दस लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाए, क्योंकि पुलिस के जुल्म-ज्यादती के चलते जान गंवाने वाला युवक विशाल सोनकर नौजवान था और उसी की मेहनत से उसकी बहन सीलन का परिवार पलता था।”

सपा का प्रतिनिधिमंडल

समाजवादी पार्टी की महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष रीबू श्रीवास्तव ने कहा, “बनारस कमिश्नरेट इन दिनों जज बन गई है। मौके पर ही जिरह और फैसला सुनाने लगी है। हम सरकार चेतावनी देना चाहते हैं सपा संविधान की हिफाजत करना जानती है। पुलिस को चाहिए था कि दोनों परिवारों को बुलाकर थाने पर बातचीत करती। लंका थानाध्यक्ष शिवाकांत खुद मौके पर थे और उन्होंने ऐसा कोई काम नहीं किया। अलबत्ता उनके हमराही दरोगा और सिपाहियों ने मौके पर दंड देना शुरू कर दिया। अब तक मुआवज़ा नहीं मिला है। आरोपियों की गिरफ्तारी, दस लाख मुआवजे की मांग की गई है।”

समाजवादी पार्टी ने प्रतिनिधिमंडल में चंदौली सांसद वीरेंद्र सिंह और सोनभद्र सांसद छोटेलाल खरवार के अलावा एमएलसी लाल बिहारी यादव, आशुतोष सिन्हा, राष्ट्रीय अध्यक्ष समाजवादी बाबा साहब अम्बेडकर वाहिनी मिठाई लाल भारती, समाजवादी महिला सभा की प्रदेश अध्यक्ष रीबू श्रीवास्तव, बनारस के जिलाध्यक्ष सुजीत यादव लक्कड, महानगर अध्यक्ष दिलीप डे, पूर्व विधायक पूनम सोनकर, राष्ट्रीय महासचिव समाजवादी बाबा साहब अम्बेडकर वाहिनी सत्य प्रकाश सोनकर (सोनू), राष्ट्रीय सचिव समाजवादी शिक्षक सभा डॉ संजय सोनकर, पूर्व जिला पंचायत सदस्य अमित सोनकर और पूर्व पार्षद वरुण सिंह आदि ने विशाल के परिजनों को न्याय दिलाने का भरोसा दिलाया। सपा नेताओं ने पुलिसिया जुल्म-ज्यादती की विस्तृत शिकायत राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के पास भेज दी है।

(विजय विनीत बनारस के वरिष्ठ पत्रकार हैं)

+ There are no comments

Add yours

You May Also Like

More From Author