गेल के पूर्व अध्यक्ष होने के बावजूद एपीटीईएल तकनीकी सदस्य द्वारा गेल मामले सुनने को नामंजूर किया सुप्रीम कोर्ट ने

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उच्चतम न्यायालय के चीफ जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने मंगलवार को विद्युत अपीलीय ट्रिब्यूनल (एपीटीईएल) के एक तकनीकी सदस्य (पी एंड एनजी) के प्रति अपनी अस्वीकृति व्यक्त की, जो गेल (इंडिया) लिमिटेड के पूर्व अंतरिम अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक थे, जिन्होंने गेल से जुड़ी अपीलों की सुनवाई की। चीफ जस्टिस रमना ने कहा कि मैं कठोर शब्दों का उपयोग नहीं करना चाहता लेकिन वह मामले को कैसे सुन सकते हैं? वह मामले को नहीं सुन सकते हैं, अगर यह तरीका है तो ट्रिब्यूनल को बंद कर दें।

पीठ ने एपीटीईएल, नई दिल्ली द्वारा पारित उस आदेश के खिलाफ विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की जिसमें कहा गया था कि डॉ आशुतोष कर्नाटक तकनीकी सदस्य (पी एंड एनजी) एपीटीईएल, जो गेल (इंडिया) लिमिटेड के अंतरिम अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक थे, उन अपीलों की सुनवाई और निर्णय लेने से खुद को अलग नहीं करेंगे जिनमें गेल एक पक्ष है। पीठ ने विशेष अनुमति याचिका पर नोटिस जारी किया।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता एएम सिंघवी ने कहा कि जो कुछ भी हो रहा है उस पर कोर्ट को कुछ कार्रवाई करने की जरूरत है जैसा कि व्यक्ति ने उसी संगठन में काम किया है।

गेल की ओर से उपस्थित एएसजी संजय जैन ने प्रस्तुत किया कि याचिकाकर्ता उस मामले में एक पक्ष नहीं हैं जिसमें आक्षेपित आदेश पारित किया गया था और उनके द्वारा उस मामले में कोई आपत्ति नहीं की गई जिसमें वे पक्षकार हैं।

इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि उन्होंने आपत्ति की है या नहीं, यह सवाल नहीं है। सवाल औचित्य का है। आखिरकार उन्होंने गेल में एक अधिकारी के रूप में काम किया और अब वह इस मामले को सुनना चाहते हैं?

पीठ ने कहा कि ट्रिब्यूनल में नियुक्तियों के लिए सिफारिशें पहले ही की जा चुकी हैं, एपीटीईएल में नियुक्तियां पूरी की जा सकती हैं और मामलों की सुनवाई की जा सकती है। चीफ जस्टिस ने एएसजी को कहा कि आप नियुक्त करें, हमने पहले ही चेयरमैन, प्रेसिडेंट, वह सब कुछ सिफारिशें कर दी हैं। आप नियुक्त करें और मामलों को सुनने दें।

चीफ जस्टिस ने कहा कि यदि आपको लगता है कि इस सज्जन के अलावा कोई अन्य पीठ मामलों की सुनवाई के लिए नहीं है, अन्य सदस्यों और चेयरमैन आदि को नियुक्त करें। इसे पूरा करें ताकि चेयरमैन सुनवाई कर सकें। मैं भारत सरकार को नोटिस जारी करूंगा, किसी को आने दीजिए और बताने दीजिए कि कब वे चेयरमैन और अन्य लोगों को नियुक्त करेंगे ताकि इन आदेशों से बचा जा सके।

इसलिए पीठ ने विशेष अनुमति याचिका पर नोटिस जारी किया और भारत के अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल को मामले में उनकी सहायता के लिए नोटिस जारी करने का निर्देश दिया। विद्युत ट्रिब्यूनल में की जाने वाली नियुक्तियों के संबंध में एजी की सहायता मांगी गई है।

याचिकाकर्ताओं श्रावणथी एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड (एसईपीएल) और गामा इंफ्राप्रॉप प्राइवेट लिमिटेड (जीआईपीएल) की ओर से अधिवक्ता सेंथिल जगदीशन के माध्यम से वर्तमान एसएलपी दायर की गई है। आक्षेपित आदेश ने साबरमती गैस लिमिटेड की अपील को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि उसकी अपील को डॉ. आशुतोष कर्नाटक की पीठ द्वारा नहीं सुना जाना चाहिए, जिनका तकनीकी सदस्य (पीएंड एनजी) के रूप में नियुक्त होने से पहले गेल में विभिन्न वरिष्ठ पदों पर 38 वर्षों से अधिक का लंबा करियर रहा है।

इसके अलावा, आदेश में इस तरह की अपीलों को तब तक के लिए टालने से इनकार कर दिया गया जब तक कि किसी अन्य तकनीकी सदस्य (पी एंड एनजी) की नियुक्ति नहीं हो जाती या उक्त अपील की सुनवाई के लिए बेंच का पुनर्गठन नहीं किया जाता।

याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि आक्षेपित आदेश ने एपीटीईएल के समक्ष लंबित अपीलों के सभी पक्षों के अधिकारों और हितों को भी प्रभावित किया, जिसमें गेल एक पक्ष था, लेकिन याचिकाकर्ताओं सहित अन्य संबंधित पक्षों को कोई अवसर प्रदान किए बिना आदेश पारित किया गया था।

याचिका में कहा गया है कि जुलाई 2020 से अब तक, एपीटीईएल के सदस्य तकनीकी (पी एंड एनजी बेंच) ने कुल बारह मामलों को सुना, उनमें भाग लिया और निर्णय लिया जो एपीटीईएल के समक्ष लंबित थे जिसमें गेल एक पक्ष था और प्रत्येक उक्त निर्णय गेल या इसकी संबंधित सहायक कंपनी या संयुक्त उद्यम के पक्ष में रहा।

याचिकाकर्ताओं के अनुसार, गेल के पूर्व अंतरिम अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक की एपीटीईएल के माननीय तकनीकी सदस्य (पी एंड एनजी) के रूप में नियुक्ति ने अपील प्रक्रिया में उचित प्रक्रिया और निष्पक्ष सुनवाई के आश्वासन को नकार दिया है। इसके अलावा, यह तर्क दिया गया कि आक्षेपित आदेश और एपीटीईएल की एक पीठ द्वारा गेल से जुड़ी अपीलों की सुनवाई, जिसमें गेल के पूर्व अंतरिम अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक शामिल हैं, गेल (इंडिया) लिमिटेड से संबंध या उसमें शामिल मामलों के संबंध में पीएनजीआरबी अधिनियम की धारा 33 के तहत अपील के प्रावधानों को नकारते हैं।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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