नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को मणिपुर में पुलिस स्टेशनों और सरकारी शस्त्रागारों से लूटे गए हथियारों की बरामदगी और इसके लिए अपनाए जा रहे तरीकों और योजनाओं पर स्टेटस रिपोर्ट सौंपने को कहा। शीर्ष अदालत ने पूछा कि हथियार चाहे जिस पक्ष के पास हों, उसे बरामद करने के लिए राज्य सरकार ने क्या किया?
शीर्ष अदालत ने पिछली सुनवाई (7 अगस्त) के दौरान मणिपुर सरकार से अवैध हथियारों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया था। अदालत ने लूटे गए हथियारों और अवैध हथियारों को जमा करने वाले या उनका उपयोग करने वालों के साथ ही लूटे गए हथियारों की बरामदगी के लिए एक योजना तैयार करने निर्देश दिया था। इस आदेश को लेकर बुधवार को शीर्ष अदालत ने मणिपुर सरकार से स्थिति रिपोर्ट मांगी। आपको बता दें कि राज्य में हिंसा के दौरान करीब 35 पुलिस स्टेशनों से हथियारों को लूटा गया था।
राज्य में हो रही जातीय हिंसा के मद्देनजर दायर याचिकाओं पर सुनवाई करने वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ की अध्यक्षता करते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने विभिन्न जनजातियों की ओर से पेश किए गए वकीलों से कहा कि अदालत को “इस बात की परवाह नहीं है कि किसने लूटा।” कोर्ट ने ये बात तब कही जब सुनवाई के दौरान सभी पक्ष एक-दूसरे पर हथियार लूटने और उनका इस्तेमाल करने का आरोप लगा रहे थे।
सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा हम इस पर विचार कर रहे हैं क्योंकि हमने बार-बार कहा है कि हमें गलत काम के स्रोत से कोई सरोकार नहीं है। हम इस बात को लेकर चिंतित हैं कि गलत काम रोकने के लिए जवाबदेही होनी चाहिए। हमें मानवीय पीड़ा के स्रोत से कोई सरोकार नहीं है। मानवीय पीड़ा का स्रोत चाहे जो भी हो, सभी से एक तरह से निपटा जाना चाहिए।
सीजेआई ने सुनवाई के दौरान कहा कि “निरस्त्रीकरण के लिए भी, हमें इस बात से कोई सरोकार नहीं है कि एक तरफ या दूसरी तरफ अवैध हथियार हैं। हम इससे निष्पक्षता से निपट रहे हैं।’ सीजेआई ने कहा, “राज्य को उस स्रोत की परवाह किए बिना कार्रवाई करनी होगी जहां अवैध हथियार हैं।”
उन्होंने आगे कहा कि “अपराध की जांच, मानवीय पीड़ा के विभिन्न पहलुओं से निपटना, मुआवजा देना, अवैध हथियारों की बरामदगी, ये सभी जगह होनी चाहिए।” इस बात की परवाह किए बिना कि वास्तव में जरूरतमंद व्यक्ति कौन है।”
पीठ में न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे, उन्होंने अपने आदेश में कहा कि “उपस्थित होने वाले सभी विद्वान वकीलों ने निष्पक्ष रूप से कहा है कि यह उचित होगा यदि इस अदालत के समक्ष एक स्थिति रिपोर्ट रखी जाए।”
7 अगस्त के निर्देश के अनुसार “जिसे सॉलिसिटर जनरल ने पूरा करने पर सहमति जतायी थी।” मुद्दे की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए, इस बात पर सहमति बनी है कि वर्तमान में स्थिति रिपोर्ट केवल इस अदालत के अवलोकन के लिए उपलब्ध कराई जाएगी।
अदालत ने अपने 7 अगस्त के फैसले में राज्य को निर्देश दिया था कि वह “राज्य के शस्त्रागारों से गायब हुए या लूटे गए हथियारों की संख्या और उनमें से बरामद किए गए हथियारों की संख्या का जायजा ले।” किसी भी लापता हथियार को बरामद करने के लिए एक योजना तैयार कर उसे क्रियान्वित करें।”
बुधवार को, वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े ने पीठ को बताया कि 7 अगस्त का आदेश केवल राज्य के नियंत्रण वाले हथियारों को संदर्भित करता है। अदालत ने स्पष्ट किया कि इसका मतलब केवल राज्य के शस्त्रागारों से नहीं बल्कि सभी स्रोतों से प्राप्त हुए हथियारों के लिए है।
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