ईवीएम को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के लिए विचार करेगा सुप्रीम कोर्ट

Estimated read time 1 min read

उच्चतम न्यायालय इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से मतदान कराए जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के लिए विचार करेगा। याचिकाकर्ता मुकेश शर्मा ने ईवीएम से मतदान कराए जाने को चुनौती दी है। पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो गयी है और फरवरी मार्च में मतदान होने वाला है। उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के एक प्रावधान की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका को सूचीबद्ध करने पर विचार करने के लिए अपनी सहमति दी। इस अधिनियम के तहत देश में मतदान के लिए बैलेट पेपर के बजाय ईवीएम की शुरुआत हुई थी।

ये याचिका वकील एमएल शर्मा ने दायर की है। चीफ जस्टिस  एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने वकील एमएल शर्मा की दलीलें सुनीं। पीठ ने कहा कि वह मामले को सूचीबद्ध करने पर विचार करेंगे। जन प्रतिनिधित्व कानून के इस प्रावधान के तहत ही देश में चुनाव में मतपत्र की बजाय इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से मतदान की शुरुआत हुई थी।

याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 61(a) को चुनौती दी है। इस अधिनियम में बैलेट पेपर की जगह ईवीएम से मतदान कराए जाने का प्रावधान किया गया है। याचिकाकर्ता का दावा है कि इस प्रावधान को अब तक संसद से मंजूरी नहीं मिली है। इसीलिए इसे लागू नहीं किया जा सकता है।

देश में पांच राज्यों यूपी, उत्तराखंड, गोवा, मणिपुर और पंजाब में विधानसभा चुनाव होने हैं। यूपी में सात चरणों में चुनाव होंगे। यूपी में विधानसभा चुनाव के पहले चरण की शुरुआत 10 फरवरी को होगी। उत्तराखंड और गोवा में 14 फरवरी को मतदान होगा जबकि पंजाब में 20 फरवरी को वोटिंग होगी। मणिपुर में दो चरणों में 27 फरवरी और तीन मार्च को मतदान होगा। वोटों की गिनती 10 मार्च को होगी। उसी दिन चुनाव के नतीजे घोषित किए जाएंगे।

ईवीएम में कथित गड़बड़ी पर लगातार विवाद होता रहा है। राजनीतिक दल ईवीएम पर अब हर चुनाव में सवाल उठाते रहे हैं। अभी कुछ दिन पहले ही मायावती ने कहा था कि अगर बीजेपी ने सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग और ईवीएम में हेरफेर नहीं किया, तो बीजेपी यह चुनाव हार जाएगी।’ मायावती पहली नेता नहीं हैं जो इस पर सवाल उठा रही हैं। ईवीएम पर सवाल उठाने वालों में समाजवादी पार्टी से लेकर कांग्रेस और बीजेपी जैसे दल भी शामिल हैं। बीजेपी, कांग्रेस सहित सभी राजनीतिक दल कभी न कभी ईवीएम से छेड़छाड़ किए जाने के आरोप लगा चुके हैं।

कर्नाटक से लेकर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, असम, और गुजरात तक और निकाय चुनाव से लेकर लोकसभा चुनावों तक में ईवीएम में गड़बड़ी के आरोप लगते रहे हैं। ये गड़बड़ियाँ ईवीएम की मॉक टेस्टिंग से लेकर मतदान के दौरान भी लगी हैं। विपक्षी पार्टियाँ आरोप लगाती रही हैं। चुनाव आयोग तकनीकी ख़ामियाँ बताकर आरोपों को खारिज करता रहा है। लेकिन क्या इतनी शिकायतें संदेह नहीं पैदा करतीं?

जनवरी 2019 में लंदन में सैयद शुजा नाम के एक साइबर एक्सपर्ट ने प्रेस कांफ्रेंस कर दावा किया था कि भारत की ईवीएम मशीनों को हैक किया जाता है और चुनावों को जीता जाता है। शुजा ने यह भी दावा किया था कि 2014 के लोकसभा चुनाव में भी ईवीएम में धाँधली हुई थी। हालाँकि चुनाव आयोग ने साफ़ किया था कि इन मशीनों में गड़बड़ी नहीं की जा सकती है।2009 में बीजेपी नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने भी बाक़ायदा प्रेस कांफ्रेंस कर कहा था कि ईवीएम फूलप्रूफ नहीं है और मशीनों में छेड़छाड़ कर चुनावों को प्रभावित किया जा सकता है। पार्टी नेता जीवीएल नरसिम्हा राव ने ईवीएम में धांधली हो सकती है यह साबित करने के लिए एक किताब भी लिख डाली थी।

यही नहीं उच्चतम न्यायालय में लोकसभा चुनाव 2019 में 300 से अधिक लोकसभा निर्वाचन क्षत्रों में ईवीएम में पड़े वोटों और मतगणना में उससे निकले वोटों में भारी अंतर का मामला विचाराधीन है।इसके अलावा बॉम्बे हाईकोर्ट में 20लाख ईवीएम मशीनों के गायब होने का मामला लम्बित है। 

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

+ There are no comments

Add yours

You May Also Like

More From Author