क्रिमिनल बैकग्राउंड वाले उम्मीदवार पर सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई

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उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि वह उस याचिका को लिस्ट करने पर विचार करेगा जिसमें कहा गया है कि उन राजनीतिक दलों की मान्यता रद्द की जानी चाहिए जो उच्चतम न्यायालय के आदेश के बावजूद आपराधिक मामले के आरोपी कैंडिडेट के बारे में जानकारी उजागर नहीं कर रहे हैं। याचिका बीजेपी नेता व एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय ने दाखिल की है।

याचिका में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार नाहिद हसन का भी जिक्र किया गया है। सपा ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए कैराना से नाहिद हसन को मैदान में उतारा है। हालांकि, पार्टी ने उनके आपराधिक रिकॉर्ड को ऑनलाइन प्रकाशित नहीं किया है। याचिका में चुनाव आयोग को उस राजनीतिक दल का पंजीकरण रद्द करने का निर्देश देने की मांग की गई है जो शीर्ष अदालत के निर्देशों का उल्लंघन करता है।

चीफ जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ के सामने इस मामले को उठाया गया और पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर जल्द सुनवाई की मांग की गई। याचिकाकर्ता ने कहा कि पहले चरण के वोटिंग के लिए नॉमिनेशन शुरू हो गया है और राजनीतिक पार्टियां सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट का उल्लंघन कर रही हैं ऐसे में जल्द सुनवाई की जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले की जल्द सुनवाई पर हम विचार करेंगे और तारीख देंगे।

याचिका में कहा गया है कि जो भी राजनीतिक पार्टी ऐसे कैंडिडेट को टिकट देती है जिनके खिलाफ क्रिमिनल केस पेंडिंग हैं और उसके बारे में डिटेल पब्लिक नहीं करती है उसकी मान्यता रद्द करने का चुनाव आयोग को निर्देश दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता ने कहा कि शीर्ष अदालत ने दो साल पहले जो फैसला दिया है उसके तहत हर राजनीतिक पार्टी को 48 घंटे के अंदर बताना है कि उसने क्रिमिनल को कैंडिडेट क्यों बनाया और उसके बारें डिटेल अपने वेबसाइट पर डालना होगा।

याचिका में उच्चतम न्यायालय से आग्रह किया गया है कि वह निर्वाचन आयोग को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दे कि राजनीतिक दल अपनी वेबसाइट पर उम्मीदवारों के आपराधिक मामलों के संबंध में विवरण प्रकाशित करने के साथ-साथ उनका चयन करने का कारण भी बताएं।

पीठ से याचिकाकर्ता अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने मौजूदा चुनाव प्रक्रिया को ध्यान में रखते हुए याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने का आग्रह किया था। उपाध्याय ने कहा कि चुनाव के पहले चरण के लिए नामांकन शुरू हो गया है और राजनीतिक दल और उम्मीदवार शीर्ष अदालत के दो फैसलों का खुलेआम उल्लंघन कर रहे हैं। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि हम इस पर विचार करेंगे। मैं एक तारीख दूंगा।

राजनीतिक दलों की वेबसाइट पर उम्मीदवारों की आपराधिक पृष्ठभूमि से संबंधित जानकारी प्रकाशित करने के साथ ही जनहित याचिका में निर्वाचन आयोग को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि प्रत्येक राजनीतिक व्यक्ति इस जानकारी को इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट और सोशल मीडिया पर भी प्रकाशित करें। अगर इन निर्देशों का उल्लंघन होता है तो पार्टी अध्यक्ष के खिलाफ अदालत की अवमानन की याचिका दाखिल की जाए।

इसमें दावा किया गया है कि पंजीकृत एवं मान्याता प्राप्त दल समाजवादी पार्टी की ओर से कैराना निर्वाचन क्षेत्र से कथित गैंगस्टर नाहिद हसन को प्रत्याशी बनाया गया है, लेकिन उसने उच्चतम न्यायालय के फरवरी 2020 के फैसले में दिये गए निर्देशों की भावना के अनुरूप उम्मीदवारी घोषित करने के 48 घंटे के भीतर न उनके आपराधिक रिकॉर्ड और न ही उनका चयन करने के कारण को इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट और सोशल मीडिया में प्रकाशित किया।

दूसरी ओर मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा है कि राजनीति में बढ़ते अपराधीकरण पर रोक लगाने के लिए उन्होंने अहम कदम उठाए हुए है,जिसमें राजनीतिक दलों को उम्मीदवार तय करने के 48 घंटे के भीतर उनके क्रिमिनल रिकार्ड को सार्वजनिक करना होगा। साथ ही यदि किसी दागी को उम्मीदवार बनाया है तो उसे यह भी बताना होगा कि क्यों उन्होंने इसे उम्मीदवार बनाने का फैसला लिया। राजनीतिक दलों को यह सारी जानकारी टीवी और समाचार पत्रों में प्रकाशित कराने के साथ ही पार्टी की अधिकृत वेबसाइट के मुख्य पृष्ठ पर आपराधिक छवि वाले उम्मीदवार के रुप में प्रदर्शित करना होगा। आयोग का मानना है कि इस मुहिम से लोगों खुद ही तय करेंगे कि उन्हें किसे वोट देना या नहीं देना है।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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