धर्म के चश्मे से जन आंदोलनों को देखना आत्मघाती और राष्ट्रघाती

अब एक नया तर्क गढ़ा जा रहा है कि इन किसानों को भड़काया जा रहा है। यह भड़काने का काम…

सोचिये लेकिन, आप सोचते ही कहां हो!

अगर दुनिया सेसमाप्त हो जाता धर्मसब तरह का धर्ममेरा भी, आपका भीतो कैसी होती दुनिया न होती तलवार की धारतेज़…

राष्ट्रवाद के साथ धर्म भी बन गया है धूर्तों के चेहरे का मुखौटा!

जिस किसी ने भी कहा था कि राष्ट्रवाद धूर्तों की आख़िरी पनाहगाह है, उसे उस दूसरी चोर गुफा का अंदाजा…

सरकार अमीरों को मुफ्त में जहाज से घर पहुंचा आई और गरीब पैदल यात्रा पर

एक तिहाई आबादी सदा पाखंड यात्राओं और पाखंड के अड्डों पर भटकती रही। लाख समझाओ मगर बुद्धिहीनों की भीड़ कहां…

कोई धर्म जब देने लगे हत्या और अपराध को संरक्षण!

प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता और डॉक्टर नरेंद्र दाभोलकर की हत्या के एक आरोपी शरद कलस्कर का इकबालिया बयान सामनें आ चुका…