आधुनिक बांग्ला नाट्य मंच में शंभु मित्र की पहचान शीर्षस्थ नाटककार, अभिनेता और निर्देशक के रूप में है। उनकी पूरी जिंदगी नाटक के लिए समर्पित रही। उन्होंने न सिर्फ़ नाटकों में अभिनय-निर्देशन किया, बल्कि फ़िल्मों में भी अपने आप...
गुरुदेव रवींद्र नाथ टैगोर एक अंतरराष्ट्रीय व्यक्तित्व थे। बंगाल के कुछ बेहद सम्पन्न लोगों में उनका परिवार आता था। उनके बड़े भाई सत्येंद्र नाथ टैगोर, देश के प्रथम हिंदुस्तानी, 1864 बैच के आईसीएस थे। अपने माता-पिता की आठ संतानों...
हम अपने जीवन में ही पोयला बैशाख से जुड़ी बंगवासियों की अस्मिता के पहलू के नाना आयामों और उनके क्रमिक क्षरण के साक्षी रहे हैं। हर साल बांग्ला पत्र-पत्रिकाओं में हम इस पर एक प्रकार के विलाप के स्वरों...
जब बांग्ला साहित्य और समाज की उदार और विद्रोही चेतना को हिंदी इलाके के संकीर्ण राष्ट्रवाद और बंगाल में पहले से मौजूद हिंदू चेतना से पराजित करने का राजनैतिक अभियान और सांस्कृतिक आख्यान अपने चरम पर हो तब प्रोफेसर...
दावत चाहे किसी धन कुबेर की हो या किसी निर्धन की, उसमें एक गर्म जोशी होती है, मिलने मिलाने का सिलसिला होता है और मेहमान और मेजबान के बीच संवाद होता है। पर कुछ दावतें ऐसी भी होती हैं...