Friday, April 19, 2024

Birthday Special

जन्मदिवस पर विशेष: आज सुभाष चंद्र बोस की किसे जरूरत है?

8 सितंबर 1922 को दिल्ली में इंडिया गेट के निकट स्थित छतरी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 28 फुट ऊंची नेताजी सभुाष चन्द्र बोस की प्रतिमा का अनावरण किया था, इससे पहले इस छतरी के नीचे सम्राट जार्ज पचंम...

जन्मदिन विशेष: वृंदावनलाल वर्मा के उपन्यासों में इतिहास और कल्पना का अद्भुत समन्वय

हिंदी साहित्य में वृंदावनलाल वर्मा की पहचान ऐतिहासिक उपन्यासकार की है। ऐतिहासिक उपन्यासकार के रूप में उनका कृतित्त्व विशेष महत्त्व रखता है। उनसे पूर्व हिंदी साहित्य में ऐसा कोई उपन्यासकार नहीं हुआ, जिसने इतने अलग-अलग विषयों पर अपनी क़लम...

जन्मदिन पर विशेष: अल्लामा इक़बाल और इश्तिराकियत

(अल्लामा इक़बाल की शायरी के हिंद उपमहाद्वीप में हज़ारों की तादाद में शैदाई हैं। शायर अली सरदार जाफ़री भी उनमें से एक हैं। जाफ़री ने इक़बाल की शायरी का गहरा अध्ययन किया था। यही नहीं उन्होंने उन पर एक...

जन्मदिन पर विशेष: अदाकारी, इंसानियत और दरियादिली में बेमिसाल थे पृथ्वीराज कपूर

भारतीय सिनेमा में पृथ्वीराज उस बेमिसाल शख़्सियत का नाम है, जिनकी शानदार अदाकारी के साथ-साथ उनकी बेजोड़ इंसानियत और बेपनाह दरियादिली के भी कई क़िस्से मक़बूल हैं। पृथ्वीराज कपूर जब कामयाबी के उरूज पर थे, तब उन्होंने बॉम्बे में...

जन्मदिन पर विशेष: पारसी थियेटर से रंंगीन फिल्मों तक का सफर करने वाले फिल्मकार सोहराब मोदी

भारतीय सिनेमा में सोहराब मोदी उस हस्ती का नाम है, जिन्होंने अपने करियर का आग़ाज़ पारसी थियेटर से किया। देश भर के शहर-शहर, कस्बे-कस्बे थियेटर कर लोगों का मनोरंजन किया। और जब फ़िल्मों का दौर आया, तो टूरिंग टाकीज...

जन्मदिवस पर विशेष: बेगम अख़्तर के बग़ैर ग़ज़ल अधूरी है

वे सरापा ग़ज़ल थीं। उन जैसे ग़ज़लसरा न पहले कोई था और न आगे होगा। ग़ज़ल से उनकी शिनाख़्त है। ग़ज़ल के बिना बेगम अख़्तर अधूरी हैं और बेगम अख़्तर बग़ैर ग़ज़ल। देश-दुनिया में ग़ज़ल को जो बे-इंतिहा मक़बूलियत...

जन्मदिवस पर विशेष: आधुनिक हिंदी के जनक भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ने साहित्य को ‘जन’ से जोड़ा

भारतेन्दु हरिश्चन्द्र (9 सितंबर 1850-6 जनवरी 1885) आधुनिक हिंदी साहित्य के पितामह कहे जाते हैं। इनका मूल नाम 'हरिश्चन्द्र' था। 'भारतेन्दु' उनकी उपाधि थी। उनका कार्यकाल युग की सन्धि पर खड़ा है। उन्होंने रीतिकाल की पतनशील सामन्ती संस्कृति की...

जन्मदिवस पर विशेष: सामाजिक यथार्थ के अनूठे व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई

हरिशंकर परसाई हिंदी के पहले रचनाकार थे, जिन्होंने व्यंग्य को विधा का दर्जा दिलाया और उसे हल्के-फुल्के मनोरंजन की परंपरागत परिधि से उबारकर समाज के व्यापक प्रश्नों से जोड़ा। उनकी व्यंग्य रचनाएं हमारे मन में गुदगुदी ही पैदा नहीं...

दो बीघा ज़मीन: बिमल रॉय की ऑल टाइम क्लासिक फ़िल्म के सात दशक

भारतीय सिनेमा में बिमल रॉय का शुमार बा-कमाल निर्देशकों में होता है। उन्होंने न सिर्फ़ टिकिट खिड़की पर कामयाब फ़िल्में बनाईं, बल्कि उनकी फ़िल्मों में एक मक़सद भी हैं, जो फ़िल्मी मेलोड्रामा और गीत-संगीत के बीच कहीं ओझल नहीं...

हेनरी डेविड थोरो जन्मदिन विशेष: सादगी हो, पर सियासत के नाम पर नहीं

सादगी दिवस की शुरुआत लेखक और दार्शनिक हेनरी डेविड थोरो के सम्मान में की गई थी। डेविड जीवन को सादगी से जीने के हिमायती थे। हेनरी का जन्म 12 जुलाई को हुआ था और उनका मानना था कि जीवन...

Latest News

ग्राउंड रिपोर्ट: रोजी-रोटी, भूख, सड़क और बिजली-पानी राजनांदगांव के अहम मुद्दे, भूपेश बघेल पड़ रहे हैं बीजेपी प्रत्याशी पर भारी

राजनांदगांव। लोकसभा 2024 में राजनांदगांव की सीट काफी दिलचस्प मानी जा रही है। इस सीट पर पूर्व सीएम भूपेश...