जाति ही पूछो साधु की, ज्ञान से क्या काम?
किसी ने सही कहा है कि इंसान जन्म के साथ कुछ लेकर नहीं आता। कपड़े तक नहीं। लेकिन पैदा होते ही उसे जाति, धर्म, देश, [more…]
किसी ने सही कहा है कि इंसान जन्म के साथ कुछ लेकर नहीं आता। कपड़े तक नहीं। लेकिन पैदा होते ही उसे जाति, धर्म, देश, [more…]
भारतीय संविधान में दर्ज स्वतंत्रता, समानता, न्याय, बंधुता, व्यक्ति की गरिमा जैसे अन्य संवैधानिक मूल्य हमारे जीवन के घोषित आधार हैं। लेकिन आजाद भारत के 75 वर्ष [more…]
मद्रास इंस्टीट्यूट फॉर डेवलपमेंट स्टडीज के एक एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. लक्ष्मणन ने उच्च शिक्षा संस्थानों में जातिगत भेदभाव की प्रकृति पर चर्चा करते हुए बताया [more…]
कृषि प्रधान देश होने के साथ ही हमारा देश पर्व प्रधान भी है। तीन राष्ट्रीय त्योहार तो हैं ही। पूंजी का प्रवाह आया तो उसके [more…]
फिलहाल तो मोहन भागवत अपनी ही भागवत कथा में फंस गए लगते हैं। मुम्बई में संत रविदास की जयन्ती पर दिए अपने भाषण में उन्होंने [more…]
उत्तर प्रदेश के चुनाव-नतीजों से दो बातें स्पष्ट पता चल रही हैं, एक, यह कि लोकतंत्र अभी हारा नहीं है, क्योंकि भाजपा-गठबंधन को 42 प्रतिशत [more…]
भाजपा बंगाल पर फतह पाने को इतनी बेताब क्यों है? लोकतंत्र में चुनाव होना एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया है और कोई दल सत्ता में आता है [more…]
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पूछा जाना कि यह आरक्षण कितनी पीढियों तक चलेगा, चर्चा और बहुजन समाज के लिए चिंता का विषय बन गया है। आइए [more…]
उनकी पहचान कपड़ों से नहीं उनके विचारों से होती है। वे उदारवाद का मुखौटा लगाकर आपके आसपास मंडराते हैं। वे बढ़-चढ़कर देश के विकास की [more…]
जातिवादी हिंसा का वहिशाना शिकार हुए पंजाब के संगरूर जिले के चंगालीवाल गांव के दलित युवक जगमाल सिंह जग्गा हत्याकांड ने सूबे को सकते में [more…]