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मंगलेश डबराल : करुणा में डूबी धीमी भरोसेमंद आवाज़
उम्मीद की थरथराती लौ आख़िर बुझ गई। वरिष्ठ कवि-गद्यकार और पत्रकार मंगलेश डबराल नहीं रहे। उन्होंने बुधवार देर शाम 7 बजकर 10 मिनट पर ऑल इंडिया मेडिकल इंस्टीट्यूट (एम्स) में आखिरी सांस ली। कोरोना संक्रमण के कारण उन्हें क़रीब...
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बहुसंख्यकवादी नैरेटिव को टेका लगाती फिल्में: स्वातंत्र्यवीर सावरकर
फिल्म जनसंचार का एक शक्तिशाली माध्यम है जो सामाजिक समझ को कई तरह से प्रभावित करता है। कई दशकों...
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