भारत के 90 फ़ीसदी लोगों का गुज़र-बसर असंगठित क्षेत्र और दिहाड़ी मज़दूरी के ज़रिये ही होती है। अर्थव्यवस्था में इस तबके का वही मतलब है जो शरीर की कोशिकाओं का है। देश के 90 फ़ीसदी लोगों का भरण-पोषण यही...
आजादी के तिहत्तर साल के बाद आज भी भारत का किसान भाग्य भरोसे है। हाड़ तोड़ मेहनत करने के बावजूद उसकी जिंदगी में अंधकार और अनिश्चितता है। जुताई, बुआई, मड़ाई और कटाई में ही उसकी सारी उमर बीत जाती है।...
कोई
माने या न माने पर यह सच है कि मोदी राज में सबसे ज्यादा गड्ढे में कोई गया है तो
वह PSU यानी
सार्वजनिक क्षेत्र की सरकारी कम्पनियां ही हैं। ये कंपनियां भीषण वित्तीय संकट की
तरफ बढ़ती दिख रही हैं।
आमदनी के...