Thursday, April 25, 2024

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असंगठित क्षेत्र और दिहाड़ी मज़दूरों की परवाह से ही पटरी पर लौटेगी अर्थव्यवस्था

भारत के 90 फ़ीसदी लोगों का गुज़र-बसर असंगठित क्षेत्र और दिहाड़ी मज़दूरी के ज़रिये ही होती है। अर्थव्यवस्था में इस तबके का वही मतलब है जो शरीर की कोशिकाओं का है। देश के 90 फ़ीसदी लोगों का भरण-पोषण यही...

ओला और बारिश से बर्बाद किसान सरकार की चिंता में नहीं

आजादी के तिहत्तर साल के बाद आज भी भारत का किसान भाग्य भरोसे है। हाड़ तोड़ मेहनत करने के बावजूद उसकी जिंदगी में अंधकार और अनिश्चितता है। जुताई, बुआई, मड़ाई और कटाई में ही उसकी सारी उमर बीत जाती है।...

तबाही के कगार पर पहुंच गयी हैं कभी फायदा देने वाली देश की नवरत्न कंपनियां

कोई माने या न माने पर यह सच है कि मोदी राज में सबसे ज्यादा गड्ढे में कोई गया है तो वह PSU यानी सार्वजनिक क्षेत्र की सरकारी कम्पनियां ही हैं। ये कंपनियां भीषण वित्तीय संकट की तरफ बढ़ती दिख रही हैं। आमदनी के...

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प्रधानमंत्री की भाषा: सोच और मानसिकता का स्तर

धरती पर भाषा और लिपियां सभ्यता के प्राचीन आविष्कारों में से एक है। भाषा का विकास दरअसल सभ्यता का...