Estimated read time 1 min read
संस्कृति-समाज

एक फिल्म में कई फिल्मों का “फ्लैश बैक” 

पिछले मंगलवार को दिल्ली के जवाहर भवन में एक फिल्म देखी। “इन गलियों में”। फिल्म का नाम और पोस्टर देखकर ऐसा लगा कि फिल्म “कला [more…]

Estimated read time 2 min read
संस्कृति-समाज

ऋत्विक घटक: झकझोर कर हमारी चेतना जगा देने वाला फ़िल्मकार 

0 comments

एक समय में रहते हुए किसी जीवन को देखना और फिर उस समय से निकल कर जीवन-चर्चा करना, इन दोनों बातों में बहुत फ़र्क़ है। [more…]

Estimated read time 3 min read
ज़रूरी ख़बर

चली गयी भारतीय सिनेमा की आत्मा, नहीं रहे श्याम बेनेगल

0 comments

नई दिल्ली। भारतीय सिनेमा की आत्मा के तौर पर देखे जाने वाले लिजेंड फिल्मकार श्याम बेनेगल का मुंबई में निधन हो गया है। वह 90 [more…]

Estimated read time 1 min read
ज़रूरी ख़बर

नहीं रहीं क्लासिक फिल्म ‘पथेर‌ पांचाली’ की दुर्गा

0 comments

कोलकाता। दुनिया की सौ बेहतरीन फिल्मों में से एक सत्यजीत राय की ‘पथेर पांचाली’ (पथ का गीत, 1955) में दुर्गा का किरदार निभाने वाली उमा [more…]

Estimated read time 1 min read
संस्कृति-समाज

तानाशाही के खिलाफ बुलंद आवाज का नाम है अमर सिंह चमकीला

1 comment

‘अमर सिंह चमकीला’ साधारण बायोपिक फ़िल्म होते हुए भी असाधारण फ़िल्म है। इम्तियाज अली सोसाइटी के दबाए जाने वाले डिस्कोर्स को पॉपुलर तरीके से परोसने [more…]

Estimated read time 1 min read
संस्कृति-समाज

‘मुक्तेश्वर टू मुंबई’ तैयार हुई समोसा एंड सन्स

उत्तराखंड राज्य में रहकर मुंबई फिल्म इंडस्ट्री के लिए यह फ़िल्म बनाना ‘समोसा एंड सन्स’ के मेकरों के लिए आसान नहीं रहा था। इसके बारे [more…]

Estimated read time 1 min read
संस्कृति-समाज

‘घोड़े को जलेबी खिलाने जा रिया हूं’ फिल्म में यथार्थ का प्रभावशाली चित्रण

0 comments

अनामिका हक्सर की फिल्म ‘घोड़े को जलेबी खिलाने जा रिया हूं’ बहुत गहरा प्रभाव छोड़ती है। यह फिल्म कई मायने में सफल कही जाएगी। फिल्म [more…]

Estimated read time 1 min read
बीच बहस

रणदीप हुड्डा की फिल्म और सत्ता के भूखे लोग

पिछले एक दशक से इस देश की सांस्कृतिक, धार्मिक, और ऐतिहासिक अवधारणाओं को बदलने का लगातार प्रयास हो रहा हैं। जिस तरह से सिर्फ दो [more…]

Estimated read time 1 min read
संस्कृति-समाज

बाबागिरी को बेनकाब करता अकेला बंदा

‘ये दिलाये फतह, लॉ है इसका धंधा, ये है रब का बंदा’। जब ‘सिर्फ एक बंदा काफी है’ शुरू होती है और मनोज बाजपेयी को [more…]

Estimated read time 1 min read
बीच बहस

फिल्म ‘द केरला स्टोरी’ बनी दुष्प्रचार का हथियार

केरल का नाम सुनते ही हमारे मन में उभरता है एक ऐसा राज्य जहां शांति और सद्भाव का राज है, जहां निरक्षता का निर्मूलन हो [more…]