Thursday, March 28, 2024

gdp

आंकड़ों का भ्रमजाल खड़ा करने की ये मजबूरी !

आज यह आम समझ है कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी की रोजी-रोटी के मुद्दों पर कोई ठोस प्रगति किए भी राजनीतिक बहुमत जुटाने में सक्षम बनी हुई है। ऐसा करने में वह सियासी नैरेटिव पर...

जीडीपी के करिश्माई आंकड़ों की कथा

अर्थव्यवस्था संबंधी ताजा आंकड़ों ने मीडिया कवरेज में एक तरह का चमत्कारिक प्रभाव पैदा किया है। कई रिपोर्टों में इसका उल्लेख किया गया है कि जहां दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाएं मंदी टालने के लिए संघर्षरत हैं, वहीं भारत में...

तेज जीडीपी ग्रोथ के आंकड़े कितने सच और कितने झूठ?

नई दिल्ली। यह एक बेहद उलझाव में डालने वाला प्रश्न है, जिसको लेकर सटीक अनुमान लगा पाना संभव नहीं है। नीति आयोग, आरबीआई और सरकार के अनुमानों पर यकीन करें तो भारत 2024 में भी 7% की विकास दर...

आइए, अमेरिकी आईने से जीडीपी को समझें

इस वर्ष की तीसरी तिमाही में अमेरिका की आर्थिक वृद्धि दर असामान्य और अनपेक्षित ढंग से ऊंची रही। (2023 की) जुलाई-सितंबर तिमाही में अमेरिका देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 4.9 प्रतिशत की दर से बढ़ा। स्वाभाविक है कि...

मेहनत की लूट को बढ़ाने के लिए बेचैन कॉर्पोरेट

पिछले दिनों इंफोसिस के संस्थापक एनआर नारायणमूर्ति ने भारत के श्रमिकों को एक विवादास्पद सलाह दिया। उनका कहना था कि भारत के युवा श्रमिकों को हफ्ते में 70 घंटे काम करना चाहिए। उन्होंने एक वार्ता के दौरान कहा कि...

विज्ञान और अनुसंधान में भारत चीन से इतना पीछे क्यों है?

हालांकि भारत में विज्ञान और इंजीनियरिंग के छात्रों का एक बड़ा समूह है और यह विश्व स्तर पर अग्रणी अनुसंधान क्षेत्रों में शामिल है, फिर भी कई प्रमुख मापदंडों पर इसका प्रदर्शन खराब है।  पिछले हफ्ते सरकार द्वारा ‘नेशनल रिसर्च...

जीडीपी के आंकड़ों में उलझा देश आखिर कब तक बेवकूफ बनाया जायेगा?

भारत में जीडीपी के आंकड़े सरकार और एजेंसियों के लिए एक आश्चर्यजनक उत्साह जगाने वाले हैं। 2022-23 की चौथी तिमाही के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 5.1% की विकास का अनुमान लगाया था, जो वास्तव में 6.1% हुआ...

कर्नाटक: जीडीपी में अव्वल, लेकिन सामाजिक शैक्षिणक विकास में दक्षिण में सबसे फिसड्डी क्यों?

हाल के वर्षों में आईटी और स्टार्टअप के क्षेत्र में ही सबसे अधिक युवाओं को रोजगार प्राप्त हुआ है, और लगभग सभी महानगरों में शहरी युवाओं की जुबान पर यदि कोई एक नाम सबसे प्रमुखता से आता है तो...

नोटबन्दी ने बना दिया भारतीय अर्थव्यवस्था को ‘दिव्यांग’

जब नोटबंदी की घोषणा, 8 नवम्बर 2016 को रात 8 बजे प्रधानमंत्री जी कर रहे थे, तो अधिसंख्य देशवासियों की तरह मैं भी टीवी के सामने बैठा हुआ था। सेना प्रमुखों से मिलते हुए पीएम की फ़ोटो स्क्रीन पर...

“नोटबंदी: संगठित लूट और कानूनी डाका थी”

वे भले कम बोले, लेकिन झूठ कभी नहीं बोले। जब प्रधानमंत्री थे तब भी और जब पद से हट गए तब भी। वे पद पर रहते हुए भी झूठ के शिकार हुए लेकिन शांत रहे। उनके दामन पर कोई...

Latest News

अमर्त्य सेन ने लेखकों-पत्रकारों को लंबे समय तक कैद में रखने का किया विरोध

नई दिल्ली। नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन सहित देश-विदेश के कई प्रसिद्ध शिक्षाविदों ने भारत में “बड़ी संख्या में...