Estimated read time 1 min read
बीच बहस

भारत के स्वर्ण युग का भेद-1: पहली शताब्दी ईसा पूर्व के पहले नहीं मिलते ‘भारत’ शब्द के ऐतिहासिक स्रोत

0 comments

हम मिथकीय मौलिकता के युग में जी रहे हैं। राज्य हमेशा अपने संस्करण के अनुरूप जनता को सम्मोहित करने के लिए अपना इतिहास गढ़ता है। [more…]

Estimated read time 1 min read
बीच बहस

क्या भारत में साम्प्रदायिकता केवल उपनिवेशवाद की उपज है?

भारत में वर्तमान संघ परिवार की फासीवादी राजनीति के संदर्भ में इतिहासकारों, समाजशास्त्रियों तथा राज्ञनीतिज्ञों के बड़े वर्ग द्वारा इस तथ्य को बड़े ज़ोर-शोर से [more…]

Estimated read time 2 min read
बीच बहस

इतिहासकार डीएन झा का लेख: नालंदा में इतिहास कैसे बिगाड़ा गया?

1 comment

अरुण शौरी के लेख हाउ हिस्ट्री वाज़ मेड अप ऐट नालंदा (दि इण्डियन एक्स्प्रेस, 28 जून 2014) को पढ़कर हैरत हुई जिसमें उन्होंने अपने अज्ञान [more…]

Estimated read time 3 min read
संस्कृति-समाज

इतिहासकार डी. एन. झा: हिंदुत्व केंद्रित इतिहास दृष्टि को निर्णायक चुनौती

66वें भारतीय इतिहास कांग्रेस (2006) को अध्यक्ष के रूप में संबोधित करते हुए डी. एन. झा ने इतिहासकारों-बुद्धिजीवियों- कहा कि “देश की वर्तमान स्थिति का [more…]