भारत के स्वर्ण युग का भेद-1: पहली शताब्दी ईसा पूर्व के पहले नहीं मिलते ‘भारत’ शब्द के ऐतिहासिक स्रोत
हम मिथकीय मौलिकता के युग में जी रहे हैं। राज्य हमेशा अपने संस्करण के अनुरूप जनता को सम्मोहित करने के लिए अपना इतिहास गढ़ता है। [more…]
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भारत में वर्तमान संघ परिवार की फासीवादी राजनीति के संदर्भ में इतिहासकारों, समाजशास्त्रियों तथा राज्ञनीतिज्ञों के बड़े वर्ग द्वारा इस तथ्य को बड़े ज़ोर-शोर से [more…]
अरुण शौरी के लेख हाउ हिस्ट्री वाज़ मेड अप ऐट नालंदा (दि इण्डियन एक्स्प्रेस, 28 जून 2014) को पढ़कर हैरत हुई जिसमें उन्होंने अपने अज्ञान [more…]
66वें भारतीय इतिहास कांग्रेस (2006) को अध्यक्ष के रूप में संबोधित करते हुए डी. एन. झा ने इतिहासकारों-बुद्धिजीवियों- कहा कि “देश की वर्तमान स्थिति का [more…]