Tag: imperialism
ट्रेड, टैरिफ, ट्रंप और ट्रम्फेट
डोनाल्ड ट्रंप के दूसरी बार राष्ट्रपति चुने जाने के बाद से ही विश्व में एक खास तरह की हलचल देखी जा रही है। चुनाव प्रचार [more…]
पूंजीवाद के युद्ध और साम्राज्यवादी साजिशों का खेल
हाल ही में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की और अमेरिकी उप राष्ट्रपति जेडी वेंस के बीच जो संवाद हुआ, वह सिर्फ दो नेताओं की बहस [more…]
उदारवादी-दक्षिणपंथी मध्यवर्ग का तो समझ में आता है- खुद को वामपंथी और आंबेडकरवादी कहने वालों को क्या हो गया है? संदर्भ मनमोहन सिंह
सोशल मीडिया में मनमोहन सिंह की किन शब्दों में और कितना चढ़-बढ़कर तारीफ किया जाए, इसमें उदारवादियों-दक्षिणपंथियों की होड़ तो समझ में आती है, लेकिन [more…]
भारत में पाम ऑयल की खेती को बढ़ावा देना साम्राज्यवाद के फायदे का सौदा
भारत सरकार ने अपने दस्तावेज़ “खाद्य तेल पर राष्ट्रीय मिशन के परिचालन दिशानिर्देश- पाम ऑयल (2021-22 से 2025-26)” में कहा है कि “भारत देश की [more…]
डॉ. आंबेडकर का स्वतंत्रता संग्राम साम्राज्यवाद, ब्राह्मणवाद और पूंजीवाद तीनों के खिलाफ था
इतिहासकार गेल ओमवेट ने लिखा है कि “आंबेडकर का बुनियादी संघर्ष एक अलग स्वतंत्रता का संघर्ष था। यह संघर्ष भारत के सर्वाधिक संतप्त वर्ग की [more…]
साम्राज्यवाद के ख़िलाफ़ जंग का एक मैदान है साहित्य
साम्राज्यवाद और विस्थापन पर भोपाल में आयोजित कार्यक्रम में विनीत तिवारी ने साम्राज्यवाद के संकट और इसके पूंजीवाद में बदलाव के उदाहरण दिए। उन्होंने इसे वैश्विक स्तर पर शोषण का मुख्य हथियार बताया और इसके विरुद्ध विश्वभर के संघर्षों की चर्चा की। युवा और वरिष्ठ कवियों ने मेहमूद दरवेश की कविताओं का पाठ किया। वक्ता ने साम्राज्यवाद विरोधी एवं प्रगतिशील साहित्य की महत्ता पर जोर दिया।
मुश्किल तो अपने समय के भगत सिंह के साथ खड़ा होना है: संदर्भ छत्तीसगढ़ में मारे गए 29 आदिवासी या गैर-आदिवासी
पहली बात कि भगत सिंह का मानना था कि ब्रिटिश साम्राज्य भारत के बहुसंख्यक लोगों के हितों के खिलाफ है। ध्यान रहे बहुसंख्यक न कि [more…]
साम्राज्यवाद को लगातार चुभने वाला कांटा थे जॉन पिल्जर
नई दिल्ली। मुमकिन है कि यह कथन कुछ लोगों को अतिशयोक्ति लगे कि जॉन पिल्जर हमारे युग के सबसे महान पत्रकार थे। बहरहाल, इसे अगर [more…]
अखंड भारत: सीमाएं समय के साथ बदलती रहती हैं?
क्या देशों के बीच की सीमाएं हमेशा एक सी बनी रहती हैं? या फिर समय के साथ बदलती रहती हैं? कई मौकों पर साम्राज्यों-सम्राटों और [more…]
साम्राज्यवाद के विरुद्ध अडिग चट्टान और मानवता के लिए पंखुड़ी जैसे सुकोमल थे फिदेल कास्त्रो
कल फिदेल कास्त्रो का 96वाँ जन्मदिन था। इस अवसर पर दिल्ली स्थित क्यूबा दूतावास ने एक छोटा-सा आत्मीय कार्यक्रम रखा था। वक़्त से पहले पहुँच [more…]