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संस्कृति-समाज

‘जीते जी इलाहाबाद’: जहां जमुना के छलिया जल जैसे सत्य से आँखें दो-चार होती हैं!

दो दिन पहले ही ममता कालिया जी की किताब ‘जीते जी इलाहाबाद’ प्राप्त हुई, और पूरी किताब लगभग एक साँस में पढ़ गया । इलाहाबाद [more…]