नेपाल अच्छा पड़ोसी क्यों था और अब क्यों नहीं है?
नीयो-लिबरल मानसिकता के संचालन ने हमें किसी विषय के इतिहास में गहराई से जाने में असमर्थ बना दिया है और हमें ‘दस मिनट की पिज्जा [more…]
नीयो-लिबरल मानसिकता के संचालन ने हमें किसी विषय के इतिहास में गहराई से जाने में असमर्थ बना दिया है और हमें ‘दस मिनट की पिज्जा [more…]
चौदह फ़रवरी के ‘टेलिग्राफ’ में प्रभात पटनायक की एक टिप्पणी है- (नव-उदारवाद से नव-फासीवाद ) गोपनीय संपर्क । From neoliberalism to neofascism : Hidden link। [more…]
तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में जारी किसान आंदोलन के शुरू से ही केंद्र की भाजपानीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार और विपक्षी पार्टियों [more…]
भारत में बीसवीं सदी का अंतिम दशक ख़त्म होते-होते समस्त मुख्यधारा की राजनीतिक पार्टियों, मंचों और माध्यमों से गरीबी की चर्चा समाप्त हो गई। देश [more…]
पिछले दिनों ‘इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित एक खबर पर नज़र गई। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का दावा छपा था कि उन्होंने राजनीति का आख्यान [more…]
कश्मीर-समस्या, मंदिर-मस्जिद विवाद, असम-समस्या (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) और नागरिकता संशोधन कानून पर सरकार के फैसलों की चार बातें स्पष्ट हैं: (1) फैसले सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की [more…]
लेख के शीर्षक में राजनीतिक पराजय से आशय देश पर नवसाम्राज्यवादी गुलामी लादने वाली राजनीति के खिलाफ खड़ी होने वाली राजनीति की पराजय से नहीं [more…]